संजीव सिंह, बलिया। पिछले 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में 19 प्रतिशत से ज्यादा वोट पाने वाली बसपा को कम आंकना खतरे से बाहर नहीं है। चूंकि बसपा ने चुनाव मैदान में सबसे अधिक मुस्लिम प्रत्याशी को चुनाव मैदान में उतार कर कई उम्मीदवारों की धड़कने को बढ़ा दिया है। बसपा के इस निर्णय से सबसे ज्यादा सपा और भाजपा के उम्मीदवार परेशान दिख रहे है। चूंकि उनको यही डर सता रहा है कि कहीं बसपा उनका खेल बिगाड़ न दे।

बसपा ने सर्वाधिक उतारा मुस्लिम प्रत्याशी

राजनीतिक जानकारों की मानें तो लोकसभा चुनाव-2024 बसपा ने सोची-समझी रणनीति के तहत टिकट का बंटवारा किया है। बसपा ने एक तरफ सबसे अधिक मुसलमानों (17 सीटें) टिकट देकर उन्हें साधा है तो दूसरी तरफ मुस्लिम धर्म की सबसे बड़ी हितैषी बसपा है, इसे साबित करने की कोशिश की है।

बसपा ने टिकट बंटवारें से यह भी साबित किया है कि वह भाजपा की ‘बी’ टीम नहीं, प्रतिद्वंदी की तरह मैदान में है। यही वजह है कि कई सीटों पर सपा और भाजपा के प्रत्याशी फील्ड में जी जान से जुट गए हैं। ताकि ज्यादा से ज्यादा मतदाताओं को अपनी तरफ कर सके। अब इसमें कौन कितना सफल हो पाता है यह तो आने वाला समय ही बताएंगा।

लल्लन सिंह यादव को टिकट देकर पूर्वांचल को दिया संदेश

जानकारी के लिए बता दें कि बलिया में जहां बसपा ने लल्लन सिंह यादव को टिकट देकर पूर्वांचल में यह संदेश देने का काम किया है कि सपा में यादव मतलब सिर्फ एक परिवार है, जबकि बसपा ने सबको सहेजकर रखती है। वहीं गाजीपुर में बीएचयू के छात्र नेता रह चुके डा. उमेश कुमार सिंह को टिकट देकर क्षत्रियों में संदेश देने की कोशिश की है।

वहां भाजपा ने माफिया के खिलाफ कमजोर उम्मीदवार उतारा तो बसपा ने तेज-तर्रार नेता देकर लोगों में अपनी पैठ बनाने की कोशिश की। इससे यह भी संदेश देने की कोशिश की कि बसपा भाजपा की बी टीम नहीं, वह प्रतिद्वंदी के रूप में ही खड़ी है।

भाजपा के वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश

वहीं चंदौली लोकसभा सीट की बात की जाए तो यहां से बसपा ने सत्येंद्र कुमार मौर्य को टिकट देकर भाजपा के वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश की है। वहीं भदोही से अतहर अंसारी को उतारकर मुस्लिम समाज में अच्छा संदेश देने का काम किया है। वहीं बस्ती से दया शंकर मिश्र को टिकट देकर भाजपा का सिरदर्द बढ़ा दिया है। इस बीच बसपा प्रमुख मायावती के भाषणों में भी बदलाव आ गया है। वे कांग्रेस और सपा पर प्रहार कम और भाजपा के खिलाफ उन्होंने प्रहार को बढ़ा दिया है।

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि बसपा भी अच्छी लड़ाई में

बसपा की इस चुनावी गणित को देखकर राजनीतिक जानकारों का मानना है कि बसपा भी अच्छी लड़ाई में है। वह उप्र में सीट भले न निकाल पाये, लेकिन उसके वोट प्रतिशत में कमी आने के आसार नहीं दिख रहे। इस बार बसपा प्रमुख ने उम्मीदवारों के चयन में भी काफी सजगता दिखाया है। बसपा का यही निर्णय अन्य राजनीतिक दलों के उम्मीरदवारों की धड़कनों को बढ़ा दिया है।

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