लखनऊ । सहारा इंडिया ग्रुप के प्रमुख सुब्रत रॉय का मंगलवार देर शाम निधन हो गया। उन्होंने मुंबई में आखिरी सांस ली। वह लंबे समय से बीमार थे। उनके निधन की वजह कार्डियक अरेस्ट बताई जा रही है। मुंबई के एक निजी अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। इसी साल जनवरी के महीने में मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में सुब्रत रॉय की ब्रेन सर्जरी हुई थी। इसी अस्पताल में उनका निधन हुआ।सुब्रत रॉय का पार्थिव शरीर बुधवार को लखनऊ के सहारा शहर लाया जाएगा, जहां उन्हें श्रद्धांजलि दी जाएगी।
सुब्रत रॉय का निधन, 75 साल की उम्र में ली अंतिम सांस
सुब्रत रॉय 75 साल के थे।बयान के अनुसार, उच्च रक्तचाप, मधुमेह सहित विभिन्न बीमारियों से लंबे समय से जूझ रहे सुब्रत रॉय का दिल का दौरा पड़ने के कारण रात साढ़े 10 बजे निधन हो गया। समूह ने बयान में कहा, ‘सहारा इंडिया परिवार अत्यंत दुख के साथ हमारे सहारा इंडिया परिवार के प्रबंध कार्यकर्ता और अध्यक्ष माननीय ‘सहाराश्री’ सुब्रत रॉय सहारा के निधन की सूचना दे रहा है।
बिहार में जन्मे रॉय भारतीय बिजनेस का बड़ा चेहरा रहे
10 जून, 1948 को अररिया बिहार में जन्मे रॉय भारतीय बिजनेस का बड़ा चेहरा रहे। उन्होंने रियल एस्टेट, फाइनेंस, मीडिया और हॉस्पिटेलिटी समेत कई क्षेत्रों में नाम कमाया। रॉय ने गोरखपुर के सरकारी तकनीकी संस्थान से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की शिक्षा पूरी की। इसके बाद 1976 में संघर्षरत चिटफंड कंपनी सहारा फाइनेंस का अधिग्रहण करने से पहले उन्होंने गोरखपुर से बिजनेस में कदम रखा। 1978 तक उन्होंने इसे सहारा इंडिया परिवार में बदल दिया, जो आगे चलकर भारत के सबसे बड़े समूहों में से एक बन गया।
स्कूटर पर नमकीन बेच कर खड़ा किया सहारा ग्रुप
सुब्रत रॉय के सहारा ग्रुप को खड़ा करने की कहानी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। सुब्रत रॉय कभी स्कूटर पर नमकीन बेचने का काम करते थे। गली-गली सामान बेचने से शुरू हुआ उनका ये सफर सहारा ग्रुप में तब्दील हुआ।सहारा ग्रुप के मुखिया सुब्रत रॉय ने साल 1978 में अपने एक दोस्त के साथ मिलकर स्कूटर पर नमकीन बेचने का काम शुरु किया। लेकिन किसे पता था कि एक दिन यही शख्स सहारा नाम को दो लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का एंपायर बना देगा। लोगों से 10-20 रुपए रोज जमा करवाकर सुब्रत रॉय ने भारत के फाइनेंस सेक्टर के लिए एकदम नई मिसाल पेश की। लोगों को उनकी छोटी-छोटी बचत पर अच्छा रिटर्न मिला। लोगों से जुटाए पैसों से दूसरे कारोबार खड़े किए।
कभी सहारा ग्रुप रेलवे के बाद देश का दूसरा सबसे बड़ा एम्प्लॉयर बना
सहारा के इतिहास में वो दौर भी आया जब सहारा ग्रुप रेलवे के बाद देश का दूसरा सबसे बड़ा एम्प्लॉयर बन गया। ऑफिस और फील्ड को मिलाकर सहारा के अंब्रेला तले काम करने वाले एम्प्लॉइज की संख्या 12 लाख तक पहुंच गई। कोई भी प्राइवेट कंपनी आज तक देश में ये आंकड़ा नहीं छू पाई है।
सेबी से विवाद के बाद सहारा समूह का पतन
रेलवे के बाद सबसे ज्यादा नौकरियां देने वाले सहारा समूह का पतन सेबी के साथ हुए विवाद से शुरू हुआ। सेबी ने सहारा की दो कंपनियों में जमा निवेशकों की रकम को नियम विरुद्ध तरीके से दूसरी कंपनियो में ट्रांसफर करने पर आपत्ति करते हुए करीब 24 हजार करोड़ रुपए जमा कराने का आदेश दिया था। बाद में मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। कोर्ट ने अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल करते हुए कई महीने तक सुब्रत राय को जेल में रखा। सहारा समूह की संपत्तियों की बिक्री पर रोक लगा दी गयी।
इस प्रकार से नीचे गिरता गया सुब्रत रॉय का ग्राफ
कोर्ट के आदेश पर बिकने वाली संपत्तियों से मिलना वाली रकम भी सहारा को सेबी के पास जमा कराने का आदेश दिया। सहारा ने कुछ किस्तों में सेबी को कुल जमा धनराशि का बड़ा हिस्सा दिया, लेकिन पूरी रकम को जमा नहीं कर सका। इस बीच सहारा ग्रुप की कंपनियों और उसके निदेशकों के खिलाफ कई राज्यों में सैंकड़ों मुकदमे दर्ज होते गए और पुलिस सुब्रत राय और बाकी निदेशकों की तलाश में लखनऊ समेत कई जगहों पर छापा मारती रही। हालांकि सहारा समूह को कुछ राहत तब मिली जब केंद्र सरकार ने सहारा के निवेशकों की रकम को वापस करने के लिए पोर्टल शुरू किया।