उमेश पाल हत्याकांड के आरोपी माफिया अतीक अहमद को उत्तर प्रदेश पुलिस अहमदाबाद की साबरमती जेल से रविवार शाम 5:45 बजे प्रयागराज के लिए रवाना हो गई। दो वैन में करीब 30 हथियारबंद जवान मौजूद हैं। जेल के बाहर निकते समय अतीक को विकास दुबे की याद आ गई और मीडिया से कहा, कोर्ट के कंधे का इस्तेमाल कर ये मेरी हत्या करना चाहते हैं। ऐसे में ये चर्चा और तेज हो गई कि कहीं विकास दुबे की तरह अतीक का भी तो एनकाउंटर नहीं कर दिया जाएगा।
अतीक को लाने की जिम्मेदारी आईपीएस अभिषेक के कंधे पर
जानकारी के लिए आपको बता दें कि माफिया अतीक को अहमदाबाद के साबरमती जेल से यूपी लाने की जिम्मेदारी आईपीएस अभिषेक भारती को मिली है। बता दें कि अभिषेक भारती वर्तमान में डीसीपी गंगानगर के पद पर तैनात हैं। उनके नेतृत्व में तीन एसीपी और 40 पुलिसकर्मियों का दस्ता साबरमती जेल पहुंचा है। दो प्रिजन वैन और तीन चार पहिया गाड़ियों से पुलिस की टीम साबरमती जेल पहुंची है। इसके बाद शाम को आईपीएस अभिषेक फोर्स के साथ अतीक को लेकर प्रयागराज के लिए निकल पड़े हैं।
जेल से निकलने पर घबराया अतीक, चेहरा दिखा मुरझाया
रविवार की शाम को साबरमती जेल से अतीक अहमद जैसे ही बाहर निकला, उसका चेहरा उतरा नजर आया। बुरी तरह घबराए हुए अतीक को पुलिसकर्मियों ने धक्का देकर बख्तरबंद वाहन में चढ़ाया। इस दौरान उसे मीडिया से बातचीत नहीं करने दी गयी। अतीक को पुलिस सड़क मार्ग से प्रयागराज ला रही है। छह गाड़ियों का काफिला लगातार सफर करते हुए प्रयागराज की दूरी को तय करेगा। उसे सोमवार शाम तक प्रयागराज लाने की तैयारी है।
जिसके बाद उसे नैनी जेल की हाई सिक्योरिटी बैरक में रखने की तैयारी है। वहीं सूत्रों की मानें तो अतीक अहमद के छोटे भाई अशरफ को भी पुलिस बरेली जेल से प्रयागराज ला सकती है। अशरफ भी उमेश पाल अपहरण कांड में आरोपी है। सूत्रों के मुताबिक सजा के एलान के समय वह भी अतीक अहमद के साथ कटघरे में मौजूद रहेगा।
प्रयागराज में 28 मार्च को सुनाई जाएगी सजा
माफिया अतीक अहमद उमेश पाल हत्याकांड के मामले में आरोपी है और उसे 28 मार्च को सजा सुनाई जाएगी। उसे साबरमती जेल से लाने के लिए पुलिसकर्मियों की एक टीम भेजी गई है। जिसमें दो बख्तरबंद गाड़ियों के साथ करीब 50 पुलिसकर्मी शामिल हैं। इसके अलावा एसटीएफ की एक टीम भी शामिल है।
प्रयागराज स्थित एमपी-एमएलए कोर्ट में अतीक को अदालत में पेश करना होगा। अतीक और अशरफ पर राजूपाल हत्याकांड के एक वर्ष बाद वर्ष 2006 में उमेश पाल का अपहरण कर उसे गवाही न दिए जाने के लिए बंधक बनाकर पीटने और धमकाने का आरोप है। इसका मुकदमा उमेश पाल ने वर्ष 2007 में दर्ज कराया था जिसकी सुनवाई पूरी हो चुकी है।