एसएमयूपीन्यूज, ब्यूरो। किरेन रिजिजू से कानून मंत्रालय वापस लिया गया है। किरण रिजिजू की जगह अर्जुन राम मेघवाल को कानून मंत्री बनाया गया है। रिजिजू को भू विज्ञान मंत्रालय दिया गया। जुलाई 2021 में रविशंकर प्रसाद की जगह पर रिजिजू को कानून मंत्रालय का जिम्मा सौंपा गया था। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर अचानक किरेन रिजिजू के हाथों से कानून मंत्रालय क्यों छिन लिया गया? सवाल उठने लगे कि क्या सुप्रीम कोर्ट से उलझने के कारण कानून मंत्री हटाए गए।
दो साल पहले रविशंकर का हटाकर दी गई थी जिम्मेदारी
करीब दो साल पहले रविशंकर प्रसाद को हटाकर किरेन रिजिजू को कानून मंत्री की अहम जिम्मेदारी दी गई थी। आज सुबह अचानक राष्ट्रपति भवन से मोदी सरकार में बड़े फेरबदल का आदेश आया। रिजिजू को हटाकर राजस्थान के बड़े दलित नेता और कई मंत्रालय संभाल चुके अर्जुन राम मेघवाल को यह जिम्मेदारी दी गई है। रिजिजू को नया भूविज्ञान मंत्री बनाया गया है। यह फैसला क्यों लिया गया, इसकी दो प्रमुख वजहें हो सकती हैं।
सुप्रीम कोर्ट से टकराव बनी वजह
कानून मंत्री रहते हुए किरेन रिजिजू लगातार न्यायपालिका पर सवाल उठा रहे थे।कॉलेजियम व्यवस्था को लेकर किरेन लगातार न्यायपालिका पर सवाल उठा रहे थे। सार्वजनिक तौर पर वह न्यायपालिका और न्यायाधीशों को लेकर तंज कस रहे थे। इससे न्यायपालिका और सरकार के बीच की दूरियां बढ़ने लगी थीं।हालात ऐसे बन गए कि सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू द्वारा कॉलेजियम सिस्टम के खिलाफ की गई टिप्पणी पर कार्रवाई की मांग की जाने लगी।
मंत्रालय बदलने के पीछे कहीं यह नहीं रही वजह
दो दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि उसके पास इससे निपटने के लिए व्यापक दृष्टिकोण है। हालांकि,पिछले कुछ दिनों में सुप्रीम कोर्ट के कई ऐसे फैसले आए, जो एक तरह से केंद्र सरकार के खिलाफ ही थे। ऐसे में अगर रिजिजू और न्यायपालिका के बीच का ये विवाद आगे भी जारी रहता तो आने वाले दिनों में केंद्र सरकार को ज्यादा फजीहत का सामना करना पड़ सकता था। अगले साल लोकसभा चुनाव भी है। इसलिए संभव है कि सरकार कोई रिस्क नहीं लेना चाहती थी। संभव है कि इसी के चलते रिजिजू का मंत्रालय बदला गया हो।
राजस्थान और अरूणाचल प्रदेश का चुनाव तो नहीं है वजह?
मोदी कैबिनेट में फेरबदल की दूसरी बड़ी वजह चुनाव से भी जोड़कर देखी जा रही है।राजस्थान में अगले कुछ महीनों में चुनाव होने हैं। वहीं, अगले साल अप्रैल में ही अरुणाचल प्रदेश में भी चुनाव होने हैं।कर्नाटक में हार के बाद भाजपा कोई नया रिस्क नहीं लेना चाहती है। ऐसे में संभव है कि अर्जुन राम मेघवाल को कानून मंत्री का पद देकर राजस्थान को साधने की कोशिश की गई है।राजस्थान में दलितों की आबादी 17 फीसदी है। अर्जुन राम मेघवाल दलितों के बड़े नेता माने जाते हैं। बीकानेर लोकसभा सीट से भाजपा सांसद का कद बढ़ाकर राजस्थान को संदेश देने की भी कोशिश की गई है।