लखनऊ। यूपी की बरेली में प्रेमी का मुहब्बत पाने के लिए निशा ने घर छोड़ दिया। प्रेमी राजेश संग सात फेरे लेने के लिए कई दिनों तक भटकीं। फिर बरेली स्थित अगस्त्य मुनि आश्रम के बारे में जानकारी हुई। यहां आश्रम के आचार्य केके शंखधार से मिलकर पूरा घटनाक्रम बताया और बालिग होने के प्रपत्र सौंपे। इसके बाद निशा इस्लाम को छोड़कर आचार्य से विवाह की रस्म पूरी कराई। राजेश से विवाह के बाद निशा की नई पहचान अब राधिका बन गई है।

अगस्त्य मुनि आश्रम पहुंचकर दोनों ने रचाई शादी

निशा मूल रूप से बिजनौर के सबदलपुरपुर की रहने वाली हैं जबकि उनके प्रेमी राजेश कुमार बिजनौर के ही नहटौर स्थित मुकीमपुर गांव के निवासी हैं। राजेश के अनुसार, सबदलपुर गांव में उनकी रिश्तेदारी है जिसके चलते वहां आना जाना रहता था। पांच साल पूर्व निशा से उनकी मुलाकात हुई। धीरे-धीरे बातचीत का दौर शुरू हुआ और दोनों एक दूसरे को दिल दे बैठे। दोनों ने एक होने का फैसला किया।

इस बीच निशा के घर वालों को राजेश से उसके संबंधों की जानकारी हो गई जिसका घर वालों ने विरोध किया। इसी के बाद निशा ने सात मई को घर छोड़ दिया और राजेश संग चली आई। राजेश घर से निकलकर प्रयागराज, रायबरेली समेत कई जनपदों में भटके। इस बीच बरेली के मढ़ीनाथ स्थित अगस्त्य मुनि आश्रम के आचार्य केके शंखधार के बारे में जानकारी हुई। दोनों आश्रम पहुंचे।

विवाह के बाद निशा ने अपना नया नाम राधिका रखा

केके शंखधार ने विवाह के रस्म पूरी कराई। विवाह के बाद निशा ने अपना नया नाम राधिका रखा। राधिका ने कहा कि इस्लाम धर्म में महिलाओं की कोई इज्जत नहीं है। लड़कियों को बोझ समझा जाता है। अंदाजा लगा सकते हैं कि तीन भाइयों में वह इकलौती हैं, फिर भी कोई इज्जत नहीं थी।

पिता कहते थे कि तुम्हारी शादी में बहुत पैसा खर्च होगा। वह पैसा कहां से आएगा। इस्लाम में दहेज के सवाल पर कहा कि वहां भी दहेज चलता है। तीन तलाक, हलाला जैसी तमाम कुरीतियां व्याप्त हैं, इसीलिए सनातन धर्म को स्वीकार किया। सनातन धर्म में महिलाओं की इज्जत है। उनका पूरा सम्मान होता है। राजेश हरिद्वार में एक बिजली फैक्ट्री में नौकरी करते हैं।

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