उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के संगम तट पर मकर संक्रांति का स्नान करने के लिए शनिवार को आस्था का जनसैलाब उमड़ा पड़ा। कड़ाके की ठंड और कोहरा पड़ने के बाद भी भोर होते ही लोग संगम में स्नान ध्यान करना शुरू कर दिया। दिन निकलते ही संगम के सभी घाटों पर भारी भीड़ उमड़ पड़ी। जैसे-जैसे धूप निकलती गई वैसे-वैसे घाटों पर भीड़ बढ़ती रही। संगम पर स्नान के दौरान भक्तों को किसी प्रकार की दिक्कत न हो। इसके लिए सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किया गया है। मकर संक्रांति के मौके पर प्रयागराज के माघ मेले में 40 से 50 लाख श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद जताई जा रही है।

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में लगातार कड़ाके की ठंड पड़ने के बाद भी प्रयागराज में संगम तट पर स्नान करने के लिए शुक्रवार की रात की बड़ी संख्या में देश व विदेश से भक्त पहुंच गए। पूरा माघ मेला क्षेत्र रात में ही श्रद्वालुओं से भरा पटा नजर आया। हालांकि भक्तों के रहने के लिए मेला क्षेत्र में मेला प्रशासन द्वारा व्यापक इंतजाम किया गया था। मेला क्षेत्र में रुके भक्तों ने रात गुजारने के बाद सुबह होते ही इस कड़ाके के ठंड में स्नान ध्यान शुरू कर दिया। जैसे-जैसे दिन निकलता गया वैसे-वैसे संगम में स्नानिथियों की भीड़ बढ़ती रही। Makar Sankranti festival

मेला क्षेत्र में 5000 पुलिसकर्मियों की तैनाती


मकर संक्रांति के स्नान पर्व पर आने वाले श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की दिक्कत न हो। इसीलिए संगम के किनारे-किनारे कई किमी एरिया में 14 घाट बनाए गए हैं। इन घाटों पर कपड़ा बदलने और साफ-सफाई से लेकर कई दूसरी व्यवस्थाएं की गई हैं। पर्व के मौके पर श्रद्धालु संगम से नाव तक जा रहे हैं, लेकिन मोटर बोटों का संचालन प्रतिबंधित रखा गया है। इसके साथ ही सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए गए हैं। मेला क्षेत्र में तकरीबन 5000 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। इसके अलावा पैरामिलिट्री फोर्स और एटीएस कमांडो खास तौर पर निगरानी कर रहे हैं।

रात में संगम तट पर अद्भत नाजारा

आपको बता दें कि शनिवार की रात सूर्य उत्तरायण हो रहे हैं, इसीलिए स्नान सुबह से ही आरंभ हो गया। हालांकि पुण्यकाल की मान्यता रखने वाले रविवार को संक्रांति की डुबकी लगाएंगे। जगमग दूधिया एलईडी बल्बों, रंग-बिरंगी रोशनियों से संगम की रेती पर तंबुओं का भव्य नगर सज गया है। गंगा, यमुना, अदृश्य सरस्वती की गोद आस्था-विश्वास की अनंत बूंदों से भर गई है। ज्ञान की गहरी जड़ों के रूप में विराजित अक्षय वट से लेकर त्रिवेणी, काली और गंगोली शिवाला मार्ग तक संतों, भक्तों, कल्पवासियों के लाल, पीले, नीले, हरे शिविर सजने के साथ ही माघ मेले की छटा निहारते बन रही है। 

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