एसएमयूपीन्यूज, ब्यूरो। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली के द्वारका सेक्टर 10 विजयादशमी समारोह में शामिल होकर रावण दहन किया। पीएम मोदी द्वारका में आयोजित श्री रामलीला सोसायटी की 11वें भव्य रामलीला में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे थे। यहां उन्होंने राम-सीता और लक्ष्मण की आरती की। कार्यक्रम में लोगों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि मैं समस्त भारतवासियों को शक्ति उपासना पर्व नवरात्रि और विजय पर्व विजयादशमी की अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं। विजयादशमी का ये पर्व, अन्याय पर न्याय की विजय, अहंकार पर विनम्रता की विजय और आवेश पर धैर्य की विजय का पर्व है।

अगली रामनवमी रामलला के मंदिर में मनेगी-पीएम मोदी

दिल्ली के द्वारका में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विजयादशमी के मौके पर कहा कि आज हमें सौभाग्य मिला है कि हम भगवान राम का भव्यतम मंदिर बनता देख पा रहे हैं। अयोध्या की अगली रामनवमी पर रामलला के मंदिर में गूंजा हर स्वर, पूरे विश्व को हर्षित करने वाला होगा। राम मंदिर में भगवान राम के विराजने को बस कुछ महीने बचे हैं।

हम श्रीराम की मर्यादा भी जानते हैं, सीमाओं की रक्षा भी जानते हैं- पीएम मोदी

पीएम ने आगे कहा कि हम गीता का ज्ञान भी जानते हैं और आईएनएस विक्रांत और तेजस का निर्माण भी जानते हैं। हम श्रीराम की मर्यादा भी जानते हैं और अपनी सीमाओं की रक्षा करना भी जानते हैं। हम शक्ति पूजा का संकल्प भी जानते हैं और कोरोना में सर्वे सन्तु निरामया के मंत्र को भी जी करके दिखाते हैं। इस बार हम विजयादशमी तब मना रहे हैं, जब चंद्रमा पर हमारी विजय को दो महीने पूरे हुए हैं। विजयादशमी पर शस्त्र पूजा का भी विधान है। भारत की धरती पर शस्त्रों की पूजा किसी भूमि पर आधिपत्य नहीं, बल्कि उसकी रक्षा के लिए की जाती है।

विजयादशमी पर लोगों से दस संकल्प लेने की अपील

प्रधानमंत्री मोदी ने विजयादशमी के मौके पर लोगों से दस संकल्प लेने को कहा। इसमें क्वॉलिटी काम पर फोकस, आने वाली पीढ़ियों को ध्यान में रखकर पानी बचाना है , स्वच्छता, वोकल फॉर लोकल, पहले पूरा देश घूमेंगे फिर विदेश, प्राकृतिक खेती, मिलेट्स, योग फिटनेस पर ध्यान, एक गरीब परिवार का सदस्य बनकर उनका सामाजिक और आर्थिक स्तर बढ़ाएंगे।

आज रावण का दहन सिर्फ पुतले का दहन न हो-पीएम मोदी

पीएम मोदी ने आगे कहा कि हमें ध्यान रखना है कि आज रावण का दहन सिर्फ पुतले का दहन न हो। ये दहन हो हर उस विकृति का जिस कारण से समाज का आपसी सौहार्द बिगड़ता है। ये दहन हो उन शक्तियों का जो जातिवाद और क्षेत्रवाद के नाम पर मां भारती को बांटने का प्रयास करती हैं। ये दहन हो उन विचारों का जिनमें भारत का विकास नहीं स्वार्थ की सिद्धि निहित है।

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