लखनऊ । यूपी एसटीएफ को 18 महीने में लगभग एक करोड़ रुपये खर्च कर तीन हैकरों, छह डिवाइस, तीन कीलागर साफ्टवेयर,तीन बैंक अधिकारियों की मदद से उत्तर प्रदेश कोआॅपरेटिव बैंक लि. मुख्यालय लखनऊ के सर्वर को हैक कर, प्रबन्धक व कैशियर के लागिन आइडी पासवर्ड प्राप्त कर, सिस्टम को रिमोट एक्सिस पर लेकर एनएडी अनुभाग में खुले सात खातों से आठ लेन-देन के माध्यम से 146 करोड़ रुपये के आरटीजीएस करके ठगी करने वाले साइबर अपराधियों के संगठित गिरोह के 25000 रुपये 25000 रुपये के दो पुरस्कार घोषित अपराधियों को लखनऊ से गिरफ्तार करने मे उल्लेखनीय सफलता प्राप्त हुई। गिरफ्तार अभियुक्त का नाम अमरेंद्र कुमार सिंह उर्फ बबलू ठेकेदार पुत्र स्व. कृष्ण मुरारी सिंह निवासी ग्राम व पोस्ट छिछोर थाना हलधरपुर जनपद मऊ, सुनील कुमार यादव पुत्र श्याम बिहारी यादव निवासी रामपुर थाना रामनगर जनपद वाराणसी है।

वर्ष 2022 में पांच अभियुक्तों को किया जा चुका है गिरफ्तार

16 अक्टूबर 2022 को अजय कुमार त्रिपाठी, सहायक महाप्रबन्धक, एनएडी यूपी कोआपरेटिव बैंक मुख्यालय लखनऊ द्वारा साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन पर सूचना प्रद्योगिकी (संशोधन) अधिनियम-2008 पंजीकृत कराया गया कि 15 अक्टूबर 2022 को अपराह्न 2:45 से 3:25 बजे के मध्य यूपी कोआपरेटिव बैंक लि. के एनएडी अनुभाग में खुले जिला सहकारी बैंकों के सात खातों से आठ लेन-देन के माध्यम से विकास पाण्डेय, सहायक कैशियर एवं मेवालाल प्रबन्धक की सीबीएस आईडी से अनाधिकृत तरीके से अन्य बैंक आईसीआईसीआई एवं एचडीएफसी के खातों में 146.00 करोड़ आरटीजीएस के माध्यम से ट्रान्सफर किये गये हैं। जिसके क्रम में एसटीएफ मुख्यालय स्थित साइबर टीम द्वारा अभिसूचना संकलन कर 31 अक्टूबर 2022 को पालीटेक्निक चौराहा लखनऊ से उपरोक्त अपराध में संलिप्त साइबर अपराधियों के संगठित गिरोह के दो मास्टर माइण्ड सहित पांच अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया था।

पकड़े गए अभियुक्तों पर रखा गया था पचीस-पचीस हजार का इनाम

यूपी कोआॅपरेटिव बैंक लि. के सर्वर को हैकरों व बैंक अधिकारियों की मदद से हैक कर 146 करोड़ के फ्राड आरटीजीएस करने का प्लान तैयार कर हैकरों की व्यवस्था करने वाले अमरेन्द्र सिंह उर्फ बबलू व सुनील यादव जो तभी से फरार चल रहे थे, की गिरफ्तारी पर पुलिस अधीक्षक साइबर क्राइम यूपी लखनऊ द्वारा पच्चीस-पच्चीस हजार का पुरस्कार घोषित किया गया था। जिसके क्रम में विशाल विक्रम सिंह अपर पुलिस अधीक्षक, एसटीएफ के पर्यवेक्षण मे एसटीएफ मुख्यालय स्थित साइबर टीम द्वारा तकनीकी विषेषज्ञता व मुखबिर के माध्यम से अभिसूचना संकलन कर बुधवार को समय करीब 12:35 बजे, फनमाल के सामने मेनरोड लखनऊ से उपरोक्त साइबर अपराधियों के संगठित गिरोह के 25000- 25000 रुपये के दो पुरस्कार घोषित अपराधियों को गिरफ्तार किया गया।

रुपये हैंक करने के लिए यह बनाई कार्ययोजना

पूछताछ में गिरफ्तार अभियुक्त अमरेन्द्र कुमार सिंह ने बताया कि वर्ष 1994 में बीएचयू वाराणसी से बीकाम किया। इसके बाद वर्ष 2000 से 2018 तक जनपद मऊ में जिला पंचायत व पीडब्लूडी में ठेकेदारी का काम करता था। इसके बाद लखनऊ में जमीन की ब्रोकरी के काम के लिए आया। यहां पर मेरी मुलाकात सुनील यादव, रवी वर्मा, ज्ञानदेव पाल, ध्रुव कुमार आदि से हुई।

वर्ष 2021 में प्रापर्टी के काम में मेरी एक हैकर से मुलाकात हुई जो बैंक के डेड एकाउंट को हैक कर रुपए ट्रांसफर कर लेता था। तब मैंने यह बात सुनील कुमार यादव को बतायी तो सुनील ने रवी वर्मा, ज्ञानदेव पाल, व ध्रुव से एक मीटिंग करायी। तब मैंने बताया कि मेरे पास एक हैकर है। यदि हम लोग बैंक के किसी अधिकारी को सेट कर लें तो बैंक के सिस्टम को रिमोट एक्सिस पर लेकर बैंक से करोड़ रुपए अपने फर्जी खातों में ट्रांसफर कर लेंगें।

कुशीनगर से हैकर बुलवाकर तैयार कराई थी डिवाइसें

इसके बाद हम लोगों की मीटिंग भूपेन्द्र सिंह जो ज्ञान का जानने वाला था, के माध्यम से कर्मवीर सिंह सहायक प्रबन्धक, यूपी कोआपरेटिव बैंक लि., महमूदाबाद से हुई। इसके बाद मैंने उस हैकर को मुम्बई व एक अन्य हैकर को कुशीनगर से बुलाया। उन हैकरों द्वारा कई अलग अलग डिवाइसें तैयार की गयीं, डिवाइसों को कर्मवीर सिंह व ज्ञानदेव पाल बैंक के सिस्टम में लगाते रहे। आठ बार प्रयास किया गया पर सफलता नहीं मिली।

इसी बीच मैं काम से मऊ चला गया तब कुछ महीने बाद रवी व सुनील ने फोन कर बताया कि हम लोगों की मुलाकात रामराज जो कि लोक भवन में अनुभाग अधिकारी है, से हुई है, उन्होंने एक हैकर उपलब्ध कराया है जो डिवाइस तैयार करेगा। इसके बाद मैं लखनऊ आ गया। रामराज द्वारा उपलब्ध कराये गये हैकर ने डिवाइस तैयार किया। रामराज की टीम में ही उमेश गिरी था जिसने आरएसदुवे पूर्व बैंक प्रबन्धक से सम्पर्क किया। दिनांक 14 अक्टूबर 2022 को आरएसदुवे, रवि वर्मा व ज्ञानदेव पाल साय: 6:00 बजे के बाद बैंक गये।

एकाउंट फ्रीज हो जाने के कारण नहीं निकाल पाए रुपये

कीलागर इन्सटाल किया व डिवाइस लगायी। 15 अक्टूबर 2022 को सुबह हम लोग पांच टीमों के लगभग 15-20 लोग के साथ केडी सिंह बाबू स्टेडियम के पास पहुंचे। बैंक लंच के समय पर आरएस दुवे बैंक के अन्दर गये तब ज्ञानदेव पाल, उमेश गिरी, रवी वर्मा, सुनील आदि ने मिलकर 146.00 करोड़ रुपए गंगासागर सिंह की कम्पनियों के अलग अलग खातों में आरटीजीएस के माध्यम से अलग अलग लोकेशन से ट्रांसफर कर दिये।

इसके पश्चात गैंग के सभी सदस्य ब्रेक प्वाइन्ट ढावा लखनऊ अयोध्या रोड बाराबंकी पर गये। इसी बीच गंगासागर के एकाउंट फ्रीज हो गये। जिससे रुपए नहीं निकल पाये। जिसके बाद हम लोग लखनऊ से फरार हो गये थे सुनील कुमार यादव ने अमरेन्द्र सिंह द्वारा बतायी गयी बातों का समर्थन किया।उपरोक्त गिरफ्तार अभियुक्तों को साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन, लखनऊ में मुकदमा दर्ज किया जा रहा है।

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