गोरखपुर। प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने कहा है कि आज देश बहुत बड़ी चुनौती का सामना कर रहा है। आजादी के आंदोलन और संविधान निर्माण की प्रक्रिया से प्राप्त समानता, न्याय, समाजवाद के मूल्य पर चोट पहुंचाई जा रही है। गैरबराबरी आज सबसे वीभत्स रूप से हमारे सामने है। कानून में संशोधन कर और कानून को बदल कर किसानों, मजदूरों, आदिवासियों, के हक हकूक छीने जा रहे है। आंदोलनों की आवाज को कुचलने के लिए जनता को बांटने व लड़ाने का प्रयास हो रहा है। ऐसे समय में जनआंदोलनों की राजनीति बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है। हमे एक होकर संगठित शक्ति में बदलना होगा और देश, संविधान, जनतंत्र को बचाने की लड़ाई लड़नी होगी।

लोकतंत्र के स्तम्भ का पहला स्तम्भ देश की जनता

मेधा पाटकर आज गोरखपुर जर्नलिस्ट्स प्रेस क्लब सभागार में जन संस्कृति मंच द्वारा आयोजित संवाद कार्यक्रम में बोल रही थीं। उन्होंने एक घंटे के अपने वक्तव्य में कहा कि जन आंदोलनों के राष्टीय समन्वय ने अपने गठन के दौरान देश बचाओ, देश बनाओ का नारा दिया था। यह नारा आज भी बेहद महत्वपूर्ण है। देश को मूर्ति नहीं है बल्कि इस देश की जनता है। लोकतंत्र के स्तम्भ का पहला स्तम्भ देश की जनता है। देश बचाने का मतलब जल , जंगल, जमीन बचाना है। पर्यावरण बचाना है, देश के संसाधनों को बेचने से बचाना है।

देश की संपदा पूंजीपतियों को बेची जा रही है : पाटकर

उन्होंने कहा कि आज हम एकदम विपरीत प्रक्रिया के अनुभव से गुजर रहे हैं। आवास का अधिकार, जीने का अधिकार, रोजगार का अधिकार, बोलने के अधिकार पर हमला हो रहा है। ऐसी अर्थव्यवस्था निर्मित की जा रही है जिसका रोजगार से कोई रिश्ता नहीं है। लाखों सरकारी पद खाली हैं। देश की संपदा पूंजीपतियों को बेची जा रही है। अर्थव्यवस्था पूंजीपतियों को और अमीर और देश की बहुसंख्यक जनता को गरीब बनाने की दिशा में चल रही हैं। अडानी की संपत्ति हर रोज 1600 करोड़ बढ़़ रही है जबकि 80 करोड़ जनता को पांच किलो राशन पर संतुष्ट रहने को कहा जा रहा है। लाॅकडाउन में अमीरों की सम्पत्ति छह गुना बढ़ गयी। पंूजीपतियों का 44 लाख करोड़ का कर्ज बट्टे खाते में डाल दिया गया।

गठबंधन विचारधारा के आधार पर होना चाहिए

संवाद कार्यक्रम में अब्दुल्ला सिराज, मेधा सिंह, आनंद राय, गौतम लाल श्रीवास्तव, मंजीत सिंह, प्रदीप सुविज्ञ सहित कई लोगों ने सवाल पूछे जिसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि गठबंधन विचारधारा के आधार पर होना चाहिए। देश में चल रहे विभिन्न आंदोलनों को एक साथ आना चाहिए। सोशल मीडिया के जरिए सत्ता व बाजार द्वारा फैलाए जा रहे झूठ का खंडन करने का लिए भी हमें सचेत कोशिश करनी चाहिए। उन्हाेंने कॉरपोरेट के पाखंड से भी सावधान रहने की अपील की। कार्यक्रम में आलोचक डॉ अरविंद त्रिपाठी ने भगवत रावत ‘ मेधा पाटकर ’ शीर्षक कविता का पाठ किया। कार्यक्रम का संचालन जन संस्कृति मंच के महासचिव मनोज कुमार सिंह ने किया।

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