उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में अजीबों गरीब मामला प्रकाश में आया है। यहां पर एक किशोर अपने गले में तख्ती के एक बैनर पर लिखकर साहब अभी मैं जिंदा हूं लिखकर सरकारी दफ्तरों का चक्कर काट रहा है। यह इसलिए उसे करना पड़ा क्योंकि गांव के ही पड़ोसी ने उसकी जमीन काे कागजात में गड़बड़ी करके अपने नाम करवा लिया है। जबकि वह किशोर अपने पिता का इकलौता पुत्र है। वर्तमान में उसके पिता की मौत हो चुकी है। यह सारा कारानामा अधिकारियों की मिली से संभव हो पाया है।

एसडीएम द्वारा सेक्रेटरी, लेखपाल से इस मामले में मांगा गया है जवाब

आपको बता दें कि देवरिया अभिलेखों में हेराफेरी करके किसी की जमीन को दूसरे के नाम पर कैसे किया जा सकता है, इसका एक ताजा कारनामा देवरिया जिले से सामने आया है। आरोप है कि यहां एक गांव में माता-पिता की मौत के बाद 14 साल के बेटे का नाम परिवार रजिस्टर से गायब कर दिया गया। आरोप है कि इसके बाद दस्तावेजों में हेराफेरी कर ग्राम प्रधान द्वारा जमीनों को अपने नाम से खतौनी में दर्ज करवा लिया गया।

जब यह बात किशोर को पता चली तभी से वह अपने जिंदा होने का सबूत दे रहा है और तख्ती लिए गांव और दफ्तरों के चक्कर काट रहा है. किशोर कह रहा है किसाहब मैं अभी जिंदा हूं।आपको बता दें कि जब एसडीएम ने गांव पहुंचकर इस पूरे मामले की जांच की तो प्रकरण सही पाया गया। एसडीएम द्वारा सेक्रेटरी, लेखपाल से इस मामले पर जवाब मांगा गया है। इस मामले में आरोपी प्रधान का कहना है कि उसके परिवार के लोगों ने यह काम किया है।

किशोर के पिता की मौत होने के बाद ग्राम प्रधान ने रची यह साजिश

दरअसल बता दें कि भटनी क्षेत्र के गांव पिपरा देवराज निवासी राम आशीष सिंह की कई सालों से सेहत खराब थी। उनके साथ उनकी पत्नी और अकेले 14 वर्षीय बेटा विजय प्रताप सिंह रहते थे। 2021 को पत्नी की मौत हो गई। घर में दिक्कतों को देखते हुए राम अशीष अपने बेटे को लेकर अपने मामा के घर चले गए और वहीं रहने लगे। बीमारी से जूझ रहे राम आशीष ने भी 6 महीने बाद दम तोड़ दिया।

आरोप है कि ग्राम प्रधान अवधेश सिंह ने ग्राम पंचायत सेक्रेटरी से मिलीभगत कर परिवार रजिस्टर से राम अशीष और उनके बेटे विजय प्रताप का नाम लिखा हुआ पन्ना ही गायब करवा दिया। उसके बाद लेखपाल और कानूनगों की मिलीभगत से जमीन अपने और अपने भाइयों के नाम दर्ज कर।वही जब मामले के सामने आते ही पीड़ित किशोर ने वीडियो को मामले की जानकारी दी। इसके बाद तहसीलदार और एसडीएम को जानकारी दी गई। 25 दिसंबर को एसडीएम सलेमपुर गांव में जांच करने पहुंचे तो लगभग 400 गांव वालों ने विजय प्रताप के पक्ष में गवाही दी।

जब एसडीएम ने अभिलेखों को देखा तो मामला सहीं पाया गया

बताया जा रहा है कि जब एसडीएम ने अभिलेखों को देखा तो मामला सहीं पाया गया। वही मामले में अपर जिलाधिकारी ने बताया कि तहसील सलेमपुर में एक गांव है पिपरा देवराज वहां पर एक किसान राम अशीष की मौत हो गई थी। उनकी वरासत उनके परिवारी-जनों में होनी चाहिए थी, लेकिन कुछ लोगों ने कुछ अभिलेखों में फर्जीवाड़ा करके वरासत गलत तरीके से दर्ज करा ली है।

मामले की जांच की जा रही है। जांच एसडीएम सलेमपुर स्वयं कर रहे हैं। जांच में कुछ तथ्य ऐसे सामने आए हैं जिसमें प्रथम दृष्टया यह साफ हुआ है की कुछ गलतियां हुई हैं। इसको देखते हुए वहां जो लेखपाल थे उनको सस्पेंड किया गया है। बाकी कार्रवाई कर रहे हैं। वरासत यानी जमीन सही नाम पर करने के लिए तहसीलदार कोर्ट में धारा 34 के तहत मुकदमा दर्ज करा दिया।

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