शिशिर पटेल
लखनऊ । उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में इन दिनों करने के मामलों में वृद्धि देखी जा रही है। एक के बाद एक लगातार आत्महत्या करने के मामले सामने आ रहे है। अकेल मार्च माह में दो दर्जन भर से अधिक मामले आत्महत्या करने के आ चुके हैं। ज्यादातर मामलों में अभी तक यही निकल कर आया है कि खुदकुशी करने वाले ज्यादातर युवा है और हताश- निराशा और परिवारिक कलह के चलते अपनी जीवन लीला समाप्त कर ले रहे है। यह हम नहीं कह रहे है बल्कि राजधानी में इस माह में 19 दिन में 22 में की खुदकुशी । इस प्रकार देखा जाए तो राजधानी में रह दिन एक या दो लोग कहीं न कहीं किसी न किसी विवाद में खुदकुशी कर ले रहे है।
मानसिक दबाव में युवा अपना जीवनलीला ही समाप्त कर ले रहे हैं
बता दें कि लोगों की नाकामी, मानसिक तनाव, घरेलू विवाद, पारिवारिक बोझ, काम का दबाव, प्रेम-प्रसंग और पढ़ाई की चिंता से इतना ज्यादा परेशान हो जा रहे हैं कि चंद मिनटों में बिना कुछ सोचे-समझे मौत को गले लगाने का फैसला ले रहे हें। कोई फांसी लगाकर, कोई जहरीला पदार्थ खाकर तो कोई गोली मारकर आत्महत्या कर रहा है। मानसिक दबाव में युवा अपना जीवनलीला ही समाप्त कर ले रहे हैं। आत्महत्या के ज्यादातर मामलो में प्रेम-प्रसंग, पढ़ाई का बोझ, दफ्तरों में काम का बोझ और पारिवारिक विवाद कारण बताए जा रहे हैं। मार्च माह में हुए आत्महत्या के आकड़े कुछ इस प्रकार हैं।
मार्च माह में अब तक खुदकुशी का ब्योरा
एक मार्च : आलमनगर थानाक्षेत्र में आर्थिक तंगी से परेशान बुजुर्ग देवी दयाल 60 तथा मोहनालगंज थाना क्षेत्र में पूनम 35 निवासी अहमद खेड़ा गांव ने फांसी लगाकर जान दे दी। हत्या का कारण स्पष्ट नहीं।
दो मार्च : सरोजनीनगर थानाक्षेत्र में बीकॉम छात्र अंकित साहू 19 ने फांसी लगाकर जान दे दी। यह सरोजनीनगर थाना क्षेत्र के ई-कालोनी का निवासी था। मोबाइल चेक करने पर पता चला कि वह आॅनलाइन गेम खेलता था। अलीगढ़ कोतवाली के कपूरथला में एक छात्रावास में रहकर बैंकिंक की तैयारी कर रही छात्रा गीता मौर्या ने कमरे में ही फांसी लगाकर जीवन लीला समाप्त कर ली।कारण स्पष्ट नहीं हो पाया।
तीन मार्च : बक्शी का तालाब के राम सागर मिश्र शौ शैय्या के सरकारी आवास में रह रहे अनूप शुक्ला 21 निवासी वस्ती का शव एक कमरे में लटका मिला। मौके पर कोई सुसाइड नोट नहीं मिला। काकोरी थानाक्षेत्र में मोहदीनपुर गांव में श्रमिक विजय कुमार गौतम 40 ने आत्महत्या कर ली। इसी प्रकार से मडियाव में बेली गारद निवासी मनीष 21 ने खुदखुशी कर ली। बताया गया कि शादी के लिए मनमाफिक पत्नी न मिलने के कारण परेशान था। चौथी घटना डालीगंज की है। कुतुबपुर इक्का निवासी स्टैंड निवासी फाजिल 18 घर में जंगले के रस्सी के सहारे लटक गया। इसे नशे का आदी बताया गया।
चार मार्च : पारा थाना क्षेत्र में सोना बिहार निवासी राजेश की पत्नी किरण 36 कमरे में पंखे के कुंडे से डुप्पटा लगाकर फांसी लगा ली। इसमें भी खुदकुशी का कारण स्पष्ट नहीं हो पाया।
पांच मार्च : विभूतिखंड कोतवाली क्षेत्र में पूर्व पति को वीडियो कॉल कर फांसी के फंदे पर झूली महिला। पति के दूसरी शादी करने से आहत थी महिला सितारा कुमारी 25 जो मूल रूप से बिहार के सितारा जिले की रहने वाली थी, विभूतिखंड में पति के तलाक देने के बाद अकेल रह रही थी। इसी दिन काकोरी थानाक्षेत्र में सोनी 21 निवासी चौधरी खेड़ा का शव घर के अंदर पंखे से लटका मिला। चिनहट थाना क्षेत्र में दुकानदार श्याम यादव 28 घरेलू कलह से परेशान होकर आत्म हत्या कर लिया।
छह मार्च : मोहनलाल गंज के लल्लूमर गांव गांव निवासी अनुज कुमार गौतम 20 ने घर के पीछे पेड़ से लटकर जान दे दी। पुलिस जांच में खुदकुशी का कोई कारण स्पष्ट नहीं हो पाया।
सात मार्च: पाराथाना क्षेत्र में पिता की डांट से नाराज सलमान ने खुद को कमरे में बंद करके फांसी लगा ली। पुलिस से परिजनों ने बताया कि नशे का आदी था।
11 मार्च : सरोजनीनगर के खेड़ा निवासी दीपक लोधी 20 का पंखे से लटका शव मिला। खुदकुशी का कारण स्पष्ट नहीं।
15 मार्च : महानगर में 11वीं की छात्रा ईशा यादव ने घर में फांसी लगाकर जान दे दी। इसके पीछे वजह रही कि नकल करते पकड़े जाने पर प्रधानाचार्य ने फटकार लगाई थी। इसी से आहत होकर छात्रा ने अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। दूसरी घटना सआदतगंज में संजीप कनौजिया 29 और कृष्णनगर में भोलाखेड़ा निवासी राजेश कनौजिया 35 ने फांसी लगाकर जान दे दी। दोनों को नशे का आदी बताया गया। इसी दिन ही सतरिख थानाक्षेत्र में वीरेंद्र प्रताप की पत्नी आस्था 30 ने अपने घर में फांसी के फंदे पर झूल गई। घटना का कारण स्पष्ट नहीं हो सका।
16 मार्च : मोहनलागज में राजबरेली निवासी रंजीत 27 ने फांसी लगाकर जान दे दिया। खुदकुशी का कारण स्पष्ट नहीं हो पाया। दूसरी घटना आलमबाग की है। यहां पर एलएलबी की छात्रा प्रियंका 23 ने अपने ही घर में फांसी लगाकर जान दे दी। इसमें में खुदकुशी का कारण पता नहीं चल पाया।
17 मार्च : पारा थाना क्षेत्र में पॉपटी डीलर उमेश सिंह 45 ने फांसी लगा लिया। दूसरी घटना चिनहट थाना क्षेत्र की है। यहां पर विपिन कुमार 32 ने पत्नी वियोग में फांसी लगाकर जान दे दी। बताया जा रहा है कि मानसिक अवसाद में था।
क्या कहते है एनसीआरबी के आकड़े
इसके अलावा नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के अनुसार, भारत में 2020 में आत्महत्या के कुल 1,53,052 मामले दर्ज किए गए, जबकि 2021 में सात प्रतिशत अधिक कुल 1,64,033 मामले दर्ज किए गए थे।आत्महत्या को रोकना सरकार का काम नहीं है और सरकार यह काम कर भी नहीं सकती। यह जिम्मेदारी परिवार तथा समाज की है।
सबसे ज्यादा जिम्मेदारी तो परिवार की ही है। अकेलापन, शिक्षा तथा करियर में जबर्दस्त प्रतिस्पर्धा, प्रेम में विफलता, बीमारियां, उम्मीदों के मुताबिक नतीजे न मिलना, घर का नकारात्मक माहौल, गरीबी, कर्ज का बोझ जैसे कई कारण हैं जो लोगों को अवसाद में ले जाते हैं।
तनाव के लक्षण
जरूरत से ज्यादा अनजाना सा डर बने रहना। सामान्य दिनचर्या में बदलाव व कामकाज में मन न लगना। घर से बाहर निकलने में डरना, घर में अकेले और गुमसुम रहना। सामाजिक कार्यों में रुचि न होना।
तनाव से बचने के उपाय
मन में सकारात्मक विचार बनाए रखना। नकारात्मक विचारों को मन में न पनपने देना। अपनी समस्याओं को दोस्तों और परिचितों के साथ साझा करना। परिस्थितियों का मुकाबला करने की क्षमता बनाए रखना।
क्या कहते हैं मनोचिकित्सक
बलरामपुर अस्पताल में तैनात मनोचिकित्सक डा. अभय सिंह ने बताया कि आज की भाग दौड़ की जिंदगी में मानसिक तनात बढ़ गया है। पैसा कमाने की होड़ में लोग अपने परिवार में बच्चों को समय नहीं दे पा रहे है। जिसके चलते बच्चे अपने आपको अकेलापन महसूस करते है। ऐसे में उनके अंदर चिड़चिड़ापन आ जाता है। ऐसे में जब उन्हें कोई कुछ बोल देता तो आत्मघाती कदम उठा लेते है। इसके अलावा बेराजगारी और पढ़ाई को लेकर दबाव के चलते युवा आत्म हत्या कर रहे है।
समाज को ही जागरूक होने की जरूत है
इसके लिए समाज को ही जागरूक होने की जरूत है। अगर कोई बच्चा व घर के किसी सदस्य के व्यवहार में अचानक बदलाव आ रहा है। बहुत ज्यादा गुमशुम रह रहा है तो उसको ध्यान देने की जरूरत है। व्यवहार में सुधार न आने पर मनोचिकित्सक को दिखाकर सलाह ले। आत्महत्या के ज्यादातर मामलों में देखा गया कि नाकामी, मानसिक तनाव, घरेलू विवाद, पारिवारिक बोझ, काम का दबाव, प्रेम-प्रसंग और पढ़ाई की चिंता में जीवन समाप्त करने का कदम युवा उठा रहे है। यही वजह है कि आज विश्व में मौत का सबसे बड़ा चौथा कारण खुदकुशी का माना जा रहा है।