एसएमयूपीन्यूज, लखनऊ।उत्तर प्रदेश के नए डीजीपी राजीव कृष्ण के सामने अवैध धर्मांतरण, बांग्लादेशी घुसपैठ, महिला सुरक्षा, पुलिस आचरण सुधार और पंचायत चुनावों को शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराने जैसी कई अहम चुनौतियां हैं। वे आज से औपचारिक रूप से कार्यभार संभाल रहे हैं और कानून-व्यवस्था मजबूत करना उनकी प्राथमिकता होगी।
बांग्लादेशी और रोहिंग्या नागरिकों की पहचान करना बड़ी चुनौती
प्रदेश के तराई क्षेत्र में हाल के दिनों में अवैध धर्मांतरण के मामलों में तेज़ी आई है, जो सरकार और सुरक्षा एजेंसियों के लिए चिंता का विषय है। नये डीजीपी को इन गतिविधियों पर लगाम कसनी होगी। इसके अलावा यूपी में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी और रोहिंग्या नागरिकों की पहचान कर उन्हें वापस भेजना भी बड़ी जिम्मेदारी होगी।
आगामी पंचायत चुनावों को कराना होगी सबसे बड़ी परीक्षा
महिला सुरक्षा भी एक प्रमुख चुनौती है, क्योंकि विपक्ष लगातार इसी मुद्दे पर सरकार को घेरता रहा है। दुष्कर्म, छेड़छाड़ और घरेलू हिंसा जैसे मामलों में तेजी से कार्रवाई और संवेदनशीलता की उम्मीद पुलिस से की जाती है।आगामी पंचायत चुनावों को शांतिपूर्वक संपन्न कराना भी पुलिस के लिए एक बड़ी परीक्षा होगी। वहीं, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा पशु तस्करी पर सख्ती से रोक लगाने के निर्देश कई बार दिए जा चुके हैं, जिन पर अमल सुनिश्चित करना नए डीजीपी की जिम्मेदारी होगी।
नये डीजीपी के सामने जनता का भराेसा जीतना बड़ी चुनौती
साथ ही, पुलिसकर्मियों के आचरण और व्यवहार को लेकर उठते सवालों पर भी वे सख्ती दिखा सकते हैं। विभाग के भीतर से दागी व लापरवाह अधिकारियों की पहचान कर उनके खिलाफ कार्रवाई करना उनकी प्राथमिकता में रह सकता है। कुल मिलाकर, राजीव कृष्णा के सामने कानून-व्यवस्था को मजबूत करने और जनता का भरोसा जीतने की बड़ी चुनौती है। इस दिशा में नये डीजीपी को काम करना होगा। चूंकि डीजीपी प्रशांत कुमार के सेवानिवृत्त होने के बाद एक बार फिर अपराधी अपना फन उठाने का प्रयास कर सकते है।
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