लखनऊ । उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित समीक्षा अधिकारी/सहायक समीक्षा अधिकारी (प्रारंभिक) परीक्षा-2023 में हुए प्रश्नपत्र लीक प्रकरण में एसटीएफ उत्तर प्रदेश को बड़ी सफलता मिली है। एक साल से फरार चल रहे दो प्रमुख आरोपियों को एसटीएफ की टीमों ने 9 अप्रैल 2025 को भोपाल और चंदौली से गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तार किए गए अभियुक्त परीक्षा माफिया के नेटवर्क का हिस्सा थे, जो लाखों रुपये लेकर परीक्षाओं के प्रश्नपत्र पहले ही उपलब्ध करा देते थे। यह कार्रवाई परीक्षा प्रणाली में पारदर्शिता बहाल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
पूरा मामला: कैसे लीक हुआ परीक्षा का पेपर?
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग, प्रयागराज द्वारा आयोजित समीक्षा अधिकारी/सहायक समीक्षा अधिकारी (प्रारंभिक) परीक्षा-2023 दिनांक 11 फरवरी 2024 को प्रदेश भर में आयोजित की गई थी। परीक्षा शुरू होने से पहले ही प्रश्नपत्र के सोशल मीडिया पर वायरल होने की शिकायत सामने आई, जिसके बाद सरकार ने तत्काल प्रभाव से परीक्षा को निरस्त कर दिया।इस गंभीर प्रकरण की जांच विशेष कार्य बल (एसटीएफ) उत्तर प्रदेश को सौंपी गई। एसटीएफ के अपर पुलिस अधीक्षक लाल प्रताप सिंह के नेतृत्व में एक विशेष टीम गठित की गई, जिसने तकनीकी निगरानी और अभिसूचना के माध्यम से पूरे गिरोह का सुराग लगाया।
गिरफ्तारी का विवरण: दो अलग-अलग स्थानों से दबोचे गए आरोपी
1 नमन शाम्बरी
पता: 89, करमवीर नगर, नरेला भाकरी, थाना पीपलानी, भोपाल (म.प्र.)
गिरफ्तारी स्थल: पानी की टंकी के पास, करमवीर नगर, भोपाल
गिरफ्तारी समय: 09 अप्रैल 2025, दोपहर 12:50 बजे
2. शाहिद सिद्दीकी
पता: मकान नं. 621/2, नई बस्ती, कोतवाली नगर, मुगलसराय (चंदौली)
गिरफ्तारी स्थल: नई बस्ती, मुगलसराय
पेपर लीक कराने के बदले 10-12 लाख रुपये की मांग की गई
नमन ने पूछताछ में बताया कि उसकी मुलाकात राजीव नयन मिश्रा और सुभाष प्रकाश से हुई थी, जिन्होंने उसे बताया कि वे लोग परीक्षाओं के प्रश्नपत्र लीक कराते हैं। बदले में 10-12 लाख रुपये की मांग की गई।
नमन ने सुभाष प्रकाश के अकाउंट में पैसे ट्रांसफर किए और 9 फरवरी 2024 को व्हाट्सएप के माध्यम से प्रश्नपत्र प्राप्त किया। उसने 11 फरवरी को आगरा परीक्षा केंद्र पर परीक्षा दी, जिसमें वही प्रश्न पूछे गए जो व्हाट्सएप पर भेजे गए थे। साथी अभियुक्तों की गिरफ्तारी की सूचना मिलने पर उसने सारे डिजिटल साक्ष्य नष्ट कर दिए और फरार हो गया।
मार्कशीट और चेक रखकर दिया था भरोसा
शाहिद ने बताया कि सुभाष प्रकाश से उसकी मुलाकात वाराणसी में हुई थी। सुभाष ने उसे भी पेपर आउट करवाने के लिए 10-12 लाख रुपये की व्यवस्था करने को कहा। शाहिद से एक लाख रुपये नकद और एक ब्लैंक चेक लिया गया, साथ ही गारंटी के तौर पर हाईस्कूल से लेकर स्नातक तक की मार्कशीट भी रख ली गई।शाहिद को भोपाल स्थित होटल कमल पैलेस बुलाया गया, जहां उसे और अन्य युवाओं को प्रश्नपत्र व हल उत्तर दिखाए गए। 11 फरवरी को उसने केन्द्रीय विद्यालय, चंदौली में परीक्षा दी।
कानूनी कार्रवाई: कई गंभीर धाराओं में दर्ज हुआ मामला
गिरफ्तार दोनों अभियुक्तों के खिलाफ थाना सिविल लाइंस, प्रयागराज में मु०अ०सं० 74/2024 दर्ज किया गया है। इनके विरुद्ध आईपीसी की धाराआं मुकदमा दर्ज किया गया है।एसटीएफ अब भी अन्य फरार आरोपियों की तलाश में जुटी है और जांच को तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है।एसटीएफ की यह कार्रवाई उत्तर प्रदेश की प्रतियोगी परीक्षा प्रणाली में विश्वास बहाल करने की दिशा में एक ठोस प्रयास है। पेपर लीक जैसी घटनाएं न केवल मेहनती अभ्यर्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करती हैं, बल्कि पूरे भर्ती तंत्र की साख पर भी सवाल उठाती हैं। ऐसे मामलों में कठोर कार्रवाई से ही नकल माफिया पर अंकुश लगाया जा सकता है।