लखनऊ । योगी सरकार यूपी के दार्शनिक स्थल व धार्मिक स्थलों को सजाने व संवारने में जुट गयी है। ताकि यूपी पर्यटकों का आकर्षण का केंद्र बन सके। इसी के तहत आने वाले दिनों में भगवान बुद्ध की प्रथम उपदेश स्थली ऐतिहासिक सारनाथ में देव दीपावली के पहले लाइट एंड साउंड शो नए कलेवर में दिखाई और सुनाई देगा।

एनालॉग डिजिटल सराउंडिंग सिस्टम और एडवांस्ड लेज़र तकनीक से यहां शो दिखाया जाएगा । भगवान बुद्ध के जीवन से जुड़े सारे प्रसंगों को समेटे हुए लाइट एंड शो के संचालन की तैयारी चल रही है। इसे उच्च तकनीक से दिखाने की तैयारी चल रही है।

इसमें भगवान बुद्ध की संपूर्ण जीवनी रहेगी

दो भाषा में संचालित होने वाले लाइट एंड साउंड शो में भविष्य में तीसरी भाषा पाली को भी जोड़ा जाना भी प्रस्तावित है। देव दीपावली के पहले पर्यटकों के लिए लाइट एंड साउंड शो शुरू करने का पूरा प्रयास पर्यटन विभाग कर रहा है।

सारनाथ में अब भगवान बुद्ध की जीवनी और उनसे जुड़ा प्रसंग थ्री-डी इफ़ेक्ट में दिखाई देगा । उपनिदेशक पर्यटन आरके रावत की माने तो लाइट एंड शो के पुराने स्क्रिप्ट को और विस्तृत किया जा रहा है। इसमें भगवान बुद्ध की संपूर्ण जीवनी रहेगी।

18 करोड़ रुपये से किया जाएगा आधुनिकीकरण

लाइट एंड साउंड शो की अवधि लगभग 35 से 40 मिनट की होगी। अभी ये शो हिंदी और इंग्लिश भाषा में चलेगा, लेकिन भविष्य में इसमें पाली भाषा जोड़ने की योजना है।

उपनिदेशक पर्यटन के अनुसार एनालॉग नार्मल की जगह अब एनालॉग डिजिटल सराउंड सिस्टम और एडवांस लेज़र बेस्ड तकनीक से लाइट एंड शो दिखाया जाएगा ,नई टेक्नॉलजी से संचालित होने वाले शो में आवाज और पिक्चर की क्वालिटी काफी उच्च गुणवक्ता की होगी। सारनाथ में पहले से चल रहे लाइट एंड साऊंड शो को नए और आधुनिक तकनिकी से बनाया जा रहा है। जिसकी लागत लगभग 18 करोड़ है।

वाराणसी के 10 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में स्थित है सारनाथ

सारनाथ भारत के उत्तर प्रदेश के गंगा और वरुण नदियों के संगम के पास वाराणसी के 10 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में स्थित एक स्थान है। सारनाथ में हिरण पार्क है जहां गौतम बुद्ध ने पहली बार धम्म को पढ़ाया था, और जहां बौद्ध संघ कोंडन्ना के ज्ञान के माध्यम से अस्तित्व में आया था।

सारनाथ के पास रेलवे स्टेशन है, जो यात्री ट्रेनों द्वारा वाराणसी और गोरखपुर से जुड़ा हुआ है। सारनाथ के निकटतम रेलवे वाराणसी में भी है, जो इस क्षेत्र के प्रमुख रेलवे जंक्शनों में से एक है। वाराणसी रेलवे स्टेशन बड़ी संख्या में महत्वपूर्ण ट्रेनों द्वारा भारत के बाकी हिस्सों से जुड़ा हुआ है। वाराणसी से उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों के साथ-साथ भारत के अन्य हिस्सों जैसे नई दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, आगरा, लखनऊ, बैंगलोर और अहमदाबाद जैसे शहरों के लिए ट्रेन लिंक हैं।

सड़क मार्ग से सारनाथ जाने का यह है रास्ता

उत्तर प्रदेश में सारनाथ सभ्य सड़क मार्गों से राज्य के अन्य हिस्सों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। सारनाथ से निकटतम मेगा टर्मिनल सरनाथ से करीब 10 किमी दूर वाराणसी में स्थित है। वाराणसी लखनऊ, बरेली, कानपुर, इलाहाबाद, आगरा और मथुरा जैसे प्रमुख शहरों के साथ बस से जुड़ा हुआ है।

उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के साथ-साथ निजी ऑपरेटर वाराणसी से इन स्थलों तक चलने वाली नियमित बसें चलाती हैं। इसलिए, सरनाथ वाराणसी और उत्तरी भारत के अन्य प्रमुख स्थलों से सड़क से आसानी से पहुंचा जा सकता है।

धमेख स्तूप यहां का सबसे आकर्षक स्तूप

बताया जाता है कि धमेख स्तूप यहां का सबसे आकर्षक स्तूप है। इसकी स्थापना 249 ईसा पूर्व में सम्राट अशोक ने की थी। इस स्तूप को धर्म चक्र स्तूप के नाम से भी जाना जाता है। इसकी बाहरी दीवारों पर गुप्त वंश के दौरान उकेरी गई नक्काशी देखी जा सकती हैं।

सम्राट अशोक ने पूरे देश में कई स्तंभों को नवाया था। जिसमें से एक का अवशेष आज भी सारनाथ में देखने को मिलता है। शीर्ष पर चार शेर वाला ये स्तंभ भारत का राष्ट्रीय चिह्न भी हैं। इसकी प्रारंभिक उंचाई 55 फीट थी, जोकि आज 7 फीट 9 इंच का रह गया है।


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