लखनऊ। अंतिम चरण के चुनाव में सबसे चर्चित सीट बलिया पर सभी की निगाहे लगी हुई है। चूंकि बलिया संसदीय सीट की पहचान पूर्व प्रधानमंत्री व दिग्गज समाजवादी नेता चंद्रशेखर से होती है। इस संसदीय सीट की एक खासियत और भी है कि अब तक इस क्षेत्र के लोगों ने 18 बार मतदान किया है, पर एक बार भी नीला परचम को फहराने का अवसर नहीं दिया।
मतलब बसपा के खाते में यह सीट गई ही नहीं। बसपा इस सीट से आठ बार किस्मत आजमा चुकी है।इस सीट पर बसपा की पांच बार जमानत जब्त हुई है। इसके बाद भी बसपा ने हार नहीं मानी है और इस बार फिर पार्टी ने अपना उम्मीदवार उतारा है। बसपा ने भले ही अपना प्रत्याशी उतारा है लेकिन चुनाव में मुकाबला केवल सपा और भाजपा के बीच ही बताया जा रहा है।
पहले चुनाव में तीसरा स्थान
बहुजन समाज पार्टी ने अपने गठन के पांच वर्ष बाद नौवीं लोकसभा के लिए वर्ष 1989 में हुए चुनाव में पहली बार बलिया सीट पर किस्मत आजमाई। बसपा प्रत्याशी इन्द्रदेव 46913 (9.78 प्रतिशत) वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे। ये चुनाव जनता दल के चन्द्रशेखर ने जीता। चन्द्रशेखर के खाते में 251,997 (52.53 प्रतिशत) वोट आए। कांंग्रेस के जगन्नाथ चौधरी 161,016 (33.57 प्रतिशत) वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे।
दूसरे चुनाव में कायम रहा तीसरा स्थान
वर्ष 1991 के आम चुनाव में बसपा की टिकट पर राजेन्द्र राजभर मैदान में उतरे। राजेन्द्र को 34,781 (7.59 प्रतिशत) वोट मिले, और वो तीसरे स्थान पर रहे। चुनाव जनता पार्टी के चन्द्रशेखर ने 46.52 फीसदी वोट शेयर के साथ जीता। इस बार भी बसपा को कोई खास सफलता हासिल नहीं हुई। फिर भी बसपा लगी रही।
तीसरे चुनाव में तीसरा स्थान
11वीं लोकसभा के 1996 में हुए चुनाव में बसपा ने पहले दो चुनाव में मिले तीसरे स्थान को बरकरार रखा, हालांकि इस चुनाव में बसपा के वोट शेयर में करीब 5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। बसपा प्रत्याशी राजेन्द्र राजभर को 70,336 (13.11 प्रतिशत) वोट मिले। ये चुनाव समता पार्टी के चन्द्रशेखर ने 56.94 फीसदी वोट शेयर के साथ जीता। चुनाव में कुल 536,705 वोटरों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया।
चौथे चुनाव में तीसरा नंबर
सन् 1998 में बसपा ने बलिया सीट पर अपना चौथा चुनाव लड़ा। पिछले चुनाव की तुलना में इस बार उसके वोट शेयर में मामूली वृद्धि हुई। बसपा प्रत्याशी कर्नल भारत सिंह को 96,884 (15.25 प्रतिशत) वोट प्राप्त कर तीसरे स्थान पर रहे। समाजवादी जनता पार्टी (राष्ट्रीय) प्रत्याशी चन्द्रशेखर ने जीतकर कुर्सी पर कब्जा किया। चन्द्रशेखर का वोट शेयर 41.01 फीसदी रहा। भाजपा के रामकृष्ण उर्फ गोपाल 36.37 फीसदी वोट शेयर के साथ दूसरे स्थान पर रहे।
पांचवें चुनाव में तीसरा, छठे में दूसरा नंबर
1999 के आम चुनाव में बसपा पांचवीं बार बलिया के चुनाव मैदान में उतरी। बसपा प्रत्याशी रामदेव वर्मा मयूरकांत 23.25 फीसदी वोट शेयर के साथ तीसरे स्थान पर रहे। 2004 के अपने छठे चुनाव में बसपा के कपिल देव यादव 30.50 फीसदी वोट शेयर के साथ दूसरे स्थान पर रहे। इस चुनाव में बसपा पहली बार दूसरे स्थान पर काबिज हुई। 1999 और 2004 का चुनाव समाजवादी जनता पार्टी (राष्ट्रीय) के चन्द्रशेखर ने जीता।
पिछले तीन चुनाव का हाल
2009 के आम चुनाव में बसपा के संग्राम सिंह यादव 204,094 (30.11 प्रतिशत) वोट शेयर के साथ दूसरे स्थान पर रहे। ये चुनाव समाजवादी पार्टी के नीरज शेखर ने 276,649 (40.82 प्रतिशत) वोट प्राप्त कर जीता। 16वीं लोकसभा के चुनाव में बसपा के वीरेन्द्र कुमार पाठक 15.04 फीसदी वोट पाकर चौथे स्थान पर लुढ़क गए।
भाजपा के भारत सिंह ने 38.18 फीसदी वोट शेयर के साथ चुनाव में जीत हासिल की। 2019 के आम चुनाव में सपा-बसपा का गठबंधन था। बलिया सीट सपा के खाते में थी। सपा के सनातन पाण्डेय दूसरे स्थान पर रहे। चुनाव भाजपा के वीरेन्द्र सिंह ने जीता था।
इस बार अकेले चुनाव मैदान में है बसपा
इस चुनाव में बसपा अकेले मैदान में है। सपा-कांग्रेस का गठबंधन है। बलिया सीट से बसपा ने लल्लन सिंह यादव को टिकट दिया है। भाजपा ने नीरज शेखर और सपा ने पिछले चुनाव में रनर रहे सनातन पाण्डेय को मैदान में उतारा है। इस सीट पर कुल 13 प्रत्याशी मैदान में हैं। इस बार सपा और भाजपा में कांटे की टक्कर बतायी जा रही है।
बलिया की सीट को भाजपा ने हासिल करने के लिए पूरी ताकत झोंक दिया है। यही वजह है कि गृहमंत्री अमित शाह खुद की मैदान में उतर आये है और जोड़ तोड़ शुरू हो गई है। जय श्रीराम का नारा लगाकर नारद राय ने सपा छोड़ने के बाद सीधे अमित शाह से मिल गए। अन्य चर्चित नेताओं को भी भाजपा ज्वाइनिंग कराने की बात चल रही है।