एसएमयूपीन्यूज, ब्यूरो। दक्षिण-पूर्व बंगाल की खाड़ी पर कम दबाव का क्षेत्र विकसित होने से 7 मई को चक्रवाती तूफान की संभावना बन रही है। यह वर्ष का पहला चक्रवात होगा। विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) ने इस संभावित तूफान को चक्रवात मोचा नाम दिया है। मोचा बंगाल के साथ ही समूचे उत्तर भारत के मौसम पर असर डालेगा और 9 से 12 मई के बीच तेज हवाओं के साथ बारिश होने की संभावना है।आईएमडी ग्लोबल फोरकास्ट सिस्टम (जीएफएस) मॉडल ने कहा है कि मोचा 12 मई तक उत्तर, उत्तर-पूर्व और पूर्व मध्य बंगाल की खाड़ी की ओर बढ़ेगा। मई 2020 में आए सुपर साइक्लोन अम्फान ने कोलकाता सहित लगभग पूरे दक्षिण बंगाल को तबाह कर दिया था।
चक्रवात बनने के लिए अनुकूल परिस्थितियां
विंडी डॉट कॉम ने बंगाल की खाड़ी में चक्रवात बनने के लिए परिस्थितियां अनुकूल बताई है। बंगाल की खाड़ी के ऊपर उष्णकटिबंधीय चक्रवात की ताप क्षमता 100 किलोजूल प्रति वर्ग सेमी. (केजे /सेमी) से अधिक है। किलोजूल ऊर्जा मापने की एक इकाई है। यह ताप क्षमता समुद्र की ऊपरी परतों में जमा होने वाली ” ऊष्मा की मात्रा को इंगित करती है। अध्ययनों के अनुसार 60 किलोजूल प्रति वर्ग सेमी. से ऊपर की ताप क्षमता उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की तीव्रता को बढ़ा सकती है।
इस साल अल-नीनो के गर्म होने की संभावना
डब्ल्यूएमओ के अनुसार इस साल मई- जुलाई के दौरान अल-नीनो के विकसित होने की 60 प्रतिशत संभावना है। यह जून- अगस्त में लगभग 70 प्रतिशत और जुलाई- सितंबर के बीच 80 प्रतिशत तक बढ़ जाएगा। अल-नीनो औसतन हर 2 से 7 साल में होता है, जो 9 से 12 महीने रहता है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के मुताबिक अल-नीनो की स्थितियां मानसून के दौरान विकसित हो सकती हैं और मानसून के दूसरे चरण में इसका असर महसूस हो सकता है। यह पूर्वानुमान कृषि क्षेत्र के लिए चिंता का सबब है।
मोचा के संबंध में फिलहाल कोई सटीक पूर्वानुमान नहीं
आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि ग्रीष्मकालीन चक्रवाती के मार्ग की भविष्यवाणी करना बहुत मुश्किल है। आईएमडी ने भी इस बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है।