भदोही। जिले में अवैध एवं मानक के खिलाफ संचालित अल्ट्रासाउंड सेंटरों पर जिलाधिकारी गौरांग राठी के तेवर तल्ख हो गए हैं। इसके सिंडिकेट पर प्रहार होते ही संचालन करने वालों में खलबली मच गई है। महीने भर के अंदर गोपीगंज और भदोही में करीब चार सेंटर बंद हो चुके, जबकि दर्जन भर के खिलाफ जांच लंबित है। जल्द ही ऐसे सेंटरों और संचालकों पर विभागीय कार्रवाई हो सकती है।

सही रिपोर्ट न मिलने से बेहतर नहीं मिल पा रहा उपचार

खांसी, बुखार, गर्भवती महिलाओं संग अन्य बीमारी की जांच के लिए चिकित्सक अल्ट्रासाउंड सेंटर पर जांच के लिए भेजते हैं। जिले में करीब 46 सेंटर संचालित हैं, लेकिन दो दर्जन से अधिक सेंटर अनट्रेंड चला रहे हैं। जिससे मरीजों को सही रिपोर्ट न मिलने से बेहतर उपचार नहीं मिल पाता। इससे उन्हें आर्थिक और शारीरिक रूप से नुकसान उठाना पड़ता है। संचालक रेडियोलाजिस्ट की डिग्री और फोटो लगाकर पंजीकरण तो करा लेते हैं, लेकिन उसके बाद विशेषज्ञ नहीं दिखते। अल्ट्रासाउंड के रजिस्ट्रेशन के लिए रेडियोलॉजिस्ट संग एक सहायक की तैनाती जरूरी होती है।

आख्या रिपोर्ट आने पर अभी और होगी कार्रवाई

हालांकि पंजीकरण कराने के बाद अप्रशिक्षित या सहायक के सहारे ही केंद्रों का संचालन किया जाता है। संचालक स्वास्थ्य विभाग को झांसे में रखकर ऐसे चिकित्सकों के प्रमाणपत्र लगा दिए हैं जो पूर्वांचल में ही नहीं रहते। मामले की जांच हुई तो उनकी पोल पट्टी खुलने लगी। जिसको लेकर वह कर्मियों पर दबाव भी बनाने में लगे हैं। यही नहीं कुछ नेताओं के संरक्षण में उन्हें ब्लैकमेल भी किया जा रहा है।

पिछले दिनों शिकायत पर डीएम गौरांग राठी के निर्देश पर गोपीगंज में अवैध ढंग से संचालित कुछ सेंटरों पर कार्रवाई की गई। अब उनका संचालन करने वालों पर भी कार्रवाई की तलवार लटक गई है। वहीं दूसरी तरफ विमल सिंह ने जिलाधिकारी व सीएमओ को पत्र भेजकर इस मामले में जांच की मांग की। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संतोष कुमार चक ने कहा कि विशेषज्ञ की मौजूदगी जरूरी है। कुछ केंद्रों पर कार्रवाई हो चुकी है। कुछ की जांच चल रही है।आख्या आने पर कार्रवाई होगी।

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