दुश्मनों के नापाक इरादों के भांपते हुए भारत अपनी सीमाओं को अभेद कर रहा है और सेना की मजबूत कर रहा है। इसी क्रम में आईएनएस वागीर को भारतीय नौसेना में शामिल कर लिया गया है। कलवरी श्रेणी की पनडुब्बियों की पांचवीं पनडुब्बी ‘आईएनएस वागीर’ को सोमवार को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया।मुंबई के नेवल डॉकयार्ड पर नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार की मौजूदगी में आईएनएस वागीर को नौसेना में कमीशन किया गया। आईएनएस वागीर को हिंद महासागर में चीनी नौसेना की बढ़ती मौजूदगी के बीच भारतीय नौसेना में शामिल किया गया है।

कलवरी श्रेणी की पांचवी पनडुब्बी है वागीर

आईएनएस वागीर, कलावरी क्लास की पांचवी सबमरीन है। कलवारी श्रेणी की चार पनडुब्बियों को पहले ही भारतीय नौसेना में शामिल किया जा चुका है। परियोजना-75 के तहत पहली सबमरीन आईएनएस कलवरी को भारतीय नौसेना में दिसंबर 2017, दूसरी सबमरीन आईएनएल खंडेरी को सितंबर 2019 में, तीसरी सबमरीन आईएनएस करंज को मार्च 2021 में और चौथी आईएनएस वेला को नवंबर 2021 में सेवा में शामिल किया गया था। आज आईएनएस वागीर भी हिन्द महासागर की शान बन गई। छठी और आखिरी सबमरीन वागीर को 2023 के अंत तक नौसेना को सौंपे जाने की उम्मीद है।

वागीर की क्या है खास बात

नौसेना के मुताबिक, पनडुब्बी में विशेष अभियानों के लिए समुद्री कमांडो को पानी में उतारने की क्षमता है, जबकि इसके शक्तिशाली डीजल इंजन ‘बैटरी’ को काफी जल्दी चार्ज कर सकते हैं। आत्मरक्षा के लिए इसमें अत्याधुनिक ‘टॉरपीडो डिकॉय सिस्टम’ लगाया गया है। इसकी लंबाई 67 मीटर और उंचाई 21 मीटर है। पानी के ऊपर इसकी रफ्तार 20 किमी प्रतिघंटा और पानी के अंदर 40 किमी प्रतिघंटा है। इसमें 50 से अधिक सेलर और नौसेना अधिकारी काम कर सकते हैं।

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