लखनऊ। पूर्वांचल की अहम संसदीय सीट चंदौली पर पिछले दस साल से भाजपा काबिज है। 2024 के चुनाव में भाजपा जीत की हैट्रिक की तैयारी में है। वहीं सपा और बसपा के सामने इतिहास दोहराने की चुनौती है। कांग्रेस पिछले चार दशक से जीत का सूखा झेल रही है। बता दें, 2024 के चुनाव में सपा-कांग्रेस को गठबंधन है। ये सीट सपा के खाते में है। बसपा अकेले मैदान में है।

चंदौली में बसपा ने अब तक 9 चुनाव लड़े

चंदौली में बसपा ने अब तक 9 चुनाव लड़े और उसे सिर्फ 1 बार जीत का स्वाद चखने का अवसर मिला। 1989 के चुनाव में बसपा ने यहां पहली बार किस्मत आजमाई। अपने पहले चुनाव में बसपा के जगन्नाथ कुशवाहा 15.32 फीसदी वोट शेयर के साथ तीसरे स्थान पर रहे। 1991 में बसपा के छविनाथ मौर्य 19.51 फीसदी वोट शेयर के साथ तीसरे रहे। 1996 में बसपा के हेमन्त कुमार कुशवाहा और 1998 में शशि कान्त राजभर तीसरे स्थान पर रहे। 1999 के आम चुनाव में कमला राजभर हाथी की टिकट पर मैदान में उतरी। उन्हें 26.03 फीसदी वोट मिले। कमला तीसरे स्थान पर रही।

चंदौली सीट का इतिहास,पहले दो चुनाव में साइकिल हुई पंचर

चंदौली संसदीय सीट पर अब तक 16 चुनाव हो चुके हैं। भाजपा यहां 5 बार, कांग्रेस 4 बार, समाजवादी पार्टी 2 बार और बसपा, संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी, भारतीय लोकदल, जनता पार्टी और जनता दल 1-1 बार यहां जीत दर्ज कर चुके हैं। यहां की जनता ने सभी दलों को मौका दिया है। इस सीट पर जीत की हैट्रिक लगाने का गौरव भाजपा के खाते में है।चंदौली में सपा ने अपना चुनाव 1996 में लड़ा।

इस चुनाव में सपा के कैलाश नाथ सिंह यादव दूसरे स्थान पर रहे। चुनाव भाजपा के आनन्द रत्न मौर्य ने जीता। आनन्द रत्न मौर्य को 189,179 (32.14 प्रतिशत) वोट मिले। वहीं कैलाश यादव के खाते में 158,028 (26.85 प्रतिशत)वोट आए। 31 हजार से ज्यादा मतों के अंतर से आनन्द ने ये चुनाव जीता। 1998 के चुनाव में सपा के जवाहर लाल जायसवाल को भाजपा के आनन्द रत्न मौर्य के हाथों हार का सामना करना पड़ा।

1999 में साइकिल ने पकड़ी रफ्तार

13वीं लोकसभा के चुनाव में सपा की साइकिल ने यहां रफ्तार पकड़ी और जवाहर लाल जायसवाल दिल्ली पहुंचे। जवाहर लाल को 265,412 (36.52 प्रतिशत) वोट मिले। दूसरे स्थान पर रहे भाजपा के आनन्द रत्न मौर्य को 191,883 (26.41 प्रतिशत) वोट मिले। चुनाव में 55.07 फीसदी वोटिंग रिकार्ड हुई। 2004 के चुनाव में बसपा के हाथी ने साइकिल को पछाड़कर दिल्ली का टिकट कटा लिया।

2009 में दोबारा दौड़ी साइकिल

15वीं लोकसभा के लिए साल 2009 में हुए चुनाव में दूसरी बार यहां सपा की साइकिल दौड़ी। सपा प्रत्याशी राम किशुन यादव ने बसपा के कैलाश नाथ यादव को मात्र 459 वोट से शिकस्त दी। राम किशुन को 180,114 (26.85 प्रतिशत) वोट मिले। वहीं बसपा प्रत्याशी को 179,655 (26.78 प्रतिशत) वोट प्राप्त हुए। इस चुनाव में 18 प्रत्याशी मैदान में थे। कुल 6 लाख 70 हजार 891 वोटरों ने अपना मताधिकार का प्रयोग इस चुनाव में किया। इस जीत के बाद 2014 और 2019 के चुनाव में सपा की साइकिल यहां दौड़ नहीं पाई। दोनों चुनाव भाजपा के डॉ.महेन्द्रनाथ पाण्डेय ने जीते।

2004 में बसपा को मिली जीत

पहले पांच चुनाव में हार के बाद आखिरकार 2004 के आम चुनाव में बसपा के कैलाश नाथ सिंह यादव को जीत नसीब हुई। कैलाश नाथ ने सपा के आनन्द रत्न मौर्य को 1669 मतों के अंतर से शिकस्त दी। 2004 और 2009 के चुनाव में बसपा प्रत्याशी दूसरे स्थान पर रहे। 2019 में सपा-बसपा के गठबंधन में ये सीट सपा के खाते में थी। इसलिए बसपा ने यहां अपना प्रत्याशी नहीं उतारा।

40 साल पहले आखिरी बार जीती कांग्रेस

चंदौली सीट पर हुए 16 चुनाव में कांग्रेस 4 बार जीती है। यहां उसे आखिरी जीत 1984 के आम चुनाव में नसीब हुई। तब के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी चन्दा त्रिपाठी ने जीत का झंडा गाड़ा था। इसके बाद 1989 के चुनाव में कांग्रेस यहां दूसरे नंबर पर रही। 1991, 96 और 98 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी चौथे स्थान पर रहे। तीनों चुनाव में उसकी जमानत जब्त हुई।

ये सीट सपा के खाते में है

1999 के चुनाव में कांग्रेस चुनाव मैदान में उतरने की हिम्मत नहीं कर पाई। 2004 में कांग्रेस ने चुनाव में उतरने की हिम्मत तो दिखाई लेकिन वो चौथे नंबर से ऊपर उठ नहीं पाई। 2009 में कांग्रेस प्रत्याशी शिवेन्द्र कुमार तीसरे और 2014 में तरूण पटेल चौथे स्थान पर रहे। 2019 के चुनाव में कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी मैदान में नहीं उतारा। गौरतलब है कि इस चुनाव में कांग्रेस सपा का गठबंधन है। ये सीट सपा के खाते में है।

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