भारतीय जनता पार्टी किसान मोर्चा उत्तर प्रदेश के द्वारा प्रयागराज के माघ मेला में सेक्टर नंबर चार पर मठ मछली बंदर के शिविर में ऋषि कृषि सम्मेलन मंगलवार को आयोजित किया गया। सम्मेलन में मुख्य अतिथि जगद्गुरू शंकराचार्य काशी सुमेरु पीठाधीश्वर स्वामी नरेन्द्रानंद सरस्वती जी महाराज थे। जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता सनातन ज्ञान पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी महेशाश्रम जी महाराज और मुख्य वक्ता कृषि समृद्धि आयोग उत्तर प्रदेश सरकार के सदस्य श्याम बिहारी गुप्त थे। सम्मेलन में उप निदेशक कृषि प्रयागराज विनोद कुमार शर्मा ने यूरिया को विष बताते हुये किसानों को गौ आधारित कृषि करने के लिए प्रेरित किया।

कृषि समृद्धि आयोग के सदस्य श्याम बिहारी गुप्त ने किसानों को गो मूत्र से जीवामृत बना कर यूरिया के स्थान पर जीवामृत का प्रयोग करने के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा कि गौ आधारित खेती का मूल हमारे वेद हैं।गौ आधारित खेती से ही विश्व का कल्याण हो सकता है। रसायन मुक्त खेती होनी चाहिए। जगद्गुरू शंकराचार्य ने गौ रक्षा मंत्रालय और जिला स्तर पर गौ सेवा आयोग बनाने का सुझाव दिया। कहा कि गौ आधारित खेती के लिए जन प्रतिनिधियों को एक एक गांव गोद लेने का परामर्श दिया।

कार्यक्रम में मठ मछली बंदर मठ गद्दी बडे़ सरकार श्री महंत विमल देव आश्रम जी महाराज, चरखी दादरी आश्रम के महंत स्वामी ब्रह्माश्रम जी महाराज, घरौंदा पीठाधीश्वर स्वामी शंकर आश्रम महाराज,टीकर माफी आश्रम के महंत हरि चैतन्य जी महाराज,चौसठी मठ के महंत प्रकाश आश्रम जी महाराज, अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती जी महाराज, विश्व स्वरूप ब्रम्हचारी जी महाराज, महेंद्र स्वरूप ब्रम्हचारी जी महाराज, योगेन्द्र स्वरूप ब्रम्हचारी जी महाराज आदि प्रमुख संत महंत उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन भारतीय जनता पार्टी किसान मोर्चा उत्तर प्रदेश के प्रदेश कार्यालय प्रभारी आचार्य कुश मुनि स्वरूप ने किया।

कार्यक्रम के अंत में काशी सुमेरु पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानंद सरस्वती जी महाराज और सनातन ज्ञान पीठाधीश्वर महेशाश्रम महाराज, श्री महंत विमल देव आश्रम जी के नेतृत्व मे संतों ने प्राकृतिक खेती,गौ आधारित खेती के लिए उत्तर प्रदेश कृषि समृद्धि आयोग के सदस्य श्याम बिहारी गुप्त को शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया।

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