एसएमयूपीन्यूज, ब्यूरो। जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को हटाने के केंद्र सरकार के निर्णय पर आज सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने अपना फैसला सुना दिया है।सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के उस फैसले को सही ठहराया है, जिसमें आर्टिकल 370 को खत्म कर दिया गया था। कोर्ट ने कहा है कि 5 अगस्त 2019 का निर्णय वैध था और यह जम्मू कश्मीर के एकीकरण के लिए था।

केन्द्र की मोदी सरकार ने ऐतिहासिक फैसला लेते हुए साल 2019 को देश से विवादित अनुच्छेद 370 खत्म कर दिया गया था। आर्टिकल 370 भारतीय संविधान का एक प्रावधान था। जो जम्मू-कश्मीर को एक विशेष राज्य का दर्जा देता था। आर्टिकल 370 के प्रावधान ऐसे थे कि भारतीय संविधान भी जम्मू कश्मीर में सीमित हो जाती थी, जिससे देश के सरकारें राज्य के फैसले को लेकर हमेशा बंधी रहती थीं।

अनुच्छेद 370 क्या था?

अनुच्छेद 370 से जुड़े मामले की शुरुआत कश्मीर के राजा हरि सिंह से हुई थी। अक्टूबर 1947 में, कश्मीर के तत्कालीन महाराजा, हरि सिंह ने एक विलय पत्र पर हस्ताक्षर किए, जिसमें कहा गया कि तीन विषयों के आधार पर यानी विदेश मामले, रक्षा और संचार पर जम्मू और कश्मीर भारत सरकार को अपनी शक्ति हस्तांतरित करेगा।मार्च 1948 में, महाराजा ने शेख अब्दुल्ला के साथ प्रधान मंत्री के रूप में राज्य में एक अंतरिम सरकार नियुक्त की। जुलाई 1949 में, शेख अब्दुल्ला और तीन अन्य सहयोगी भारतीय संविधान सभा में शामिल हुए और जम्मू-कश्मीर की विशेष स्थिति पर बातचीत की, जिससे अनुच्छेद 370 को अपनाया गया।

अनुच्छेद-370 के प्रावधान क्या थे?

1. इस अनुच्छेद में प्रावधान किया गया कि रक्षा, विदेश, वित्त और संचार मामलों को छोड़कर भारतीय संसद को राज्य में किसी कानून को लागू करने के लिए जम्मू-कश्मीर सरकार की मंजूरी की आवश्यकता होगी।

2. इसके चलते जम्मू और कश्मीर के निवासियों की नागरिकता, संपत्ति के स्वामित्व और मौलिक अधिकारों का कानून शेष भारत में रहने वाले निवासियों से अलग था। अनुच्छेद-370 के तहत, अन्य राज्यों के नागरिक जम्मू-कश्मीर में संपत्ति नहीं खरीद सकते थे। अनुच्छेद-370 के तहत, केंद्र को राज्य में वित्तीय आपातकाल घोषित करने की शक्ति नहीं थी।

3. अनुच्छेद-370 (1) (सी) में उल्लेख किया गया था कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 1 अनुच्छेद-370 के माध्यम से कश्मीर पर लागू होता है। अनुच्छेद 1 संघ के राज्यों को सूचीबद्ध करता है। इसका मतलब है कि यह अनुच्छेद-370 है जो जम्मू-कश्मीर राज्य को भारतीय संघ से जोड़ता है।

4. जम्मू और कश्मीर के तत्कालीन संविधान की प्रस्तावना और अनुच्छेद 3 में कहा गया था कि जम्मू और कश्मीर राज्य भारत संघ का अभिन्न अंग है और रहेगा। अनुच्छेद 5 में कहा गया कि राज्य की कार्यपालिका और विधायी शक्ति उन सभी मामलों तक फैली हुई है, जिनके संबंध में संसद को भारत के संविधान के प्रावधानों के तहत राज्य के लिए कानून बनाने की शक्ति है।

क्या था जम्मू और कश्मीर का संविधान?

इसके लिए पहले साल 1951 में जम्मू और कश्मीर की संविधान सभा का गठन किया गया। इसमें कुल 75 सदस्य थे। सभा को जम्मू और कश्मीर के संविधान का अलग मसौदा तैयार करने को कहा गया। जो नवंबर, 1956 पूरा हुआ और 26 जनवरी, 1957 को राज्य में विशेष संविधान लागू कर दिया गया, इसके बाद जम्मू-कश्मीर संविधान सभा का अस्तित्व ख़त्म हो गया था। 5 अगस्त 2019 को भारत के राष्ट्रपति ने एक आदेश जारी करके जम्मू और कश्मीर के संविधान को निष्प्रभावी बना दिया था। इसे ‘संविधान (जम्मू और कश्मीर के लिए आवेदन) आदेश, 2019 (सीओ 272)’ नाम दिया गया था।

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