अशोक शुक्ल ,रीवा। विंध्यक्षेत्र के सतना,रीवा, सीधी व सिंगरौली जिले की 22 विधानसभा सीटों के लिए भाजपा और कांग्रेस ने अपने-अपने प्रत्याशियों की सूची जारी कर दिए हैं। कई दावेदारों के नाम सूची से गायब हैं। यहां तक कि कई विधायकों के नाम भी कट गए हैं। टिकटार्थियों में टिकट न मिलने से खासा नाराजगी है। जो स्वाभाविक है। कुछ लोग बगावत पर उतर पड़े हैं।
बागी लोग पार्टी बदलकर चुनाव लड़ने के लिए बसपा व सपा के बैनर को थामने के चक्कर में हैं। उनमें से कुछ निर्दल प्रत्याशी के रूप में जोर आजमाइश की बात कह रहे हैं। उनमें से कुछ लोग चुप्पी साध भितरघात के मूड में हैं। ऐसे लोग धैर्य व संयम नहीं रखना चाहते हैं। वे राजनीति के सिद्धांत व विचारधारा से सरोकार भी नहीं रखना चाहते। इसी के साथ ही हरेक पार्टी के अपने कुछ सिद्धांत व एजेण्डे होते हैं। उससे भी उनका मललब नहीं है।
भाजपा व कांग्रेस दोनों में बगावती सुर अलाप रहे बागी
कहते हैं,राजनीति एक विचाारधारा है।जब राजनीति से विचारधारा खत्म हो जाय तो वह बिना पेंदी के लोटे के समान हो जाती है। इसलिए मौजूदा वक्त में सत्ता व सियासत के जानकार राजनीति के लिए वैष्या, बेहया जैसे षब्दों का इस्तेमाल तक करने लगे हैं। राजनीति विज्ञान का एक सिद्धांत यह भी है कि ‘सत्ता में किसी तरह बने रहना‘। सत्ता से ज्यादा दिन बाहर रहने पर कालांतर में राजनीतिक अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। इसलिए अस्तित्व बचाए रखने के लिए दावेदार अगला पड़ाव तलाश रहे हैं। मप्र की राजनीति में भाजपा और कांग्रेस ही दो पार्टियां हैं। इन्हीं के बीच मुकाबला होता रहा है। मौजूदा वक्त में बसपा,सपा,गोंडवाना जैसे आदि क्षेत्रीय पार्टियां अस्तित्व में नहीं हैं।
तीन बार जीत दर्ज चुके रामलल्लू वैश्य का कटा टिकट
अभी भाजपा ने अपने प्रत्याशियों की पांचवीं सूची जारी की है। जिसमें सिंगरौली विधानसभा सीट से भाजपा से लगातार तीन बार जीत दर्ज कर चुके रामलल्लू वैश्च का टिकट काट दिया गया। खार खाए रामलल्लू पार्टी छोड़ने की बात मीडिया में कहने लगे हैं। उन्होंने बताया कि पार्टी आलाकमान को अपनी नाराजगी से अवगत करा दिया है। अगर आलाकमान दोबारा विचार नहीं करता तो पार्टी छोड़ दूंगा। इसी पार्टी से टिकट के दावेदार चन्द्रप्रताप विश्कर्मा भी पार्टी छोड़ने की बात कह रहे हैं। इसी तरह से कांग्रेस के नागेन्द्र सिंह ने भी सभी पदों से अपना इस्तीफा पार्टी आलाकमान को भेज दिए हैं। सीधी विधानसभा सीट से भाजपा के कद्दावर व जमीनीं नेता केदारनाथ शुक्ल भी बगावत के मूड में हैं। वे निर्दल चुनाव लड़ने के मूड में हैं। हालांकि जानकार बताते हैं कि पार्टी आलाकमान उन्हें मनाने में कामयाब हो जाएगा।
मैहर सीट से भाजपा ने नारायण त्रिपाठी बगावती तेवर में
विंध्यक्षेत्र के कांग्रेसी कद्दावर नेता श्रीनिवास तिवारी के पौत्र सिद्धार्थ तिवारी को त्यौंथर विधानसभा सीट से पार्टी ने टिकट नहीं दिया तो वे भाजपा में शामिल हो गए। अब वे त्यौंथर विधानसभा सीट से ताल ठोंक दिए हैं। मैहर सीट से भाजपा ने नारायण त्रिपाठी का टिकट काटा तो बगावती तेवर में आ गए। वे अपनी पार्टी खुद बना लिएं। मनगवां सीट पर भाजपा ने पंच्चूलाल का टिकट काट दिया तो वे सपा से ताल ठोंक दिए हैं। सेमरिया विधानसभा सीट से कांग्रेस ने अभय मिश्र को टिकट नहीं दिया तो वे भाजपा में शामिल हो गए थे। फिर कांग्रेस उन्हें सेमरिया से टिकट दे दिया तो वे भाजपा छोड़ दिए।
कांग्रेस ने यादवेन्द्र को टिकट नहीं दिया तो वे बीएसपी में हुए शामिल
देवतालाब सीट से सीमा जयवीर सिंह सेंगर को कांग्रेस से टिकट नहीं मिला तो सपा में शामिल हो गईं। नागौद विधानसभा सीट से कांग्रेस ने यादवेन्द्र सिंह को टिकट नहीं दिया तो वे बीएसपी में शामिल हा गए। मजे की बात यह कि इस क्षेत्र में कांग्रेस में भितरघात साफ तौर पर देखा जा सकता है। मतलब, पार्टी नहीं छोड़ेंगे,लेकिन भीतर-भीतर प्रत्याषी के खिलाफ प्रचार-प्रसार करेंगे। जबकि भाजपा में बगावत साफ देखा जा सकता है। फिलहाल भाजपा रूठे लोगों को मनाने में कामयाब दिख रही है। जबकि कांग्रेस असफल…….।