अशोक शुक्ल ,सिंगरौली/ मध्यप्रदेश। जिले की सबसे अहम कही जाने वाली ‘सिंगरौली‘ विधानसभा सीट पर हर किसी की निगाह टिकी है। हालांकि कांग्रेस छोड़ बाकी दल यहां से अपने-अपने उम्मीदवार घोषित नहीं किए हैं। यह सीट भाजपा की गढ़ मानी जाती रही है। इस सीट से लगातार 2008, 2013 व 2018 में तीन बार भाजपा से रामलल्लू वैश्य चुनाव जीतते आ रहे हैं। उन्होंने इस बार भी टिकट के लिए अपनी दावेदारी पेश की है।
कांग्रेस ने रेनू शाह को अपना प्रत्याशी बनाया है। अभी आप और बसपा तुरुप के पत्ते नहीं खोले हैं। जानकारों की मानें तो इस बार भाजपा के लिए यह सीट जीत पाना आसान नहीं है। वजह, 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के कोर वोटर ‘मुस्लिम‘ आम आदमी पार्टी की ओर चले गए। नतीजा यह रहा कि ‘आप‘ की रानी अग्रवाल को करीब 32 हजार यानी 22 प्रतिशत वोट मिले।
मुस्लिम वोटरों पर कांग्रेस की टिकी निगाहें, ‘आप‘ की हवा खराब
मगर, बदलते हालात और मौजूदा वक्त में ‘आप‘ का जनाधार खिसकता दिख रहा है। लागों की मानें तो अब आप का जनाधार यहा से खिसक रहा है। इस स्थिति में मुस्लिम वोटरों को रिझाने की कोशिश में कांग्रेस जुट गई है। वजह, कांग्रेस के कोर वोटर ‘मुस्लिम‘ रहे हैं।
राजनीति जानकारों का कहना है कि मुस्लिम वोटर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर लौट आएंगे। अगर, यह दावा सही साबित हुआ तो कांग्रेस इस सीट पर काबिज हो सकती है। तब भाजपा अपनी यह खास सीट खो देगी और ‘आप‘ वोटकटवा की भूमिका में नजर आएगी। 2018 के विधानसभा चुनाव में ‘आप‘ प्रत्याषी रानी अग्रवाल को करीब 32 हजार यानी 22 फीसदी वोट मिले थे। वजह, मुस्लिम और व्यापारियों क वोट रानी अग्रवाल को मिले थे।
आपसी फूट और भितरघात से जूझ रहे दल
टिकटार्थियों में टिकट न मिलने से नाराजगी है। कांग्रेस में बगावती तेवर देखने को मिल रहे हैं। भितरघात साफ दिख रही है। हालांकि भाजपा की ओर से प्रत्याषी अब तक तय नहीं किया गया है। लेकिन कई दावेदार टिकट के लिए टकटकी लगाए बैठे हैं। कुछ टिकटार्थी तो टिकट न मिलने पर पार्टी बदलकर चुनाव लड़ने का दावा कर रहे हैं। हालांकि जल्द ही तस्वीर साफ होने की उम्मीद है।
भाजपा का लगातार खिसक रहा वोट प्रतिशत
भाजपा को साल 2008 के विधानसभा चुनाव में करीब 37 हजार से ज्यादा वोट यानी 40 फीसदी वोट मिले थे। 2013 के चुनाव में 48 हजार से ज्यादा 36 फीसदी वोट प्राप्त हुए थे। जबकि 2018 के विधानसभा चुनाव में 36 हजार से ज्यादा वोट यानी 25 प्रतिषत वोट मिले थे। वही, कांग्रेस को क्रमषः 15, 28 व 22 फीसदी वोट मिले थे। अगर आंकड़ों पर गौर करें तो कांग्रेस का वोट प्रतिषत बढ़ रहा है।
जबकि भाजपा का लगातार घट रहा है। इस सीट पर कांग्रेस हर बार भाजपा को कड़ी टक्कर देती आ रही है। यहां बताते चलें कि भाजपा से रामलल्लू वैष्य वर्ष 2008 के विधानसभ चुनाव में अपने प्रतिद्वंदी को करीब 23 हजार वोट के अंतर से हराये थे। 2013 के विधानसभा चुनाव में करीब 10.50 हजार वोट से जीते थे। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में करीब चार हजार वोट से विजयी हुए थे।
जातिगत समीकरण
खासकर इस विधानसभा क्षेत्र में साहू व ब्राह्मण जाति के मतदाताओं का वर्चस्व है। करीब ढाई लाख मतदाताओं वाली इस विधानसभा क्षेत्र में लगभग 55 हजार ब्राह्मण,40 हजार साहू, 22 हजार हरिजन, 20 हजार वैष्य,18 हजार मुस्लिम,14 हजार ठाकुर वोटर हैं। इसके इतर अन्य जातियों के वोटर हैं।