गोरखपुर में पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल करने को लेकर राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद बैठक परिषद के कैंप कार्यालय तुर्कमानपुर वरफखाना पर बैठक आयोजित हुई। जिसकी अध्यक्षता रूपेश कुमार श्रीवास्तव एवं संचालन मंत्री अश्वनी श्रीवास्तव ने किया। इस दौरान रूपेश कुमार श्रीवास्तव कहां यह सरकार कर्मचारियों को पेशन देने के मामले में ब्रिटिश सरकार से भी क्रूर हो गई हैं। ब्रिटिश शासन में भूत कर्मचारियों को पुरानी पेंशन देने की व्यवस्था है जिससे कर्मचारी रिटायरमेंट के बाद अपना जीवन सम्मानजनक तरीके से जीता था लेकिन हमारी सरकार इतनी क्रूर हो गई है कि वर्ष 2004 से कर्मचारियों का अधिकार छीन लिया जो संविधान सम्मत नहीं है। दुख इस बात का है की एक प्रधान –एक विधान की बात करने वाली सरकार इस पर मौन है।
माननीय को पेंशन, तो कर्मचारियों को टेंशन क्यों दे रही है सरकार: मदनमुरारी
परिषद के उपाध्यक्ष मदन मुरारी शुक्ला ने कहा के संविधान में विधायिका के तीन अंग हैं,(१)व्यवस्थापिका (२) कार्यपालिका (३) न्यायपालिका यहां व्यवस्थापिका अपने लिए तो पेंशन की व्यवस्था जारी रखी है लेकिन कार्यपालिका और न्यायपालिका के लिए यह व्यवस्था खत्म कर दी है, यह देश के संविधानिक व्यवस्था का हनन है इसलिए सरकार शीघ्र कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाल कर, एक राष्ट्र एक पेंशन की व्यवस्था बनाए।देश की अर्थव्यवस्था कर्मचारियों के पेंशन से नहीं बल्कि माननीय की फिजुल खर्ची से खराब हो रही है, कर्मचारियों का पेंशन बंद करने से अगर देश का विकास होता तो भारत अब तक 18 वर्ष में विकसित राष्ट्र बन गया होता, इसलिए सरकार नेताओं की फिजूलखर्ची पर रोक लगाए इन्हें आयकर के दायरे में लाए क्योंकि नेताओं के पास अरबों खरबों की संपत्ति है और वह आयकर के दायरे से बाहर हैं इसलिए देश की अर्थव्यवस्था खराब हो रही है अगर यह व्यवस्था हो जाए तो कर्मचारी के पेंशन देने से देश की हालत कभी खराब नहीं होगी।