प्रयागराज। माफिया डॉन अतीक अहमद के बेटे असद का शव कसारी मसारी कब्रिस्तान में दफन कर दिया गया है।असद को प्रयागराज के कसारी-मसारी कब्रिस्तान में खाक-ए-सुपुर्द कर दिया गया। वहीं उसके साथी गुलाम को भी दफना दिया गया।मेहंदौरी स्थित कब्रिस्तान में शूटर गुलाम हसन को दफनाया गया। झांसी में असद और उसके सहयोगी गुलाम को 13 अप्रैल को यूपी एसटीएफ ने एक मुठभेड़ में मार गिराया था। यूपी पुलिस ने दोनों पर पांच-पांच लाख का इनाम घोषित कर रखा था।

असद के शव को घर नहीं ले जाया गया

एनकाउंटर में मारे गए और गुलाम के शव को झांसी से प्रयागराज लाया गया था। दोनों के शव को लेने उनके परिजन शुक्रवार की शाम झांसी पहुंचे थे। असद का शव लेने उसके फूफा उस्मान ने लिया, जबकि गुलाम का शव लेने उसका साला नूर आलम पहुंचा। असद का शव दफनाने के लिए कसारी मसारी कब्रिस्तान में तैयारी कर ली गई थी। असद के शव को घर नहीं ले जाया गया। उसके शव को सीधे कब्रिस्तान ले जाया गया। सुरक्षा कारणों से असद के शव को पैतृक आवास पर ले जाने की अनुमति नहीं दी गई।

असद के शव को दादा फिरोज के बगल दफनाया

प्रयागराज के एसीपी आकाश कुल्हारी ने कहा कि असद के परिवार के 20-25 करीबी यहां मौजूद रहे। असद के नाना हामिद अली ने असद के दाह संस्कार की प्रक्रिया को अंजाम दिया। कब्रिस्तान के अंदर भी केवल पांच से छह बेहद करीबी लोगों को ही जनाजे में शामिल होने की अनुमति दी गई। आज सुबह ही परिजन शव लेकर कब्रिस्तान पहुंचे। जहां महज आधे घंटे के अंदर ही शव को दफन कर दिया गया। इसके लिए एक दिन पहले ही परिजनों ने कब्रिस्तान में कब्र खुदवा लिया था। असद के शव को उसके दादा फिरोज के बगल में दफनाया गया।।

दफन के वक्त ना तो पिता अतीक पहुंचा ना मां शाइस्ता परवीन

बड़ी बात यह रही कि असद के दफन के वक्त ना तो उसके पिता अतीक अहमद पहुंचा और ना ही चाचा अशरफ। जबकि दोनों इस समय प्रयागराज में ही पुलिस के कस्टडी रिमांड पर हैं। दोनों ने दफन कार्यक्रम में शामिल होने के लिए कोर्ट में अर्जी भी लगाई थी। वहीं थोड़ी देर पहले तक दावा किया जा रहा है कि बेटे के दफन के वक्त शाइस्ता परवीन आ सकती है। इसके लिए पुलिस ने पूरे सुरक्षा इंतजाम भी किए थे। लेकिन अंतिम वक्त तो उसकी भी कोई खबर नहीं मिली है।

कब्रिस्तान की ड्रोन से की निगरानी

वहीं, पुलिस ने कब्रिस्तान के बाहर कड़े सुरक्षा इंतजाम किए थे। कब्रिस्तान के बाहर ड्रोन से भी निगरानी की जा रही थी। कब्रिस्तान में कुछ दूर पहले ही मीडिया के एंट्री भी रोक दी गई। सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये गए थे। जिसकी वजह से आस-पास के लोग वहां तक भटकने की हिम्मत नहीं जुटा सके।

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