भदोही। 14 अप्रैल डॉ अंबेडकर जयंती के रूप में मनाया जाता है। भारत के पहले कानून मंत्री डॉ भीमराव अंबेडकर भारतीय संविधान के पिता कहे जाते हैं। डॉ भीमराव अंबेडकर की अध्यक्षता में दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान सभा द्वारा तैयार किया गया था।अंबेडकर जयंती को जातिगत भेदभाव और उत्पीड़न जैसी सामाजिक बुराइयों से लड़ने में न्यायविद के समर्पण को याद करने के लिए भी मनाया जाता है । उन्होंने जाति व्यवस्था का कड़ा विरोध किया और इसे समाज से मिटाने का प्रयास किया।
अछूतों के जीवन के उत्थान के लिए काम किया
डॉ भीमराव अंबेडकर हमेशा उत्पीड़ित के साथ एकजुटता से खड़े रहे और महिलाओं, मजदूरों और अछूतों के जीवन के उत्थान के लिए काम किया। एक प्रखर समाज सुधारक, अर्थशास्त्री और प्रभावशाली वक्ता होने के नाते, डॉ अंबेडकर राजनीति विज्ञान, कानून और अर्थशास्त्र जैसे विभिन्न विषयों के विद्वान थे।संविधान निर्माता भारत रत्न बाबा साहब डा. भीमराव अंबेडकर की शुक्रवार को 132 वीं जयंती मनाई गई। सरकारी कार्यालयों से लेकर विभिन्न संस्थानों व राजनीतिक दलों की ओर से आयोजित कार्यक्रमों में उनके चित्र पर माल्यार्पण किया गया।
डा. आंबेडकर के मूर्ति पर माल्यार्पण कर किया याद
अम्बेडकर के कार्यों को याद करते हुए कहा गया कि वह हमेशा अन्याय, अत्याचार के व सामाजिक कुप्रथाओं के खिलाफ लड़ाई लड़ते रहे। उनका मानना था कि सामाजिक कुप्रथा को दूर करके ही देश का विकास किया जा सकता है। उनके सिद्धांतों को अपनाने का संकल्प लिया गया। डा. भीमराव आंबेडकर के मूर्ति पर माल्यार्पण कर याद किया गया। साथ ही उनके आदर्श व सिद्धांतों को अपनाने का संकल्प लिया गया। वक्ताओं ने बाबा साहब के कार्यों पर प्रकाश डाला। इस मौके परअरुण कुमार मौर्य ,अवधेश गुप्ता,बच्चनपाल,तेजवहादुर पाल, ओमप्र काश यादव , महेन्द्र कुमार यादव विनोद यादव, शकिल दादा, शाहिद खान , पवन श्रीवास्तव आदि लोग उपस्थित रहे।