भदोही। इस साल फरवरी माह में गर्मी ने छह वर्षों के रिकार्ड को ध्वस्त किया है। इसी तरह गर्मी बढ़ती रही तो इसकी मार अन्नदाताओं को झेलनी पड़ेगी। क्योंकि मौसम के तल्ख तेवर के कारण गेहूं उत्पादन 20 फीसदी यानी चार सौ एमटी कम होगा।सर्वाधिक असर पीछे ( समय के बाद) बोई गई फसलों पर पड़ रहा है। हल्की ठंड, ओस ने वापसी नहीं की तो किसानों को करारी चपत लगनी तय है। यह हम नहीं कृषि के जानकारों का कहना है।
तेज गर्मी से गेहूं के उत्पादन पर पड़ेगा असर : जिला कृषि अधिकारी
जिला कृषि अधिकारी अशोक प्रजापति ने बताया कि इस साल जनपद में 48 हजार हेक्टेयर में गेहूं की बोआई किसानों ने की है।नहरों में पानी की कमी,आफत की बारिश के कारण करीब 40 फीसदी बोआई समय पर नहीं हो पाई थी। बावजूद इसके अच्छी ठंड, ओस, कोहरे के का फसलें अच्छी है। एक लाख 80 हजार एमटी उत्पादन का गेहूं लक्ष्य जिला प्रशासन की ओर से रखा गया था। कहा कि इधर दो से तीन दिनों से जिल तरह से गर्मी पड़ रही है। इसका क्रम आगामी सप्ताह तक बना रहा तो उत्पादन 20 फीसदी यानी चार सौ एमटी प्रभावित होगा।
गेहूं ही नहीं बल्कि प्याज, लहसून , सब्जियों पर भी असर पड़ना तय
पीछे बोई गए गेहूं के दाने पतले हो जाएगा। किसान उदवंता यादव, रविंद्र सिंह, ज्ञान प्रकाश प्रजापति, शिवराम यादव, वीरेंद्र मौर्य, कल्लू मौर्य ने बताया कि जिस तरह से गर्मी इन दिनों फरवरी माह में पड़ रही है।उससे गेहूं ही नहीं बल्कि प्याज, लहसून , सब्जियों पर भी असर पड़ना तय है। मौसम का रुख बदलना जरूरी है। अन्यथा किसानों के लिए यह बदलता मौसम परेशानी का सबब बन सकता है।
गेहूं की हल्की सिंचाई करने की दी गई है सलाह
सिवान में तैयार हुआ गेहूं का फसल तैयार होकर लहलहा रहा है। किसान गेहूं फसल की अंतिम यानी पांचवीं बार सिंचाई करने में लगे हैं। मौसम में बदलाव आ रहा है। धूप संग तेज हवा चल रहा है। ऐसे में कृषकों को हल्की सिंचाई करने की जरूरत है। अंतिम सिंचाई किसान 100 से 105 दिनों में कर देना चाहिए। मौसम विभाग की मानें तो तीखी धूप से मौसम गर्म होने लगा है। तेज हवा से गेहूं का फसल खेत में गिर सकता है ऐसे में हल्की सिंचाई करें।
खेत में पककर तैयार हुए सरसों की फसल की कटाई शीघ्र कर ले
खेत में पककर तैयार हुए सरसों की फसल की कटाई किसान शीघ्र कर ले। गेहूं फसल 80 फीसदी तक तैयार हो गया है। बालियां निकलने के बाद फसल का रंग बदलने लगा है। ऐसे में गेहूं फसल की गहरी सिंचाई की गई तो तेज हवा से फसल गिरने का संभावना बढ़ जाता है।ऐसे में किसान गेहूं फसल हल्की सिंचाई कर रहे हैं। उधर, चना – मटर व गेहूं फसल की कटाई के बाद किसान खेतों में मंग व उर्द की खेती कर बेहतर मुनाफा कमा सकते है। मूंग व उर्द 25 से 30 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से बोना होगा।