उत्तर प्रदेश में एक शिव मंदिर ऐसा है जो रहस्यमयी के साथ-साथ चमत्कारी भी है। इस मंदिर में जो शिवलिंग है वह साल भर में तीन पर अपना रंग बदलता है। यही वजह है कि इसकी बड़ी मान्यता है और दूर-दूर से लोग यहां पूजा पाठ करने के लिए आते है। यह मंदिर भदोही में है जिसका नाम बाबा तिलेश्वरनाथ मंदिर है। सावन के महीने में तो यहां भक्तों की भारी भीड़ लगती है। ऐसी मान्यता है कि लाक्षागृह से निकलकर अज्ञातवास में रह रहे पांडवों ने तिलेश्वरनाथ के रूप में शिवलिंग की स्थापना की थी। महा शिवरात्रि पर तिलेश्वरनाथ मंदिर में विशेष पूजन किया जाता है।
शिवलिंग सावन में काला, गर्मी में गेहुंआ और सर्दी में भूरे रुप आता है में नजर
बता दें कि भदोही के गोपीगंज तिलंगा गांव के तट पर स्थित तिलेश्वरनाथ मंदिर का शिवलिंग रहस्यमयी तीन रुपों के लिए प्रसिद्ध है। पांडवकालीन शिवलिंग ऋतुओं के अनुसार साल में तीन बार अपना रुप बदलता है। मंदिर के पुजारी बाबा महादेव ने बताया कि शिवलिंग सावन में काला, गर्मी में गेहुंआ और सर्दी में भूरे रुप में नजर आता है। मान्यता है कि पांडवों ने इसे अज्ञातवास के दौरान स्थापित किया था। धर्मविशेषज्ञों का कहना है कि इस शिवलिंग का महाभारत के वन पर्व में भी उल्लेख मिलता है।
मंदिर के जीर्णोद्धार के समय खूब निकले थे सर्प
साल 1998 में मंदिर के जीर्णोद्धार किया गया था। जीर्णोद्धार के समय शिवलिंग की लंबाई जानने के लिए 19 गहरा गड्ढा खोदा गया, लेकिन लंबाई का पता नहीं चला। ग्रामीणों का कहना है कि 19 फीट नीचे इतने सांप निकलने लगे की खुदाई बंद करानी पड़ी। इससे पहले 1938 में मंदिर का चबूतरा व कुआं का जीर्णोद्धार हुआ था। बाबा तिलेश्वरनाथ मंदिर परिसर में पीपल का सैकड़ों साल पुराना वृक्ष है।
श्रद्धालु पीपल पर काला सूत बांधकर मांगते है मन्नत
मंदिर परिसर में पीपल का छांव हमेशा बना रहता है। दर्शन पूजन करने के लिए आने वाले श्रद्धालु पीपल पर काला सूत बांधकर मन्नत मांगते हैं। तिलेश्वरनाथ मंदिर के पुजारी बाबा महादेव ने बताया कि शिवलिंग का जलाभिषेक करने वाले कुम्हार और कुम्हारी का भी मंदिर बनाया गया है। महादेव मंदिर के बगल में मंदिर है। महादेव के दर्शन करने के बाद कुम्हार का भी पूजा करते हैं।