योगी आदित्यनाथ के प्रयास से उत्तर प्रदेश का तेजी से हर क्षेत्र में विकास हो रहा है। यही वजह है कि योगी सरकार का सहयोग करने के लिए दुनिया भर के निवेशक उत्तर प्रदेश की तरफ आकर्षित हो रहे है। इसी का परिणाम है कि यूपीसीडा को अब तक जो निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं उनमें से लगभग 9 लाख रोजगार का सृजन होगा। प्राप्त निवेश प्रस्तावों में 90 हजार करोड़ का विदेशी पूंजी निवेश एवं 1.53 लाख करोड़ का अन्य प्रदेशों से निवेश शामिल है। यानी यूपीसीडा को 53 जिलों के साथ ही 10 राज्यों से भी निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं, जबकि विदेशों से खासतौर पर अमेरिका, हांगकांग, सिंगापुर और यूएई से मिले निवेश प्रस्ताव भी इसमें शामिल हैं।

उप्र राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीसीडा) से जिन निवेशकों ने भूमि आवंटन की इच्छा जताई है उन्हें जल्द ही आवंटन किए जाने की योजना है ताकि वे मानचित्र भी समय से स्वीकृत करा सकें और इकाई स्थापित कर सकें। भूखंड की कमी न पड़े इसलिए प्राधिकरण ने विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों में 15 हजार एकड़ से अधिक का लैंड बैंक तैयार कर लिया है। लैंड बैंक में 25 सौ एकड़ भूमि और जुड़ने जा रही है। उन्नाव में बसाई जा रही ट्रांसगंगा हाईटेक सिटी हो या फिर कन्नौज के पार्क में विकास के कार्य तेजी से चल रहे हैं।

82 हजार करोड़ का निवेश लॉजिस्टिक पार्क-वेयरहाउस की स्थापना में होगा

मुख्यमंत्री योगी ने उत्तर प्रदेश को वन ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए 10-12 फरवरी को राजधानी लखनऊ में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन किया जा रहा है। इस आयोजन से पूर्व ही यूपीसीडा ने दिए गए 1 लाख करोड़ के लक्ष्य का 3 गुणा निवेश प्राप्त कर लिया है। स्थिति यह है कि होटल, अस्पताल, लॉजिस्टिक पार्क, वेयरहाउस और औद्योगिक इकाइयों की स्थापना के लिए बड़े पैमाने पर एमओयू हस्ताक्षरित किए जा रहे हैं। अकेले 82 हजार करोड़ रुपए का निवेश लॉजिस्टिक पार्क और वेयरहाउस की स्थापना के लिए होगा।

सीईओ यूपीसीडा मयूर माहेश्वरी ने बताया कि बरेली, आगरा, गाजियाबाद हापुड़, प्रयागराज, कानपुर आदि जगहों पर आयोजित की गई इन्वेस्टर मीट के परिणाम सुखद आए हैं। स्थिति यह है कि प्रयागराज में हुई मीट में 33703 करोड़, हापुड़ में 23000 करोड़, गाजियाबाद में 92000 करोड़, आगरा में 39038 करोड़ बरेली में 34000 करोड़, मेरठ 17000 करोड़, कानपुर में 70000 करोड़ रुपए, अयोध्या में 17000 करोड़ रुपये निवेश के प्रस्ताव आए। जिन्होंने भी प्रस्ताव दिए उनके द्वारा एमओयू भी हस्ताक्षर किए गए हैं।

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