श्रीरामचरितमानस पर स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा दिया गया विवादित बयान पर जुबानी जंग जारी है। साधु-संतों द्वारा स्वामी प्रसाद के बयान का जबरदस्त विरोध हो रहा है। इसी बीच सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने पार्टी में मौर्य का कद बढ़ाते हुए राष्ट्रीय महासचिव की जिम्मेदारी सौंप दी। जिसके बाद से जुबानी जंग और तेज हो गई है। बीजेपी इस मामले में अखिलेश यादव से जवाब मांग रही है। इसी बीच बीएसपी प्रमुख मायावती की इस मामले में पहली बार प्रतिक्रिया आई है।

मायावती ने कहा, संकीर्ण राजनीतिक व चुनावी स्वार्थ हेतु नए-नए विवाद खड़ा करके जातीय व धार्मिक द्वेष, उन्माद-उत्तेजना व नफरत फैलाना, बायकाट कल्चर, धर्मान्तरण को लेकर उग्रता आदि भाजपा की राजनीतिक पहचान सर्वविदित है किन्तु रामचरितमानस की आड़ में सपा का वही राजनीतिक रंग-रूप दुःखद व दुर्भाग्यपूर्ण।

मायावती ने आगे कहा, रामचरितमानस के विरुद्ध सपा नेता की टिप्पणी पर उठे विवाद व फिर उसे लेकर बीजेपी की प्रतिक्रियाओं के बावजूद सपा नेतृत्व की चुप्पी से स्पष्ट है कि इसमें दोनों पार्टियों की मिलीभगत है ताकि आगामी चुनावों को जनता के ज्वलन्त मुद्दों के बजाए हिन्दू-मुस्लिम उन्माद पर पोलाराइज किया जा सके।

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