लखनऊ । राजधानी की पुलिस अब सिर्फ कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी नहीं निभाएगी, बल्कि ज़रूरत पड़ने पर आम नागरिकों के लिए जीवनरक्षक भी साबित होगी। पुलिस कमिश्नरेट, लखनऊ और मेदांता हॉस्पिटल, लखनऊ के ऐतिहासिक सहयोग से रविवार को एक विशेष जीवनरक्षक प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसका उद्देश्य था पुलिसकर्मियों को आपातकालीन स्थितियों, विशेषकर कार्डियक अरेस्ट जैसी गंभीर परिस्थितियों में त्वरित चिकित्सकीय सहायता देने के लिए प्रशिक्षित करना।
कार्यशाला का आयोजन मेदांता हॉस्पिटल के 6वें फ्लोर स्थित कॉन्फ्रेंस हॉल में किया गया, जिसमें पुलिसकर्मियों को कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (CPR) और बेसिक लाइफ सपोर्ट (BLS) तकनीकों का व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया गया।
पुलिसकर्मियों के लिए ‘गोल्डन ऑवर’ में जीवन बचाने की तैयारी
इस प्रशिक्षण की सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी कि इसमें “गोल्डन ऑवर” की अवधारणा पर विशेष बल दिया गया। मेडिकल भाषा में गोल्डन ऑवर वह प्रथम 60 मिनट होता है, जब किसी रोगी को सही समय पर चिकित्सकीय सहायता मिल जाए तो उसकी जान बचाई जा सकती है। अधिकतर दुर्घटनाओं, हार्ट अटैक या कार्डियक अरेस्ट के मामलों में पुलिसकर्मी ही सबसे पहले घटनास्थल पर पहुंचते हैं, ऐसे में अगर वे CPR जैसे उपायों में दक्ष हों, तो कई जिंदगियाँ बचाई जा सकती हैं।
प्रशिक्षण का व्यावहारिक स्वरूप: CPR से लेकर SpO2 तक
कार्यशाला में पुलिसकर्मियों को निम्नलिखित बिंदुओं पर गहन प्रशिक्षण दिया गया:
* CPR (Cardiopulmonary Resuscitation): कार्डियक अरेस्ट के समय छाती पर दबाव देकर हृदय को फिर से सक्रिय करने की प्रक्रिया।
* BLS (Basic Life Support): सांस रुकने या दिल की धड़कन बंद होने पर दी जाने वाली प्राथमिक चिकित्सा।
* ऑक्सीजन स्तर मापन (SpO2), रक्तचाप और नाड़ी की निगरानी।
* डेमो और अभ्यास: मेदांता के विशेषज्ञों ने CPR की प्रक्रिया का लाइव प्रदर्शन किया और पुलिसकर्मियों को हैंड्स-ऑन अनुभव प्रदान किया।
200 से अधिक पुलिसकर्मियों की हुई निःशुल्क स्वास्थ्य जांच
प्रशिक्षण के साथ-साथ एक निःशुल्क स्वास्थ्य जांच शिविर भी आयोजित किया गया, जिसमें 200+ पुलिसकर्मियों की ब्लड प्रेशर, नाड़ी, शरीर का तापमान, और ऑक्सीजन संतृप्ति (SpO2) की जांच की गई। यह शिविर पुलिसकर्मियों के स्वास्थ्य के प्रति मेदांता हॉस्पिटल और पुलिस कमिश्नरेट की सामूहिक चिंता और सतर्कता का प्रतीक था।
ऐतिहासिक सहयोग: मेदांता व पुलिस कमिश्नरेट के बीच MoU पर हस्ताक्षर
कार्यशाला के दौरान ही मेदांता हॉस्पिटल और लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर हुए, जिसके तहत:
* 58 थानों के सभी पुलिसकर्मियों को चरणबद्ध प्रशिक्षण दिया जाएगा।
* प्रशिक्षण के लिए डिजिटल लर्निंग मॉड्यूल, वीडियो और रिफ्रेशर कोर्स भी उपलब्ध कराए जाएंगे।
* पुलिसकर्मियों को स्वास्थ्य संबंधी निरंतर सहायता व परामर्श भी दिया जाएगा।
विशेषज्ञों और अधिकारियों के विचार
डॉ. राकेश कपूर, निदेशक, मेदांता लखनऊ: “CPR जैसी तकनीकें जीवन बचाने में अत्यंत उपयोगी हैं। पुलिसकर्मी अक्सर घटनास्थल पर सबसे पहले पहुँचते हैं, ऐसे में यह प्रशिक्षण उन्हें अधिक प्रभावशाली बना देगा। यह समाज के लिए एक सकारात्मक परिवर्तन है।”
पुलिस आयुक्त, लखनऊ: “हमारी प्राथमिकता है कि लखनऊ पुलिस का हर जवान CPR और BLS जैसी तकनीकों में दक्ष हो। ये कौशल न केवल सेवा का स्तर बढ़ाएंगे, बल्कि नागरिकों का जीवन भी बचाएंगे। यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी का प्रतिबिंब है।”
अमित वर्मा, संयुक्त पुलिस आयुक्त (मुख्यालय एवं अपराध): “इस प्रशिक्षण ने हमारे बल को नया आत्मविश्वास दिया है। अब हमारे जवान न केवल सुरक्षा बल्कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी अग्रणी भूमिका निभा सकेंगे।”
सामाजिक दृष्टिकोण से लाभ
-नागरिक-पुलिस-चिकित्सा सहयोग: यह पहल एक त्रिकोणीय मॉडल को सशक्त करती है, जो आपातकालीन स्थिति में प्रतिक्रिया को तेज करेगा।
-विश्वास और संवेदनशीलता: जनता के बीच पुलिस के प्रति भरोसा बढ़ेगा, जब वे उन्हें न केवल सुरक्षा बल्कि जीवनदायिनी भूमिका में देखेंगे।
– राष्ट्रीय आंकड़ों से जुड़ाव: भारत में हर साल लगभग 1.7 लाख लोग कार्डियक अरेस्ट के शिकार होते हैं। इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम इस आंकड़े को कम करने की दिशा में ठोस कदम हैं।