गोरखपुर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को कहा कि एक चिकित्सक की सबसे बड़ी पहचान उसकी संवेदनशीलता और मानवीय दृष्टिकोण होती है। यदि डॉक्टर के मन में मरीजों के लिए संवेदना नहीं है, तो यह विचार करना होगा कि वह डॉक्टर कहलाने योग्य है भी या नहीं। उन्होंने कहा कि डॉक्टर की सहानुभूति गंभीर से गंभीर मरीज को आधी राहत दे सकती है।

500-बेड के विश्राम सदन का भूमि पूजन करने पहुंचे थे

मुख्यमंत्री एम्स गोरखपुर परिसर में 44.34 करोड़ की लागत से बनने वाले 500-बेड के विश्राम सदन का भूमि पूजन करने पहुंचे थे। यह विश्राम सदन पूर्वी उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा रैन बसेरा होगा, जिसका निर्माण पावरग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के सीएसआर फंड से किया जा रहा है।योगी ने डॉक्टरों को नसीहत दी कि वे मरीजों को बिना वजह रेफर करने से बचें और क्रिटिकल केस में रिस्क लेने की आदत विकसित करें। उन्होंने कहा कि एम्स जैसे संस्थान केवल इलाज के केंद्र नहीं, बल्कि संवेदना के भी प्रतीक होते हैं। एक मरीज के साथ अक्सर 3–4 अटेंडेंट होते हैं, कभी-कभी यह संख्या 10 तक पहुंच जाती है। ऐसे में उनके ठहरने की अच्छी व्यवस्था होना जरूरी है।

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आज देश में 22 नए एम्स बन रहे हैं या बन चुके

मुख्यमंत्री ने कहा कि 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा रोपा गया एम्स का बीज आज एक वटवृक्ष बन चुका है, जो हजारों मरीजों को जीवनदान दे रहा है। उन्होंने याद दिलाया कि 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी ने देश में नए एम्स की नींव रखी थी, जिसे 2014 के बाद पीएम मोदी ने गति दी। आज देश में 22 नए एम्स बन रहे हैं या बन चुके हैं, जिनमें गोरखपुर भी शामिल है।कार्यक्रम में कई वरिष्ठ अधिकारी, जनप्रतिनिधि और संस्थान के प्रमुख मौजूद रहे। सीएम योगी ने शिलान्यास के बाद प्रोजेक्ट का नक्शा भी देखा और आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।

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