एससी-एसटी एक्ट के मामले में जिला न्यायालय की विशेष न्यायालय उत्तर प्रदेश के मंत्री नंद गोपाल नंदी को एक साल की सजा सुनाई है।नंदी दो धाराओं में दोषी करार दिए गए हैं, वह आईपीसी की धारा 147 और 323 में दोषी करार दिए गए। इसके साथ ही दस हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। प्रयागराज के मुट्टीगंज थाने में इस मामले में एफआईआर दर्ज की गई थी।

आरोपित मंत्री नंदी ने अपने बचाव के लिए तीन गवाहों की सूची कोर्ट के समक्ष पेश किया था
जानकारी के लिए बता दें कि आरोपित मंत्री नंदी ने अपने बचाव के लिए तीन गवाहों की सूची कोर्ट के समक्ष पेश किया था। एमपी एमएलए की विशेष न्यायाधीश डॉ दिनेश चंद्र शुक्ल ने के समक्ष सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता सुशील वैश्य ने कोर्ट में हाजिर गवाहों जिरह किया। मंत्री नंद गोपाल नंदी ने अपने बचाव में कृष्ण कुमार मिश्र, ज्ञानेंद्र कुमार व मदन लाल गुप्ता को कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया था। दोनों पक्षों की बहस पूरी होने के बाद नंदी के अधिवक्ताओं की ओर से कोर्ट में लिखित बहस प्रस्तुत करने की अर्जी दी गई।

विधानसभा की नहीं जाएगी सदस्यता, जानिए क्यों

जुर्माना न देने पर दस-दस दिन का अलग से कारावास भुगतना पड़ेगा। हालांकि सजा के एलान के बावजूद मंत्री नंदी की विधानसभा की सदस्यता नहीं जाएगी क्योंकि दो साल या उससे ज्यादा की सजा होने पर ही सदस्यता रद्द होती है। कोर्ट ने मंत्री नंदी को मुचलके और जमानत पर रिहा भी कर दिया है। जानकारी के लिए बता दें कि 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान नंदी कांग्रेस पार्टी के लोकसभा के उम्मीदवार थे। उनके खिलाफ वेंकट रमण शुक्ल ने तीन मई 2014 में मुट्टीगंज थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। आरोप था कि नंदी के ललकारने पर सपा कार्यकर्ताओं के साथ मारपीट की गई। जातिसूचक शब्दों का प्रयोग किया गया और जान से मारने की नियत से फायर किया गया।

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