संजीव सिंह, बलिया। जब बौद्ध धर्म काफी मजबूत हो गया था उसके अनुयाइयों की संख्या दिनप्रतिन बढ़ने लगी तो महान संत कुमार रियुम भट्ट बौद्ध धर्म से शास्त्रार्थ किया और पराजित किया तत्पश्चात आदि शंकराचार्य ने 8 वर्ष की अवस्था में गृह त्याग कर गुरु की खोज में निकल पड़े और गुरु गोविन्द पाद जी से शिक्षा ग्रहण कर चार वेदों का ज्ञान अर्जित किया और सनातन धर्म के प्रचार प्रसार में निकल पड़े और उन्होंने ही चार पीठों की स्थापना सनातन को मजबूती प्रदान करने हेतु किया।
ओछी टिप्पणी कर हमारे सनातन धर्म को ठेस पहुंचने का कार्य कर रहे
जिसमे दक्षिण में शृंगारी पीठ पूरब में गोवर्धन पीठ पश्चिम में द्वारका शारदा पीठ और उत्तर में ज्योतिष पीठ जिसके आज की तिथि में क्रमशः पीठाधीश्वर शंकराचार्य हैं श्री भारती तीर्थ जी, सिंचू शंकराचार्य जी,सदानंद जी,और अविमुक्तेश्वर नंद जी महाराज ये पीठे हमारे धर्म की ध्वजवाहक हैं लेकिन आज सत्ता के संरक्षण में कुछ अर्द्धज्ञानी हमारे शंकराचार्यों पर ओछी टिप्पणी कर हमारे सनातन धर्म को ठेस पहुंचने का कार्य कर रहे हैं जो अत्यंत ही दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय हैं उक्त बाते पूर्व नेता प्रतिपक्ष और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव राम गोविंद चौधरी ने शुक्रवार को एक बयान जारी कर कही।
वेदों के अनुसार गुरु की निन्दा महा पाप
पूर्व नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि शंकराचार्य लोग सनातन परंपरा को मानने वाले लोगों के गुरु हैं और वेदों के अनुसार गुरु की निन्दा महा पाप हैं और यह पाप बीजेपी कर रही हैं और करा रही है जो कही से भी क्षम्य नहीं हैं।रामगोविन्द चौधरी ने कहा कि शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरा नन्द जी सभी वेदों के ज्ञाता, विद्वान, और सनातन धर्म के सर्वमान्य संत है आर एस एस के इशारे पर बीजेपी के लोग हमारे संत परंपरा को धूमिल करने का कार्य कर रहे है सरकार को ऐसे स्वघोषित विद्वानों पर अंकुश लगाना चाहिए अन्यथा सनातन परंपरा को मानने वाले लोग सड़क से सदन तक अपने संत और परंपरा के लिए संघर्ष को बाध्य होंगे।