संजीव सिंह बलिया।दुबहर:दीपावली के अवकाश होने के पूर्व,सोमवार को पी एम श्री विद्यालय अमृतपाली दुबहर की प्रधानाध्यापिका प्रतिमा उपाध्याय पीहू द्वारा प्रदूषण रहित दीपावली मनाने के उद्देश्य से जागरूकता कार्यक्रम चलाया गया,जिसमें पर्यावरण सुरक्षा के प्रति जागरूकता को बढ़ावा देने पर बल दिया गया ।उन्होंने कहा कि आधुनिकता के दौर में दीपावली पर्व पर मिट्टी के दीये जलाने की परंपरा लगभग विलुप्त होती जा रही है।
दीया जलाने की परंपरा आदि काल से रही
इससे सामाजिक रूप से औऱ पर्यावरण पर गलत प्रभाव पड़ने की आशंका को नकारा नहीं जा सकता।दीपावली का त्योहार मिट्टी के दीये से जुड़ा हुआ है। दीया जलाने की परंपरा आदि काल से रही है।आधुनिकता की आंधी में हम अपनी पौराणिक परंपरा को छोड़कर दीपावली पर बिजली की लाइटिंग के साथ तेज ध्वनि वाले पटाखे चलाने लगे है । इससे एक तरफ मिट्टी के कारोबार से जुड़े कुम्हारों के घरों में अंधेरा रहने लगा, तो ध्वनि और वायु प्रदूषण फैलानेवाले पटाखों को अपना कर अपनी सांसों को ही खतरे में डाल दिया।
पर्यावरण के संरक्षण के लिए मिट्टी के दीये जलाना चाहिये
अपने विभिन्न नवाचारों के लिए मुख्यमंत्री एवं राज्यपाल के हाथों पुरस्कृत शिक्षिका एवं लेखिका प्रतिमा उपाध्याय का कहना है कि पंरपरा व पर्यावरण के संरक्षण के लिए मिट्टी के दीये जलाना चाहिये। इनसे कोई प्रदूषण नहीं होता ।कृत्रिम रोशनी आंखों और त्वचा के लिए हानिकारक होती है ।मिट्टी के दीये की रोशनी आंखों को आराम पहुंचाती है ।
मिट्टी के दीये हमारी संस्कृति के एक अहम अंग हैं। दिवाली पर इसे जलाकर हम अपनी परंपराओं को याद रखते हैं । मिट्टी के दीये बनाने वाले कारीगरों को प्रोत्साहित करने का भी यह अच्छा मौका है उन्होंने कहा कि इस दीपावली, हम सभी मिलकर मिट्टी के दीये जलाएं और एक स्वच्छ और हरा-भरा पर्यावरण बनाने में अपना योगदान दें । इस अवसर पर मुख्य रूप से प्रसूनपाठक,निरुपमा सिंह उपस्थित रही।