लखनऊ। उत्तर प्रदेश में फिरोजाबाद के शिकोहाबाद थाना क्षेत्र के गांव नौशहरा स्थित एक मकान में बनाए गए पटाखा गोदाम में सोमवार देर रात अचानक आग लगने से विस्फोट हो गया। इस हादसे में तीन साल की लड़की सहित पांच लोगों की मौत हो गई। जबकि कई लोगों की हालत गंभीर है। विस्फोट इतना जबरदस्त था कि आसपास के 12 मकान ढह गए। जबकि कई मकानों की खिड़की-दरवाजे टूट गए, देर रात तक मलबे में दबे लोगों को जेसीबी से तलाशा जा रहा था।
विस्फोट से आसपास के तीन मकानों की दीवार गिर गईं
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, विस्फोट से आसपास के तीन मकानों की दीवार गिर गईं। घटनास्थल से कुछ ही दूरी पर स्थित एक मकान के अंदर लकड़ी के बेड बनाने वाले एक परिवार की मीरा देवी (52) निवासी नौशहरा, संजना, दीपक और राकेश घायल हो गए। उन्हें उपचार के लिए संयुक्त चिकित्सालय ले जाया गया। वहां मीरा देवी की उपचार के दौरान मौत हो गई। इस हादसे में गौतम (16), अमन (26) व इच्छा (3) की भी मौत हो गई। मलवे में दबे लोगो को बाहर निकाल लिया गया है।
भूरे खान ने पटाखा गोदाम बना रखा था
आईजी दीपक कुमार, जिलाधिकारी रमेश रंजन, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सौरभ दीक्षित, सीओ प्रवीण कुमार तिवारी, इंस्पेक्टर प्रदीप कुमार आदि मौके पर पहुंचे। फायर ब्रिगेड की टीम ने राहत बचाव कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जिस मकान में धमाका हुआ वह चंद्रपाल का है। इसमे भूरे खान ने पटाखा गोदाम बना रखा था। इस हादसे में विनोद, चंद्रकांत, गुड्डू, श्याम सिंह, अनिल, विष्णु, राकेश, पप्पू, अखिलेश, राधा मोहन, संजय, सुरेंद्र, गौरव, राममूर्ति, प्रेम सिंह, नाथूराम, सोनू, दिनेश, जगदीश, राजेंद्र, संतोष के मकान धराशायी हुए हैं।
पुलिस ने रेस्क्यू कर 10 लोगों को बाहर निकाला
आईजी दीपक कुमार ने देररात बताया कि पुलिस ने रेस्क्यू कर 10 लोगों को बाहर निकाला, जिनमें से चार की मौत हुई है, जबकि छह का इलाज चल रहा है। जानकारी मिली है कि गांव के बाहर पटाखा गोदाम की परमिशन ली गई थी, लेकिन यह गांव के अंदर था। विस्फोट इतना जबरदस्त था कि आसपास के 12 मकान ढह गए। जबकि कई मकानों की खिड़की-दरवाजे टूट गए, देर रात तक मलबे में दबे लोगों को जेसीबी से तलाशा जा रहा था।
हादसों को रोकने के लिए इन पर कार्रवाई होनी चाहिए
दिवाली के त्योहार को ध्यान में रखते हुए शिकोहाबाद ही नहीं बल्कि फिरोजाबाद में भी अवैध रूप से पटाखों का भंडारण किया जा रहा है। हादसों को रोकने के लिए इन पर कार्रवाई होनी चाहिए।घटनास्थल से 200 मीटर दूरी पर जाकर लोहे की बड़ी एंगल उड़कर घनी आबादी के बीच गली में जाकर गिरा। सड़कों पर ईंट ही ईंट सड़कों पर पड़ी थीं। कई लोगों की मकानों पर पड़ी सीमेंटेड चादर तक टूट गईं। खिड़कियों के कांच, लकड़ी के दरवाजे बीच में से टूट गए। दहशत इतनी थी कि लोग घरों के बाहर निकलकर अपनी जान बचाकर भाग निकले थे।