लखनऊ। डॉक्टर राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के सर्जरी विभाग के डॉक्टरों ने मंगलवार को एक अभूतपूर्व सर्जरी कर एक बार फिर संस्थान का नाम विश्व पटल पर अंकित कर दिया है। मिशन पूरा हरदोई की रहने वाली 36 वर्षीय किरन यादव लंबे समय से पेट में बाई तरफ़ दर्द से पीड़ित थी जिसका उन्होंने कई जगह इलाज कराया किंतु दर्द से उन्हें निजात नहीं मिली। जिसके निदान के लिए उन्होंने प्रोफ़ेसर विकास सिंह को डॉक्टर राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के सर्जरी विभाग में दिखाया। मरीज़ के जाँच करने के उपरांत पता चला कि मरीज़ के पेट में बायीं तरफ़ पित्त की थैली है जिसमें पथरियाँ बन गई है।

10 हज़ार में से केवल एक व्यक्ति को होता है यह परेशानी

सामान्यतया पित्त की थैली पेट में दाहिनी तरफ़ लीवर के नीचे होती है। मरीज में सामान्यतः बाएं पाए जाने वाले सभी अंग दाहिनी तरफ़ मिले एवं दाहिने पाए जाने वाले सभी अंग बायीं तरफ़ मिले। जिसकी पुष्टि सीटी स्कैन करवाकर भी की गई है। जन्मजात रूप से पायी जाने वाली यह स्थिति चिकित्सा विज्ञान में “साइटस इनवर्सस टोटलिस“ के नाम से जानी जाती है जो कि वैश्विक स्तर पर 10 हज़ार में से केवल एक व्यक्ति को होता है। इस प्रकार अंगों की बदली हुई स्थिति की परंपरागत तरीक़े से स्थापित सर्जरी की विधियों को और जटिल बनाती है।

एक घंटे चले इस ऑपरेशन के पश्चात मरीज़ पूरी तरीक़े से स्वस्थ

मरीज़ की उम्र को देखते हुए डॉक्टर विकास सिंह ने नाभि के रास्ते परम्परागत दूरबीन के उपकरणों का इस्तेमाल करते हुए केवल एक चीरे से ऑपरेशन करने का निर्णय लिया, जिसके फलस्वरूप मरीज़ के पेट पर कोई भी निशान बाक़ी नहीं रह जाता। ऑपरेशन के दौरान यह भी पाया गया कि मरीज़ की पित्त की थैली को खून पहुँचाने वाली धमनी के रूप में भी परिवर्तन है जिसमें बड़ी ही कुशलता से ऑपरेशन किया गया।

पारंपरिक दूरबीन उपकरणों का प्रयोग कर एक छिद्र से ऑपरेशन करने में प्रोफ़ेसर विकास सिंह को विशिष्ट कौशल प्राप्त है। एक घंटे चले इस ऑपरेशन के पश्चात मरीज़ पूरी तरीक़े से स्वस्थ है।

डॉक्टर विकास सिंह के नेतृत्व में हुआ सफल ऑपरेशन

बताते चलें कि अभी तक विश्व चिकित्सा विज्ञान में कि साइटस इनवर्सस टोटलिस स्थिति में दूरबीन विधि से एक चीरे से की जाने वाली पित्त की थैली के मात्र 3-4 केस रिपोर्ट किये गये हैं। यह अपने आप में इस सर्जरी को विशिष्ट स्थान प्रदान करता है। इस ऑपरेशन को डॉक्टर विकास सिंह के नेतृत्व में डॉक्टर हरेंद्र पंकज डॉक्टर समाया बाजपेई, डॉक्टर प्रियांशी स्वरूप एवं डॉक्टर पायल चौधरी ने किया। पूर्ण बेहोशी में किए गए इस ऑपरेशन में निश्चेतना विभाग के डॉक्टर एस एस नाथ के नेतृत्व में डॉक्टर राधिका, डॉक्टर्स सौम्या, डॉक्टर रमेश, डॉक्टर मधु और डॉक्टर चक्रधर के मुख्य भूमिका रही।

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