लखनऊ । अपना दल (एस) की अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने भी जातीय जनगणना के अलावा आउटसोर्सिंग से होने वाली भर्तियों में आरक्षण की मांग उठाकर सियासी गलियारों में हलचल पैदा कर दी है। अनुप्रिया ने कहा कि आउटसोर्सिंग कैंसर से भी खतरनाक है। आउटसोर्सिंग में भर्तियों में आरक्षण का पालन नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि देश में जातीय जनगणना भी कराया जाना चाहिए, ताकि जातिय आंकड़ों की सही जानकारी सामने आ सके।
जातीय संख्या का अधिकारिक आंकड़ा होना जरूरी
अनुप्रिया रविवार को यहां सहकारिता भवन सभागार में आयोजित पार्टी की मासिक बैठक में कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि पहले तो समाज के दबे कुचले लोगों को चतुर्थ श्रेणी में नौकरी भी मिल जाती थी, लेकिन अब आउटसोर्सिंग से भर्ती की वजह से छोटी-मोटी नौकरियों की गुंजाइश भी खत्म हो गई है। उन्होंने कहा कि वंचित समाज को यदि हक, सम्मान और भागीदारी देनी है तो जातीय संख्या का अधिकारिक आंकड़ा होना जरूरी है।
अखिल भारतीय न्यायिक सेवा का गठन करने की मांग उठाई
अनुप्रिया ने कहा कि संविदा नौकरियों में आरक्षण की मांग हम इसलिए करते हैं, क्योंकि संविदा की नौकरी भी सरकारी नौकरी है और अगर सरकारी नौकरी है, तो आरक्षण भी होना चाहिए। उन्होंने न्यायपालिका में भी वंचितों की भागीदारी बढ़ाने के लिए अखिल भारतीय न्यायिक सेवा का गठन करने की मांग उठाई। कार्यकर्ताओं को लोकसभा चुनाव के परिणामों से निराश न होने की सलाह दी।
अपना दल का प्रदर्शन चुनाव में और बेहतर होगा
उन्होंने कहा कि एक-एक कार्यकर्ता को सिपाही बनकर पार्टी के लिए लगे रहना होगा।इससे पहले पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष और प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री आशीष पटेल ने कहा कि पार्टी के नेता और कार्यकर्ता निरंतर संगठन का जनाधार बढ़ाने में लगे हुए हैं। हमारे कार्यकर्ता पूरी लगन से लगे हुए हैं। आने वाले समय में अपना दल का प्रदर्शन चुनाव में और बेहतर होगा।
संगठन से ही बनती हैं सरकारें
कार्यक्रम के बाद पत्रकारों से बातचीत में अनुप्रिया ने केशव प्रसाद के बयान का समर्थन करते हुए यह बात सही है कि संगठन सरकार से बड़ा होता है। उन्होंने कहा कि संगठन की मेहनत से ही सरकारें बनती हैं। इसलिए संगठन के महत्व से इन्कार नहीं किया जा सकता है। संगठन की अहमियत को किसी एक नहीं, सभी पार्टियों में अधिक होता है। अयोध्या की घटना को लेकर अनुप्रिया ने कहा अपराधी का कोई जाति या मजहब नहीं होता। इस मामले में आरोपी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।