गोरखपुर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विपरीत परिस्थितियों में भी अथक परिश्रम के साथ मरीजों की सेवा करने के लिए डॉक्टरों की सराहना करने के साथ उनकाे किसी भी हालत में धैर्य बनाए रखने की सीख दी है। उन्होंने कहा कि पेशेंट और अटेंडेंट के प्रति सेवा भाव के साथ ही पेशेंस का भी रखना बेहद जरूरी है। एक डॉक्टर के प्रति आमजन जो श्रद्धा और सम्मान की भावना रखता है, उसे बड़े मेहनत से संजोए रखना डॉक्टर की जिम्मेदारी है।

छात्रों को टैबलेट व स्मार्टफोन भी वितरित किए

सीएम योगी शनिवार को बाबा राघव दास (बीआरडी) मेडिकल कॉलेज में कई विकास परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास करने के साथ ही जनहित में विभिन्न नई सुविधाओं का शुभारंभ करने के बाद मेडिकल कॉलेज के ऑडिटोरियम में आयोजित समारोह को संबोधित कर रहे थे।इस अवसर पर उन्होंने एमबीबीएस और पैरामेडिकल के छात्रों को टैबलेट व स्मार्टफोन भी वितरित किए। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब किसी के परिवार का कोई सदस्य बीमार होता है तो उसके तनाव की सहज कल्पना की जा सकती है। कोई मरीज किसी के परिवार का मुखिया होता है तो कोई मरीज किसी परिवार का इकलौता बेटा।

सहायता से पैसे को लेकर तनाव नहीं रह गया

सीएम योगी ने कहा कि आयुष्मान योजना और मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से मिल रही बड़े पैमाने पर सहायता से पैसे को लेकर तनाव नहीं रह गया है फिर भी बीमार और उसके तीमारदार की अपनी समस्याएं होती हैं। उसके तनाव को समझा जा सकता है और ऐसे में जब किसी मरीज-तीमारदार के साथ मारपीट की घटना हो जाती है तब लोगों में खिन्नता का भाव पैदा होता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि एक डॉक्टर की पहचान योग्यता, सेवा के साथ धैर्य से भी बननी चाहिए क्योंकि डॉक्टर का पेशेंस जवाब दे देगा तो पेशेंट की दिक्कत बढ़ सकती है। उन्होंने कहा कि प्यार के दो बोल से मरीज की स्थिति में बड़ा परिवर्तन आ सकता है, उसे नया जीवन मिल सकता है।

एक जिला-एक मेडिकल कॉलेज की तरफ तेजी से आगे बढ़ा यूपी

सीएम योगी ने कहा कि एक दौर वह भी था जब गोरखपुर मंडल में एकमात्र बीआरडी मेडिकल कॉलेज ही था। बस्ती, अयोध्या, आजमगढ़, देवीपाटन मंडल में एक भी मेडिकल कॉलेज नहीं थे। जबकि आज कुशीनगर, देवरिया, बस्ती, सिद्धार्थनगर, गोंडा, बहराइच, अयोध्या, अंबेडकरनगर, सुल्तानपुर, अमेठी, आजमगढ़ आदि जिलों में मेडिकल कॉलेज बन गए हैं। महराजगंज, शामली और संभल में पीपीपी मॉडल पर मेडिकल कॉलेज शुरू हो गए हैं, बलरामपुर और बलिया में भी मेडिकल कॉलेज बनने की प्रक्रिया आगे बढ़ी है। प्रदेश में मेडिकल कॉलेजों की लंबी श्रृंखला खड़ी हो रही है। यूपी एक जिला-एक मेडिकल कॉलेज की तरफ तेजी से आगे बढ़ा है। मुख्यमंत्री ने बताया कि इस वर्ष यूपी में 10500 से अधिक एमबीबीएस सीटों पर प्रवेश होने जा रहा है। इससे डॉक्टरों की कमी को पूरा करने में काफी मदद मिलेगी।

स्वास्थ्य सुविधाओं के सुदृढ़ होने के आ रहे सुखद परिणाम

सीएम योगी ने कहा कि सरकार ने नए मेडिकल कॉलेज खोले तो वहीं पुराने मेडिकल कॉलेजों को बेहतरीन सुविधाओं, संसाधनों से आच्छादित किया। स्वास्थ्य सुविधाओं के सुदृढ़ होने के सुखद परिणाम आ रहे हैं। नेशनल हेल्थ सर्वे में 2011-14 तक प्रदेश में मातृ मृत्यु दर 285 थी जबकि आज यह घटकर 150 से 165 के बीच आ गई है। इसी तरह शिशु मृत्यु दर पहले 57 प्रति हजार थी जो अब घटकर 30 से 35 के बीच रह गई है। सीएम ने कहा कि हमें स्वास्थ्य एवं चिकित्सा क्षेत्र को उत्कृष्ट बनाने के लिए निरंतर प्रयास करते रहना होगा। खुद को नए शोध और नई तकनीकी की जानकारी से अपडेट करते रहना होगा।

बीआरडी मेडिकल कॉलेज के पतन से उत्थान तक का साक्षी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बीआरडी मेडिकल कॉलेज में नई सुविधाओं का शुभारंभ करते हुए कुछ यूं भावुक हुए कि उन्होंने इसके बदहाल स्थिति से लेकर बदलाव तक की कहानी सबको याद दिला दी। उन्होंने कहा कि वह 30-35 वर्ष से बीआरडी मेडिकल कॉलेज के पतन से लेकर उत्थान तक कि कहानी देखते रहे हैं। कभी मेडिकल कॉलेज की डिग्री व मान्यता पर खतरा मंडराता था तो प्रति वर्ष बड़े पैमाने पर बच्चों की मौत इंसेफेलाइटिस से होती थी। कभी कभी लगता था कि इसकी मान्यता अब गई कि तब गई। इंसेफेलाइटिस पूर्वी यूपी के लिए अभिशाप बनी हुई थी। बड़ी संख्या में मरीज भर्ती होते थे, कोई सुविधा नहीं थी।

पहले एक बेड पर चार बच्चे भर्ती रहते थे: सीएम

पहले एक बेड पर चार बच्चे भर्ती रहते थे। पुरानी बिल्डिंग के थर्ड फ्लोर पर इंसेफेलाइटिस वार्ड में पंखा तक नहीं था। टॉयलेट चोक होने से फर्श पर पानी पसरा रहता था। भीषण गर्मी और बदबू से लोगों को चक्कर आने लगता था। 1998 में पहली बार सांसद बनने के बाद से ही उन्होंने राज्य से लेकर केंद्र सरकार के स्तर तक लड़ाई लड़ी। आज छह से सात साल में इस मेडिकल कॉलेज की पूरी तस्वीर ही बदल गई है। इंसेफेलाइटिस के इस साल सिर्फ चालीस मरीज भर्ती हुए और कैजुअल्टी एक भी नहीं है। अंतर विभागीय समन्वय और टीम वर्क से इंसेफेलाइटिस नियंत्रण एक मॉडल बना है जिसे हम देश-दुनिया के सामने रख सकते हैं।

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