लखनऊ। भाकपा (माले) ने कहा है कि हाथरस में भगदड़ से हुई 121 मौतों के मामले में बड़े जिम्मेदार को बचाने की कोशिश हो रही है। दिखाने के लिए गिरफ्तारियां भी जारी हैं, मगर अभी तक न तो बाबा, न ही प्रशासन के जिम्मेदार किसी अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई या गिरफ्तारी हुई है।पार्टी के राज्य सचिव सुधाकर यादव ने रविवार को जारी बयान में कहा कि हाथरस जिला प्रशासन जो खुद जांच की जद में है, मामले पर लीपापोती की कोशिश में लगा है। जांच को गलत दिशा में ले जाने और भ्रम फैलाने की कोशिश हो रही है, ताकि असल गुनहगार बचाये जा सकें।

हाथरस मौत मामले में बड़ों को बचाने की हो रही कोशिश

उन्होंने कहा कि जिला पुलिस प्रमुख बयान दे रहे हैं कि आयोजन के पीछे कुछ सियासी दलों का हाथ हो सकता है। जबकि मूल मसला शासन-प्रशासन की लापरवाही और विफलता का है, जिसकी वजह से इतनी मौतें हुईं। लाखों लोगों की उपस्थिति वाले कार्यक्रम की अधिकारियों ने जानबूझकर अनदेखी की। न तो भीड़ प्रबंधन के उपाय किये गए, न ही एम्बुलेंस, डॉक्टर व इलाज का प्रबंध किया गया। अगर मुस्तैदी दिखाई गई होती, तो कई जानें बचाई जा सकती थीं।

अभी तक एसपी-डीएम का बाल तक बांका नहीं हुआ

माले राज्य सचिव ने कहा कि बाबा का एफआईआर में नाम तक नहीं है। उन्हें संरक्षण कहां से मिल रहा है? मुख्य सचिव, डीजीपी और यहां तक कि मुख्यमंत्री का भी दौरा हो चुका है, लेकिन एसपी-डीएम का बाल तक बांका नहीं हुआ, जिनकी जवाबदेही पहले बनती है। नाममात्र का मुआवजा देकर और भगदड़ के पीछे षड्यंत्र की बात कर सरकार मृतकों के परिवारों के शोक व गुस्से को शांत और खुद की विफलता पर पर्दा डालने की जुगत में है। माले नेता ने उम्मीद जताई कि घटना की जांच के लिए बना न्यायिक आयोग उपरोक्त का संज्ञान लेगा, मृतकों को न्याय दिलाएगा और सही निष्कर्ष निकालेगा, जिससे भविष्य में पुनरावृत्ति न हो।

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