एसएमयूपीन्यूज, लखनऊ।राजधानी लखनऊ में साइबर क्राइम सेल और थाना पीजीआई पुलिस ने संयुक्त रूप से एक बेहद शातिर और संगठित अंतरराज्यीय साइबर ठग गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए 15 जालसाजों को गिरफ्तार किया है। ये ठग ‘अन्ना रेड्डी’ नामक एक फर्जी एप और लिंक के जरिए देशभर में सट्टेबाजी व ऑनलाइन निवेश योजना का झांसा देकर आम जनता से करोड़ों रुपये की ठगी कर रहे थे। गिरोह के मुख्य सरगना और संचालन तंत्र के विदेशी कनेक्शन भी सामने आए हैं, जो श्रीलंका, सिंगापुर जैसे देशों से गिरोह को नियंत्रित कर रहे थे।
गोपनीय सूचना से शुरू हुई कार्रवाई
डीसीपी अपराध कमलेश दीक्षित ने बताया कि थाना पीजीआई और साइबर क्राइम सेल की टीम सीएनजी पंप, वृंदावन योजना के पास मौजूद थी, तभी मुखबिर से सूचना मिली कि शामिया मेल रोड स्थित ‘ए टावर’ के फ्लैट नंबर 1105 में 15-20 युवक मौजूद हैं जो लगातार मोबाइल, लैपटॉप, एटीएम आदि से संदिग्ध गतिविधियों में लिप्त हैं। सूचना की गंभीरता को देखते हुए सहायक पुलिस आयुक्त गोसाईगंज को अवगत कराते हुए तत्काल छापेमारी की गई।
ऑफिस की तरह बना रखा था ठगी का अड्डा
पुलिस टीम जब मौके पर पहुंची तो देखा कि फ्लैट को ऑफिस की तरह सेट किया गया था। कई कुर्सियों और टेबल पर लैपटॉप, मोबाइल, आधार कार्ड, डेबिट कार्ड, चेकबुक, पासबुक आदि बिखरे हुए थे। युवक अलग-अलग लोगों से फोन पर बात कर रहे थे और उनके सामने निवेश व खातों से संबंधित नोट्स रखे थे। पुलिस को देख सभी युवक लैपटॉप बंद कर भागने लगे लेकिन टीम ने घेराबंदी कर सभी को मौके पर पकड़ लिया।
जांच में सामने आए ये हुए खुलासे
पूछताछ में आरोपियों ने स्वीकार किया कि वे लोग ‘अन्ना रेड्डी’ एप और लिंक के जरिए लोगों को सट्टा, इनाम, या बड़े मुनाफे के झूठे वादे कर ऑनलाइन निवेश के लिए प्रेरित करते थे। पीड़ित जब रकम ट्रांसफर कर देता था, तो उसे ब्लॉक कर दिया जाता था। इस गिरोह ने देश के अलग-अलग हिस्सों में सैकड़ों लोगों को अपना शिकार बनाया है।ठगी के पैसे फर्जी खातों के जरिए कई लेयर में घुमाकर निकाल लिए जाते थे। पुलिस की नजर से बचने के लिए सिम कार्ड, मोबाइल फोन, और यहां तक कि ठिकाने भी बार-बार बदले जाते थे।
विदेशों से हो रहा था गिरोह का संचालन
गिरफ्तार आरोपियों ने बताया कि उनका मुख्य सरगना विशाल यादव उर्फ गन्नी और प्रिंस है, जो सोशल मीडिया और मोबाइल कॉल्स के जरिए अपने गुर्गों को ‘टास्क’ देते थे। ठगी की रकम को श्रीलंका और सिंगापुर जैसे देशों के जरिए संचालित बैंक खातों में ट्रांसफर किया जाता था। पुलिस को ट्रैवेल हिस्ट्री और ट्रांजैक्शन के आधार पर गिरोह के अंतरराष्ट्रीय संपर्कों के पुख्ता सबूत मिले हैं।
अब तक 157 साइबर शिकायतें दर्ज
साइबर सेल द्वारा जब्त किए गए मोबाइल, पासबुक, चेकबुक और साइबर पोर्टल की समीक्षा में अब तक 157 साइबर ठगी की शिकायतें सामने आई हैं। ये शिकायतें देश के विभिन्न राज्यों से दर्ज हुई हैं और संबंधित थानों से संपर्क कर केस की पुष्टि की जा रही है। जांच में सामने आया है कि लाखों का नहीं बल्कि करोड़ों रुपये का लेन-देन इस गिरोह द्वारा किया गया है।
बरामद सामान की सूची
70 मोबाइल फोन, 11 लैपटॉप, 9 चार्जर, 115 एटीएम/डेबिट कार्ड, 25 चेकबुक, 53 पासबुक, 38 खुले सिम कार्ड, 26 पैक्ड सिम कार्ड, 9 पैन कार्ड, 1 वाई-फाई कैमरा बरामद किया है।
गिरफ्तार अभियुक्तों की पहचान
गिरफ्तार हुए 15 जालसाजों में उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्यप्रदेश के युवक शामिल हैं। इनकी उम्र 19 से 29 वर्ष के बीच है। कुछ अभियुक्त पढ़ाई छोड़ चुके हैं, जबकि कुछ ने तकनीकी शिक्षा लेकर इसका दुरुपयोग किया।
पुलिस की अगली कार्रवाई
डीसीपी क्राइम ने बताया कि अब इस पूरे नेटवर्क की मनी ट्रेल, आईटी ऐक्सपर्ट के माध्यम से फॉरेंसिक जांच, और विदेशी लिंक की जांच की जाएगी। गिरोह के सरगनाओं की गिरफ्तारी और अन्य संभावित ठिकानों की तलाश में टीमें रवाना कर दी गई हैं।यह मामला दर्शाता है कि कैसे संगठित साइबर अपराधी फर्जी निवेश व गेमिंग एप्स के जरिए आम लोगों को निशाना बना रहे हैं। पुलिस की तत्परता और तकनीकी विश्लेषण से इस गिरोह पर शिकंजा कसा गया है, लेकिन यह केवल शुरुआत है। साइबर सुरक्षा को लेकर आम जनता को अधिक सतर्क रहने की जरूरत है।
यह भी पढ़े: राजधानी में नाबालिग लड़की से छेड़छाड़ और हमला, सिपाही हुआ गिरफ्तार
यह भी पढ़े : 242 यात्रियों को ले जा रहा एयर इंडिया का विमान दुर्घटनाग्रस्त, राहत व बचाव कार्य जारी