एसएमयूपीन्यूज, लखनऊ।कभी जिस घर में भाईयों की हंसी गूंजती थी, अब वहां सिर्फ सिसकियों की आवाज़ है। जिस बंथरा कस्बे में मोनू और अभिषेक की जोड़ी को लोग राम-लक्ष्मण कहकर पुकारते थे, वहां अब हर आंख नम है। पहले छोटे भाई अभिषेक की अचानक मौत हुई, और महज़ चार दिन बाद बड़े भाई मोनू भी इस दुनिया को अलविदा कह गए। दोनों भाईयों की मौतें न बीमारी से हुईं, न किसी हादसे से – बस वक्त ने उन्हें ऐसे छीना कि हर कोई दंग रह गया।
24 साल का अभिषेक चला गया अचानक…
सरोजनीनगर तहसील में वकालत करने वाले 24 वर्षीय अधिवक्ता अभिषेक सिंह उर्फ पवन की ज़िंदगी जैसे किसी ने पल भर में छीन ली। बीते सोमवार को वो अपने एक साथी के साथ बिजनौर से रजिस्ट्री का काम निपटाकर वापस तहसील पहुंचे थे। चेंबर के बाहर कुछ साथी वकीलों के साथ हंसी-मजाक चल रहा था कि अचानक अभिषेक की आंखें बंद हो गईं और वो गिर पड़े। साथियों ने आनन-फानन में अस्पताल पहुंचाया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। न कोई बीमारी, न कोई तकलीफ – एक जिंदादिल युवक बस यूं ही चल बसा।
भाई की मौत ने तोड़ दिया मोनू को
छोटे भाई की मौत से मोनू सिंह अंदर से टूट गए थे। मेडिकल स्टोर चलाने वाले 45 वर्षीय मोनू, अभिषेक की शादी की तैयारियों में जुटे थे। कई बार कहा करते थे, “मेरे भाई की शादी ऐसी करूंगा कि मोहल्ला देखता रह जाएगा।” लेकिन जब अभिषेक की अर्थी उठी, तो मोनू की दुनिया जैसे खत्म हो गई। वो ठीक से खाना नहीं खा रहे थे, ना ही किसी से बात करते थे। घरवालों से बस इतना कहते, “अब किसके लिए जिऊं?”
शुक्रवार को दिल ने भी साथ छोड़ दिया
अभिषेक की मौत के चौथे दिन, शुक्रवार की सुबह मोनू को अचानक सीने में दर्द उठा। परिवार वाले फौरन अस्पताल ले गए, मगर डॉक्टरों ने उन्हें भी मृत घोषित कर दिया। डॉक्टरों का मानना है कि यह हार्ट अटैक था, लेकिन परिवार का कहना है – यह दिल का नहीं, भाई की याद का घाव था जो जान ले गया।
टूट गया परिवार, उजड़ गई उम्मीदें
दो बेटों की अर्थी उठ जाने के बाद अब लाल बहादुर सिंह और उनकी पत्नी गुमसुम हैं। एक बहन बची है, लेकिन अब वह भी बेसुध है। मोनू की कोई संतान नहीं थी, वो बहन के बच्चों को ही अपना मानते थे। अब वो रिश्ते भी सूने पड़ गए हैं। मोहल्ले वाले कह रहे हैं कि ऐसा प्रेम, ऐसी जोड़ी बहुत कम देखने को मिलती है – और ऐसी मौतें तो और भी दुर्लभ होती हैं।
रोते-रोते नम आंखों से एक बुजुर्ग पड़ोसी ने कहा
“राम-लक्ष्मण की जोड़ी थी बेटा… एक गया तो दूसरा कैसे जीता…”इस ह्रदयविदारक घटना ने साबित कर दिया कि कभी-कभी मौत शरीर को नहीं, आत्मा को छीन लेती है। और जब आत्मा का एक हिस्सा चला जाए – तो बाकी हिस्सा खुद ही पीछे चल देता है…
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