एसएमयूपीन्यूज, लखनऊ। पत्रकारिता केवल सूचना का माध्यम नहीं, अपितु राष्ट्र निर्माण की दिशा में एक सशक्त साधन है। पत्रकार की लेखनी में भारत निर्माण और लोकमंगल की भावना होनी चाहिए। यह विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पूर्वी उत्तर प्रदेश के क्षेत्र प्रचार प्रमुख सुभाष ने शनिवार को लखनऊ विश्वविद्यालय के मालवीय सभागार में व्यक्त किए। अवसर था देवर्षि नारद जयंती के उपलक्ष्य में ‘लोकमंगल की पत्रकारिता एवं राष्ट्रधर्म’ विषयक विचार गोष्ठी का, जिसका आयोजन विश्व संवाद केंद्र एवं लखनऊ विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग के संयुक्त तत्वावधान में हुआ।
नारद जी ने पौराणिक काल में सूचना के आदर्श रूप को स्थापित किया
सुभाष ने कहा कि नारद जी ने पौराणिक काल में संवाद और सूचना के आदर्श रूप को स्थापित किया, लेकिन फिल्मों में उन्हें विदूषक की छवि में प्रस्तुत किया गया जो दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने पंजाब केसरी के संपादक लाला जगतनारायण और दैनिक जागरण के नरेंद्र मोहन जैसे पत्रकारों का उल्लेख करते हुए उन्हें राष्ट्रधर्म की पत्रकारिता का प्रतीक बताया। साथ ही गीता प्रेस गोरखपुर के हनुमान प्रसाद पोद्दार की निष्काम सेवाभाव से प्रेरित लेखनी को भी स्मरणीय बताया।
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देशहित सर्वोपरि, पत्रकार की लेखनी में हो सद्भावना: प्रवीण कुमार
कार्यक्रम में टाइम्स ऑफ इंडिया के स्थानीय संपादक प्रवीण कुमार ने कहा कि नारद महर्षि पत्रकारिता के जनक हैं। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर जैसे मामलों का जिक्र करते हुए पत्रकारों की जिम्मेदारी पर प्रश्न उठाया और कहा कि देश की सुरक्षा से बढ़कर कोई खबर नहीं हो सकती।
राष्ट्रधर्म ही पत्रकारिता का मार्गदर्शन: आसुतोष शुक्ल
मुख्य अतिथि दैनिक जागरण के प्रदेश संपादक आशुतोष शुक्ल ने कहा कि पत्रकार को समाज में रहकर भी समाज से विरक्त होकर सच्चाई का प्रकाश फैलाना होता है। उन्होंने कहा कि एक पत्रकार का अध्ययनशील होना आवश्यक है, तभी उसकी लेखनी में ताकत होती है। उन्होंने यह भी कहा कि पत्रकार की खबर में केवल आलोचना नहीं, समाधान भी होना चाहिए।
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पत्रकारिता में जवाबदेही अनिवार्य: कुलपित प्रो. आलोक राय
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आलोक राय ने कहा कि जवाबदेही ही पत्रकारिता की आत्मा है। बिना उत्तरदायित्व के किया गया लेखन केवल सूचना है, पत्रकारिता नहीं। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय की कई समस्याएं समाचारों से उजागर हुईं, जिससे उन्हें सुलझाने में प्रशासन सक्रिय हुआ।
पुस्तक विमोचन और प्रमुख उपस्थिति
कार्यक्रम में डॉ. सौरभ मालवीय की पुस्तक ‘भारतीय पत्रकारिता के स्वर्णिम हस्ताक्षर’ का विमोचन भी हुआ। इस अवसर पर डॉ. अशोक दुबे, नरेंद्र भदौरिया, डॉ. कृतिका अग्रवाल, मनोजकांत, डॉ. मुकुल श्रीवास्तव, दिलीप शुक्ला, डॉ. अमित कुशवाहा, यशोदानंद, प्रशांत भाटिया, डॉ. उमेश, सर्वेश द्विवेदी समेत अनेक गणमान्य पत्रकारिता एवं सामाजिक क्षेत्र की हस्तियां मौजूद रहीं।