लखनऊ । भारत सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड (NSAB)का पुनर्गठन करते हुए खुफिया तंत्र के दिग्गज और पूर्व RAW प्रमुख आलोक जोशी को इसका अध्यक्ष नियुक्त किया है। लखनऊ के मूल निवासी जोशी की यह नियुक्ति ऐसे समय पर हुई है जब देश को साइबर हमलों, आतंकवाद और क्षेत्रीय तनाव जैसी कई सुरक्षा चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

सात सदस्यीय टीम में इन्हें भी किया गया है शामिल

नए सिरे से गठित सात सदस्यीय बोर्ड में सशस्त्र बलों, पुलिस और राजनयिक सेवाओं के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं। नए सदस्यों में सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी एयर मार्शल पीएम सिन्हा (पूर्व पश्चिमी वायु कमांडर), लेफ्टिनेंट जनरल एके सिंह (पूर्व दक्षिणी सेना कमांडर), रियर एडमिरल मोंटी खन्ना (सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी), राजीव रंजन वर्मा (पूर्व आईपीएस अधिकारी), मनमोहन सिंह (पूर्व आईपीएस अधिकारी) और बी वेंकटेश वर्मा (सेवानिवृत्त आईएफएस) अधिकारी हैं।

भारत की सुरक्षा रणनीति में यह एक महत्वपूर्ण कदम

उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड (एनएसएबी) भारत सरकार की एक महत्वपूर्ण संस्था है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक हित के मामलों पर प्रधानमंत्री कार्यालय को सलाह देने का काम करती है। इसकी स्थापना 19 नवंबर 1998 को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने ब्रजेश मिश्रा के साथ पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में की थी।पूर्व रॉ प्रमुख आलोक जोशी को हाल ही में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड (NSAB) का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। लखनऊ के निवासी जोशी का यह चयन भारत की सुरक्षा रणनीति में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

1976 बैच के हरियाणा कैडर के आईपीएस के रूप कैरियर की शुरूआत

आलोक जोशी का जन्म लखनऊ में हुआ और उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU), दिल्ली से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की। 1976 बैच के हरियाणा कैडर के आईपीएस अधिकारी के रूप में उन्होंने अपने करियर की शुरुआत की और बाद में खुफिया सेवाओं में महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाईं।​साल 2005 में आलोक जोशी इंटेलिजेंस ब्यूरो के जॉइंट डायरेक्टर बनाए गए। साल 2010 में उन्हें रॉ का स्पेशल सेक्रेटरी बनाया गया था। 1977 त्रिपुरा कैडर के आईपीएस अमिताभ माथुर और आलोक जोश के बीच रॉ चीफ बनने को लेकर कॉम्पीटिशन था। दोनों ही इस पद के लिए कोशिश कर रहे थे और दोनों इसके लिए क्वालिफाइड भी थे।

जोशी 2005 में आईबी के जॅाइट डायरेक्टर बने

प्रधानमंत्री की अपॉइंटमेंट्स कमेटी ऑफ द कैबिनैट ने माथुर को ही नहीं आलोक जोशो को ही रॉ का चीफ चुना था। बता दें कि आलोक जोशी 2005 में आईबी के जॅाइट डायरेक्टर बने फिर 2010 में रॉ में स्पेशल सेक्रेटरी, 2012-2014 में रॉ के चीफ रहे। इसके बाद 2015 से 2018 में नेशनल टेक्निकल रिसर्च ऑर्गेनाइशन के चेयरमैन रहे, 2025 में एनएसएबी के चेयरमैन बनाए गए। NSAB भारत सरकार को सुरक्षा और रणनीतिक मामलों में सलाह देने वाला एक महत्वपूर्ण निकाय है। जोशी की नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब भारत-पाकिस्तान संबंधों में तनाव है, विशेषकर पहलगाम आतंकी हमले के बाद। उनकी विशेषज्ञता से NSAB को साइबर सुरक्षा, आतंकवाद-रोधी रणनीतियों और क्षेत्रीय भू-राजनीतिक चुनौतियों से निपटने में मदद मिलेगी।

पाकिस्तान के खिलाफ कर चुके हैं ऑपरेशन

पहलगाम आतंकी हमले के बाद NSA बोर्ड में बदलाव काफी अहम माना जा रहा है। क्योंकि आलोक कुमार पाकिस्तान और नेपाल में कई महत्वपूर्ण ऑपरेशन्स को अंजाम देने में अहम भूमिका निभा चुके हैं। उन्हें पाकिस्तान की हर नब्ज की पता है। वहां उनका खुफिया तंत्र बहुत स्ट्रॉन्ग है. आलोक कुमार साल 2012 से 2014 तक भारतीय खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग यानी RAW के चीफ रहे हैं. इसके बाद उन्होंने NTRO के चेयरमैन के रूप में भी सेवा दी और इस दौरान साइबर सुरक्षा और तकनीकी खुफिया में भारत की क्षमताओं को सुदृढ़ किया।

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