लखनऊ।राजधानी में गुरुवार की सुबह एक भयावह सड़क हादसा हुआ जिसने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया। मोहनलालगंज थाना क्षेत्र के आउटर रिंग रोड स्थित किसान पथ पर एक प्राइवेट डबल डेकर बस में अचानक भीषण आग लग गई। यह बस बिहार के बेगूसराय से दिल्ली जा रही थी, जिसमें करीब 80 यात्री सवार थे। हादसे में 2 मासूम बच्चों समेत 5 यात्रियों की जलकर दर्दनाक मौत हो गई जबकि कई अन्य लोग बाल-बाल बचे।

हादसे के वक्त ज्यादातर यात्री गहरी नींद में थे

हादसे के वक्त ज्यादातर यात्री गहरी नींद में थे और कुछ ही मिनटों में चीख-पुकार और भगदड़ मच गई। अफसोस की बात ये रही कि जैसे ही आग भड़की, बस का चालक और परिचालक यात्रियों को बिना कोई सूचना दिए कूदकर फरार हो गए। इस लापरवाही के चलते कई जानें असमय मौत की भेंट चढ़ गईं।

बेगूसराय से दिल्ली जा रही थी डबल डेकर बस

सुबह करीब 4:40 बजे हुआ हादसा, 80-100 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चल रही थी बसजानकारी के अनुसार, बुधवार दोपहर 12:30 बजे बेगूसराय से रवाना हुई यह बस (UP17 AT 6372) दिल्ली जा रही थी। रास्ते में रात 12 बजे गोरखपुर से कुछ और सवारियों को बस में बैठाया गया था। गुरुवार सुबह लगभग 4:40 बजे जैसे ही यह बस लखनऊ आउटर रिंग रोड स्थित कटे भीट गांव के पास पहुंची, उसमें अचानक इंजन के पास से चिंगारी उठी और आग भड़क गई।

कुछ ही पलों में पूरी बस धू-धू कर जलने लगी

बता दें कि बस की रफ्तार उस वक्त 80 से 100 किमी प्रति घंटा बताई गई है। जब तक लोग समझ पाते तब तक आग इतनी तेजी से फैली कि कुछ ही पलों में पूरी बस धू-धू कर जलने लगी। यात्रियों ने बताया कि बस में लगे पर्दों के कारण आग और तेजी से फैल गई।

यात्रियों ने शीशे तोड़कर बचाई जान

इस हृदयविदारक हादसे के बाद जो दृश्य सामने आया, वो किसी भी संवेदनशील व्यक्ति को भीतर तक हिला सकता है। यात्री अनुज सिंह ने बताया, “इंजन में स्पार्किंग से आग लगी। सब सो रहे थे। अचानक चीख-पुकार मच गई। मैंने पत्नी को उठाया और शीशा तोड़कर कूदे। लेकिन बस के पिछले हिस्से में बैठे यात्री फंस गए। इमरजेंसी गेट खोलना चाहा, लेकिन वह जाम था।

देखते ही देखते आग पूरे बस में फैल गई

एक अन्य यात्री रवि कुमार ने बताया, “गियर के पास से धुआं निकला और देखते ही देखते आग फैल गई। ड्राइवर और कंडक्टर आवाज भी नहीं लगाई और बस से कूदकर भाग निकले। अगर वे अलर्ट करते, तो शायद ज्यादा लोग बच सकते थे। यात्री  तारचंद ने भी कहा, “हम हाथों, मोबाइल और बैग से शीशा तोड़कर निकले। अगर पुलिस और आसपास के लोग न आते, तो मरने वालों की संख्या और ज्यादा होती।

पुलिस और दमकल टीम ने समय रहते किया रेस्क्यू

थाना मोहनलालगंज में सूचना मिलते ही सहायक पुलिस आयुक्त, मोहनलालगंज, पुलिस बल और फायर ब्रिगेड की टीम के साथ मौके पर पहुंचे। उन्होंने राहत एवं बचाव कार्य शुरू किया। दमकल कर्मियों की मदद से आग पर काबू पाया गया। कांच तोड़कर यात्रियों को बाहर निकाला गया।

बस की तलाशी के दौरान मिले पांच शव

दमकल की सहायता से जब आग बुझाई गई और बस की तलाशी ली गई, तो अंदर पांच शव मिले। इनमें दो मासूम बच्चे भी शामिल थे। एक व्यक्ति को हल्की चोटें आई हैं, जिसे प्राथमिक उपचार के बाद खतरे से बाहर बताया गया है।मृतकों की पहचान इस प्रकार की गई-लख्खी देवी (55 वर्ष), पत्नी अशोक मेहता-सोनी (26 वर्ष), पुत्री अशोक महतो-देवराज (3 वर्ष), पुत्र रामलाल-साक्षी कुमारी (2 वर्ष), पुत्री रामलाल-मधुसुधन (21 वर्ष)-सभी मृतक बिहार राज्य के निवासी हैं।चालक-परिचालक की तलाश जारी

मामला दर्ज, चालक-परिचालक की तलाश जारी

पुलिस ने घटना के संबंध में प्राथमिकी दर्ज कर ली है। डीसीपी दक्षिणी ने बताया कि बस चालक और कंडक्टर की शिनाख्त कर उनकी गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं। दोनों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या समेत गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है।

पीड़ित यात्रियों का दर्द: “हम तो किसी तरह बच गए, सब कुछ जल गया

हादसे के बाद पुलिस द्वारा यात्रियों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया। उन्हें दूसरी बसों से दिल्ली भेजने की कोशिश की गई। हालांकि, कुछ यात्री जैसे अनुज सिंह और पप्पू कुमार ने जाने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, “हमारे मोबाइल, पैसे और सारा सामान जल गया। हम बुरी तरह डरे हुए हैं। बस मालिक और चालक पर कार्रवाई होनी चाहिए।पुलिस ने उन्हें समझाया और FIR दर्ज कराने की प्रक्रिया में मदद की।

सीएम योगी ने लिया संज्ञान, 4-4 लाख का मुआवजा घोषित

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस हृदयविदारक हादसे पर शोक व्यक्त किया है और जिला प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि घायलों के इलाज में कोई कोताही न बरती जाए। साथ ही रेस्क्यू ऑपरेशन में तेजी लाई जाए। SDM सरोजनीनगर सचिन वर्मा ने बताया कि मृतकों के परिजनों को 4-4 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी।

यात्रियों की सुरक्षा की अनदेखी चीख चीखकर घटना कर रही बयां

यह हादसा एक बार फिर निजी बस ऑपरेटरों की लापरवाही और यात्री सुरक्षा की अनदेखी को उजागर करता है। सुरक्षा उपकरणों की कमी, आपातकालीन निकासी व्यवस्था का अभाव और जिम्मेदार स्टाफ की गैरमौजूदगी ने इस त्रासदी को जन्म दिया। अब देखना यह है कि प्रशासन और परिवहन विभाग इस हादसे से क्या सबक लेते हैं और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाते हैं ।

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