लखनऊ। उत्तर प्रदेश की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) को एक बड़ी कामयाबी मिली है। लखनऊ के विकासनगर थाना क्षेत्र में व्यापारी से हुई सनसनीखेज लूट की घटना में वांछित एक लाख रुपये के इनामी अपराधी वैभव सिंह को STF ने एक साहसिक मुठभेड़ के बाद पीजीआई थाना क्षेत्र से गिरफ्तार कर लिया।

मुठभेड़ के दौरान वैभव सिंह के पैर में गोली लगने से वह घायल हो गया, जिसे इलाज के लिए पीजीआई ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया है।गिरफ्तारी के दौरान STF ने वैभव सिंह के पास से एक अवैध .30 बोर की पिस्टल, तीन जिंदा और तीन खोखा कारतूस, घटना में प्रयुक्त पल्सर मोटरसाइकिल, एक बैग, दो फर्जी नंबर प्लेट, और 1,570 नकद बरामद किए हैं।

हरदोई से लेकर लखनऊ तक फैला नेटवर्क

लखनऊ व आस-पास के जनपदों में गैंग बनाकर लगातार लूट व डकैती करने की सूचनायें प्राप्त हो रही थी। इस सम्बन्ध में एसटीएफ की विभिन्न इकाईओं व टीमों को अभिसूचना संकलन एवं कार्रवाई के लिए निर्देशित किया गया था। उक्त निर्देश के क्रम में पुलिस उपाधीक्षक दीपक कुमार सिंह के पर्यवेक्षण में अभिसूचना संकलन की कारवाई की जा रही थी।

इसी क्रम में प्राप्त सूचना के उपरान्त एसटीएफ टीम द्वारा इस सूचना को विकसित किया गया और तद्नुसार योजना बनाकर डलौना क्रासिंग के पास थाना क्षेत्र पीजीआई लखनऊ में हुई साहसिक मुठभेड़ के उपरान्त अभियुक्त वैभव सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया। मुठभेड के दौरान अभियुक्त वैभव सिंह के पैर में गोली लगने से वह गंभीर रूप से घायल हो गया, जिसको उपचार के लिए पीजीआई ट्रामा सेन्टर भेजा गया है।

अभियुक्तों ने 28 मार्च को लूट की घटना को दिया था अंजाम

28 मार्च को एक व्यवसायी से थाना क्षेत्र विकासनगर, लखनऊ में लूट की घटना हुई थी। इस घटना के सम्बन्ध में थाना विकासनगर में अभियोग पंजीकृत हुआ था। इस घटना में शामिल मुख्य साजिशकर्ता प्रेम बहादुर सिंह व उसके साथी सोनेन्द्र सिंह व गौरव मिश्रा को 30 मार्च को एसटीएफ टीम द्वारा गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। साथ ही 7 अप्रैल को को सुशील मिश्र (एक लाख रूपये का पुरस्कार घोषित) को जनपद-प्रयागराज से गिरफ्तार किया गया था।

अभियुक्त प्रेम बहादुर व्यवसायी के यहां ड्राइवर का करता था काम

गिरफ्तार अभियुक्तो से पूछताछ पर ज्ञात हुआ था कि प्रेम बहादुर सिंह वर्ष-2023 में व्यवसायी पंकज अग्रवाल के यहां ड्राइवर का काम करता था, कुछ दिन काम करके छोड़ दिया। उसके बाद पिछले एक महीने से फिर उनके यहां ड्राइवरी का काम करने लगा था। कई बार पंकज अग्रवाल अपने साथ कलेक्शन के काफी रूपये लेकर आते जाते थे, जिसे यह देखता रहता था। इसके अलावा उनका मुनीम अमित सैनी, पंकज अग्रवाल के अलग अलग स्टोर व अन्य स्थानों से रूपये अपनी बाइक से इकठ्ठा करता था, उसके बारे में भी इसको प्रेम बहादुर सिंह को जानकारी थी।

प्रेम बहादुर ने ही पैसा लूटने का बनाया था पूरा प्लान

उस पैसे को लूटने के लिए उसने अपने चचेरे भाई सोनेन्द्र सिंह (पूर्व में गिरफ्तार) के साथ प्लान बनाया। सोनेन्द्र सिंह ने कहा कि यह काम एक आदमी का नहीं है इसके लिए 4-5 आदमियों की जरूरत पडेगी। इसके बाद सोनेन्द्र ने वैभव सिंह व अन्य आदमियों को तैयार किया। प्रेम बहादुर सिंह ने सोनेन्द्र सिंह को रूपये लाने वाले आदमी के बारे में व मोटरसाइकिल का नम्बर बताया और सोनेंद्र ने वैभव सिंह व इसके अन्य साथियो को घटना करने के लिए सारी जानकारी दिया।

वैभव कई अपराधों में आठ वर्ष हरदोई व सीतापुर जेल में रहा

वैभव सिंह उपरोक्त कई अपराधों में लगभग 08 वर्ष जनपद हरदोई व सीतापुर जेल में बन्द था। इस घटना को अंजाम देने के लिए वैभव सिंह ने सुशील मिश्रा के साथ मिलकर अन्य साथियों को बुलाया था। जिसके बाद वैभव उपरोक्त सोनेन्द्र, सतीश सिंह अनुज मौर्या, गौरव मिश्रा व सुशील मिश्रा ने रेकी करके लूट की घटना को अंजाम दिया था।

वैभव सिंह पर दर्ज हैं कई संगीन मुकदमे दर्ज

2014: हरदोई में फर्जी सचिव बनकर कोटेदारों से वसूली

2016: सीतापुर में सेक्स रैकेट का संचालन

2020: लखनऊ के पारा क्षेत्र में लूट की वारदात

2021: हरदोई में लूट का मामला

2024: जानकीपुरम में मकान में चोरी

विकासनगर लूटकांड में उसकी गिरफ्तारी के लिए 1 लाख का इनाम घोषित किया गया था।

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