लखनऊ । उत्तर प्रदेश की जेलों में सुरक्षा और पारदर्शिता को लेकर सरकार सख्त रुख अपना रही है। वाराणसी जिला जेल से एक साइबर अपराधी की फर्जी रिहाई के मामले में बड़ी कार्रवाई की गई है। मामले में लापरवाही और नियमों के उल्लंघन के आरोप में तत्कालीन जेल अधीक्षक, कारापाल और उप कारापाल को निलंबित कर दिया गया है।

कारागार मंत्री ने तत्काल जांच के दिये थे निर्देश

वाराणसी जिला कारागार में बंद धोखाधड़ी और साइबर क्राइम के आरोपी सुनील कुमार उर्फ सुनील चौधरी को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर गलत तरीके से जेल से रिहा कर दिया गया था। मामले की गंभीरता को देखते हुए कारागार मंत्री दारा सिंह चौहान ने तत्काल जांच के निर्देश दिए थे।

जांच में तीनों जेल अधिकारियाें की लापरवाही आई सामने

प्रारंभिक जांच रिपोर्ट उप महानिरीक्षक (डीआईजी) कारागार, वाराणसी द्वारा सौंपी गई, जिसमें पाया गया कि रिहाई में जेल मैनुअल और विभागीय प्रक्रियाओं का गंभीर उल्लंघन हुआ है। जांच में तत्कालीन जेल अधीक्षक, कारापाल और हवालात प्रभारी उप कारापाल की लापरवाही और संभावित संलिप्तता सामने आई। इसके बाद तीनों को निलंबित कर उनके खिलाफ विभागीय जांच शुरू की गई है।

मंत्री ने कहा था कि दोषियों पर की जाएगी सख्त कार्रवाई

कारागार मंत्री दारा सिंह चौहान ने कहा कि, “योगी सरकार भ्रष्टाचार और अनियमितताओं पर जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रही है। जेल जैसे अति संवेदनशील स्थान पर ऐसी चूक किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं की जाएगी। दोषियों पर सख्त कार्रवाई तय है।”सरकार की इस त्वरित कार्रवाई को कारागार व्यवस्था में सुधार और पारदर्शिता की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है।

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