लखनऊ।उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ नशे के सौदागरों के लिए एक सुरक्षित ठिकाना बनती जा रही है। बीते शनिवार को मड़ियांव पुलिस द्वारा 21 किलो गांजा के साथ गिरफ्तार किए गए फैजुल्लागंज निवासी पंकज वर्मा की गिरफ्तारी ने इस सच्चाई को एक बार फिर उजागर कर दिया। प्रारंभिक पूछताछ में खुलासा हुआ है कि उसे यह भारी खेप राजधानी में मौजूद एक बड़े सप्लायर को सुपुर्द करनी थी, जिसकी तलाश में पुलिस अब पूरी ताकत के साथ लगी है।

लखनऊ की ज़मीन, तस्करों का मैदान

राजधानी में मादक पदार्थों की तस्करी का यह कोई नया मामला नहीं है। पिछले एक दशक से लखनऊ न केवल तस्करों की गिरफ्त में है, बल्कि यहां मौजूद नेटवर्क और लोकल मददगारों के सहयोग से यह कारोबार लगातार फल-फूल रहा है। मड़ियांव केस को भी इसी संदर्भ में देखा जा रहा है, जहां पंकज वर्मा जैसे व्यक्ति को केवल एक डिलीवरी बॉय की भूमिका में देखा जा रहा है, जबकि असली कड़ी अब भी पुलिस की पकड़ से बाहर है।

पूछताछ में सामने आए कई नाम

सूत्रों के मुताबिक, पंकज वर्मा ने पूछताछ में कई अहम जानकारियां दी हैं, जिनके आधार पर पुलिस ने राजधानी के अलग-अलग इलाकों में अपनी नजरें टिका दी हैं। संदेह जताया जा रहा है कि इस नेटवर्क में न सिर्फ गांजा बल्कि स्मैक और अन्य मादक पदार्थों की तस्करी करने वाले लोग भी सक्रिय हैं।

पुराने मामलों से मिलती हैं समानताएं

इससे पहले भी लखनऊ में कई तस्कर पकड़े जा चुके हैं। वर्ष 2013 में वजीरगंज पुलिस ने कैसरबाग बस अड्डे के पास से दो तस्करों को गिरफ्तार किया था, जिनके पास से 67 ग्राम स्मैक बरामद हुई थी। यह मामला पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज एक ऐसा उदाहरण है जो दर्शाता है कि किस तरह राजधानी मादक पदार्थों की तस्करी का केंद्र बनती जा रही है।

पुलिस का अगला लक्ष्य – नेटवर्क की जड़ तक पहुंचना

पुलिस अब पंकज वर्मा के मोबाइल कॉल डिटेल्स और संपर्क सूत्रों की जांच कर रही है। साथ ही यह भी जानकारी जुटाई जा रही है कि वह खेप रायबरेली, उन्नाव, बाराबंकी जैसे आस-पास के जनपदों तक भी पहुंचाई जाती थी या नहीं। यह आशंका भी जताई जा रही है कि इस नेटवर्क में कई पुराने तस्कर दोबारा सक्रिय हो चुके हैं, जो नाम बदलकर या छोटे लोगों को आगे कर यह धंधा चला रहे हैं।

इनकी तस्करी कानून व्यवस्था व युवकों के लिए खतरा

लखनऊ जैसे शहर में तस्करी का यह फैलता हुआ नेटवर्क न केवल कानून-व्यवस्था के लिए खतरा है, बल्कि यहां के युवाओं को भी धीरे-धीरे नशे की गिरफ्त में धकेल रहा है। ऐसे में पुलिस की यह कार्रवाई एक बड़ी सफलता मानी जा सकती है, बशर्ते इसे नेटवर्क की जड़ तक पहुंचाया जाए और हर उस मददगार को बेनकाब किया जाए जो तस्करों को पनाह देता आया है।

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