लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी में चोर बेखौफ होकर अपराध कर रहे है और पुलिस गंभीर नहीं दिख रही है। चूंकि गोमतीनगर और सुशांत गोल्फ सिटी में दो बड़ी चोरी की घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें कुल 36 लाख रुपये से अधिक के आभूषण उड़ाए गए। खास बात यह है कि एक मामले में आरोपी पुलिस अधिकारी का ही परिचित निकला, तो दूसरे में पुलिस ने पीड़िता को 22 दिन तक थाने के चक्कर कटवाए। तब जाकर मुकदमा दर्ज किया। इन दोनों मामलों में पुलिस अभी तक किसी को गिरफ्तार नहीं कर पायी है।

दो बड़ी चोरी की घटनाओं से पुलिस की खुली पोल

लखनऊ में एक बार फिर चोरी की दो बड़ी घटनाओं ने पुलिस की कार्यशैली और अपराध नियंत्रण पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पहली घटना गोमतीनगर के विपुल खंड की है, जहां रहने वाली पुलिस इंस्पेक्टर गुंजन अग्रवाल के घर से 6 लाख रुपये के जेवरात चोरी हो गए। इस मामले में गुंजन ने अपने परिचित सीतापुर निवासी अंकित सिंह पर चोरी का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई है।

इंस्पेक्टर के घर हुई चोरी कांड में पुलिस के हाथ खाली

इंस्पेक्टर गुंजन के मुताबिक, पिछले चार माह से उनके घर से नकदी गायब हो रही थी, लेकिन उन्होंने इसे नजरअंदाज कर दिया। 31 जनवरी को जब एक पारिवारिक समारोह में जाने के लिए लॉकर खोला, तो उन्हें होश उड़ गए — जेवर गायब थे। बेटे अपूर्व के कमरे से भी 30 हजार रुपये नदारद थे।

इसके बाद अपूर्व ने घर में सीसीटीवी कैमरे लगवाए।तीन अप्रैल को शाम चार बजे अपूर्व के मोबाइल पर कैमरे से नोटिफिकेशन आया। जब फुटेज देखा गया तो उसमें अंकित सिंह अलमारी में कुछ खंगालता नजर आया। पूछने पर वह मुकर गया और अब उसका मोबाइल फोन भी बंद है। पुलिस उसकी तलाश में जुटी है, लेकिन अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है।

22 दिन थाने का चक्कर काटवाने के बाद पुलिस ने दर्ज किया मुकदमा

दूसरी बड़ी वारदात सुशांत गोल्फ सिटी के अर्जुनगंज में हुई, जहां रहने वाली उषा देवी के घर से चोरों ने करीब 30 लाख रुपये के जेवरात पार कर दिए। पीड़िता होली पर अपने गांव बक्सर गई हुई थीं। 19 मार्च को दोपहर में पड़ोसी प्रमोद कुमार राय ने उन्हें चोरी की जानकारी दी। जब वह 20 मार्च को घर पहुंचीं, तो पूरा मकान खंगाला हुआ था।

उषा देवी का आरोप है कि उन्होंने उसी दिन पुलिस को सूचना दी, लेकिन पुलिस उन्हें 22 दिन तक थाने के चक्कर कटवाती रही। इंस्पेक्टर अंजनी मिश्रा के मुताबिक मामले की जांच के बाद मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।इन दोनों घटनाओं ने राजधानी की कानून व्यवस्था और पुलिस की गंभीरता पर सवालिया निशान लगा दिया है। जब पुलिस अधिकारी खुद सुरक्षित नहीं, तो आम जनता की सुरक्षा की उम्मीद कैसे की जाए — यह सवाल अब आम लोगों के बीच गूंज रहा है।

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