रायबरेली। नेता प्रतिपक्ष और सांसद राहुल गांधी ने मंगलवार को जिला समन्वय एवं अनुश्रवण समिति की बैठक में केंद्र सरकार की प्रमुख योजनाओं के क्रियान्वयन पर सवालों की झड़ी लगा दी। उन्होंने दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना और जल जीवन मिशन की जमीनी हकीकत उजागर करते हुए कहा कि सरकारी आंकड़े सिर्फ कागज़ों में सजे हुए हैं, जबकि ज़मीनी सच्चाई बेहद निराशाजनक है।
निजी सैंपल सर्वे में 25 में से सिर्फ तीन को ही रोजगार मिला
बैठक के दौरान राहुल गांधी ने बताया कि ग्रामीण कौशल योजना के अंतर्गत जिले में 1107 युवाओं को सेवायोजित किए जाने का दावा किया गया, लेकिन उनके निजी सैंपल सर्वे में 25 में से सिर्फ तीन को ही रोजगार मिला। उन्होंने कहा, “यह पूरी योजना एक फेलियर है, और इसमें गड़बड़ियों की गंभीर जांच होनी चाहिए।”
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डीएम हर्षिता माथुर ने सर्वे कराने का आश्वासन दिया
राहुल गांधी ने बैठक में मौजूद अधिकारियों से पूछा कि कितने लोगों को वाकई ट्रेनिंग मिली, कितनों को रोजगार मिला, और वर्तमान में कितने काम कर रहे हैं। उन्होंने निर्देश दिया कि सभी लाभार्थियों का नया सर्वे कराकर अगली बैठक में सच्चे आंकड़े पेश किए जाएं। डीएम हर्षिता माथुर ने सर्वे कराने का आश्वासन दिया।
जल जीवन मिशन पर भी उठे गंभीर सवाल
राहुल गांधी ने जल जीवन मिशन की समीक्षा करते हुए कहा कि जनपद में 182 पेयजल योजनाओं को चालू दिखाया गया है, जबकि उनके सर्वे में कई इलाकों में पानी पहुंच ही नहीं रहा है। कहीं पाइपलाइन लीक है, तो कहीं लोगों को नल कनेक्शन तक नहीं मिला।
अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई
उन्होंने अधिकारियों को फटकार लगाते हुए कहा कि पिछली बैठक में जनप्रतिनिधियों की जांच समिति बनाने की बात कही गई थी, लेकिन अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई। उन्होंने संयुक्त समिति बनाकर पेयजल योजनाओं का सच्चा मूल्यांकन करने के निर्देश दिए।
सड़क परियोजनाओं की स्थिति पर भी जताई नाराजगी
राहुल गांधी ने केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी द्वारा मार्च 2024 में रायबरेली में की गई घोषणाओं का स्टेटस पूछते हुए कहा कि रायबरेली-लालगंज फोरलेन और बाईपास निर्माण को लेकर कोई प्रगति नहीं दिख रही है। बैठक में जब परियोजना निदेशक से जवाब मांगा गया तो वे जवाब देने में असमर्थ दिखे।इस पर राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दिनेश प्रताप सिंह ने कहा कि उनके पास संबंधित पत्र मौजूद हैं और परियोजनाएं स्वीकृत हो चुकी हैं। राहुल गांधी ने इस पर तंज कसते हुए पूछा, “अगर पत्र आपके पास हैं, तो एनएचएआई को क्यों नहीं मिले?”